आओ ताजमहल देखे एक बंद हो चुकी खिडकी से -भाग 2
मंगलवार, 14 दिसंबर 2010
शाहजादा औरंगज़ेब के द्वारा अपने पिता को लिखी गई चिट्ठी को कम से कम तीन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वृतान्तों में दर्ज किया गया है, जिनके नाम ‘आदाब-ए-आलमगिरी’, ‘यादगारनामा’ और ‘मुरुक्का-ए-अकब़राबादी’ (1931 में सैद अहमद, आगरा द्वारा संपादित, पृष्ठ 43, टीका 2) हैं। उस चिट्ठी में सन् 1662 में औरंगज़ेब ने खुद लिखा है कि मुमताज़ के सातमंजिला लोकप्रिय दफ़न स्थान के प्रांगण में स्थित कई इमारतें इतनी पुरानी हो चुकी हैं कि उनमें पानी चू रहा है और गुम्बद के उत्तरी सिरे में दरार पैदा हो गई है। इसी कारण से औरंगज़ेब ने खुद के खर्च से इमारतों की तुरंत मरम्मत के लिये फरमान जारी किया और बादशाह से सिफ़ारिश की कि बाद में और भी विस्तारपूर्वक मरम्मत कार्य करवाया जाये। यह इस बात का साक्ष्य है कि शाहज़हाँ के समय में ही ताज प्रांगण इतना पुराना हो चुका था कि तुरंत मरम्मत करवाने की जरूरत थी।
अब आप सभी इस के लिए क्या सोचते है
3 टिप्पणियाँ:
APKE PITAJI KE PITAJI KE PITAJI AUR UNKE PITAJI KE PITAJI KYA THE? HINDU?MUSALMAN? SIKH? JAIN? BUDDHIST? YA KOI AUR. KOI DASTAVEJ, KOI PRAMAN HAI KYA?
अरे भाई अमित तुम बेकार ही इन भाडासियो के बीच में अपनी बात कह रहे हो ये सब पगला गये है ,अगर तुम कुछ भी मुसलमानो के बारे में लिखो गे तो सब आख बंद कर के पागल कुत्ते की तरह तुम पर गुर्राने लगे गे ,अभी मैंने इन के पागल दोस्त अनूप की post padhi , लगता है साले 21 vi shadi में १० वि सदी की बात कर रहे है ,ये भडास अब अपनी पुरानी बात खो चूका है ,अब तो बस कुछ पागलो ने यहाँ डेरा डाल रखा है
अरे भाई(शायद बहन हो या दोनो ही नहीं)अमित से ही सब बातें कर लोगे या किसी और भी पागल का नाम बताओगे?किन किन पागलों ने डेरा डाल रखा है जरा दो चार के नाम तो अपने परिचय के साथ लिख मारो कि भड़ास में अब वो पुरानी बात कैसे खो चुकी है
अरे गधों के सरदार! भड़ास जो था वही है और वही रहने वाला है जब तक इस पर भाई रजनीश झा और हमारे बड़े भाई डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी लिखने वाले हैं
जय जय भड़ास
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