मीडिया बनाम माताजी (यशवंत सिंह की बलिहारी जाऊं ऐसे होते हैं सुपुत्र....)
बुधवार, 20 अक्तूबर 2010
यशवंत सिंह और रणधीर सिंह सुमन मिल कर जल्द ही शायद "भड़ास" की ताकत को इस्तेमाल करने के लिए कई एक नयी वेबसाइट्स लान्च करेंगे जिनके नाम होंगे भड़ास 4 यू.पी.पुलिस, भड़ास 4 हिंदू,भड़ास4 कांग्रेस,भड़ास 4 भाजपा,भड़ास 4 पी.डब्ल्यू.डी.,भड़ास 4 आफ़िसर्स,भड़ास 4 लीडर्स,भड़ास 4 डा.रूपेश श्रीवास्तव,भड़ास 4 संजय कटारनवरे,भड़ास 4 एक्स,भड़ास 4 वाई,भड़ास 4 ज़ैड......। इस तरह ये दोनों बिना पूंछ वाले शहरों के सिंह वेब वर्ल्ड के बड़े नाम बन जाएंगे। इन वेबसाइट्स में कंटेंट क्या होगा इसका इनके नाम से कोई सरोकार नहीं रहेगा जब भी यदि किसी ने तीन-पांच करा तो उसकी पूरी तरह से पत्रकारिता/वकालत का प्रयोग करते हुए इन वेबसाइट्स पर ऐसी तैसी कर दी जाएगी। इसका लाभ ये होगा कि इनके इलाके की सड़कें,बिजली,पानी,पुलिस,अधिकारी,जनता सब इनसे भयभीत रहेंगे कि कहीं यदि कुछ गलती से ऊंचनीच हो गया तो यशवंत सिंह अपनी मीडिया वेबसाइट पर माताजी के पुत्तरजी होने का फ़र्ज निभा रहे हैं वैसा ही कुछ न कर डालें।
ताज़ा अफ़वाह है कि कुछ और वेबसाइट लान्च करी जा रही हैं भड़ास 4 माताजी,भड़ास 4 चाचाजी,भड़ास 4 चचेरा भाई,भड़ास 4 चाचीजी,भड़ास 4 पत्नी,भड़ास 4 बच्चे।
देख लीजिये भड़ास की ताकत को अगर आप भी अपने इलाके में हो रहे अन्याय, अत्याचार,कुत्ताचार आदि के खिलाफ़ कुछ साइबर करना चाहें तो इनसे मिलिये ये लोग आपके लिये एक वेबसाइट बना कर संबंधित मामले को हल कर देंगे।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
कुत्ताचार शब्द नया है सटीक है।
साइट यशवंत की है वो जो चाहे कर सकते हैं। देख रहा हूं कि भड़ास की ममी बना कर रखे गये भड़ास blog पर वो सबसे रिरिया रहे हैं कि माताजी के साथ हुई पुलिसिया ज्यादती को सब अपने अपने ब्लाग पर लिखिए लेकिन जिस तरह से यशवंत ने मुर्दा सजा कर दुकान सजा रखी है उस पर आने वाले आठ सौ से अधिक सदस्यों ने इस अपील पर ठीक वही रिस्पान्स दिया जो कि लखनऊ ब्लागर एसोसिएशन के सलीम खान ने हम भड़ासियों के खिलाफ़ लिखने,निंदा करने की अपील करी थी कोई नहीं सुनता इनकी। जब यशवंत की भड़ास blog पर आठ सौ में से चार छह तक ने न सुनी तो भड़ास4मीडिया पर रोना रोया। यही अगर यशवंत ने अपना हलकटपन न दिखाया होता तो भड़ासी ब्लाग पर पोस्ट लिख कर कैम्पेन चलाने की बजाए संबंधित अधिकारियों की ऐसी तैसी कर चुके होते,हमारे अपने जमीनी तरीके हैं लेकिन भड़ास की आत्मा को यशवंत जैसे मुंहचोर कभी समझ ही न सके जिसका कुफल उन्हें इस तरह भुगतना पड़ता है।
जय जय भड़ास
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