मुंबई में उर्दू की कोई अदबी महफ़िल लंतरानी की उपस्थिति के बिना अधूरी रहती है
गुरुवार, 23 दिसंबर 2010
इसे कमाल ही कहा जाएगा कि हमारी वरिष्ठ भड़ासिन मुनव्वर सुल्ताना आपा अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ ही स्कूल की नौकरी के बाद उर्दू अदब की हर महफ़िल में मौजूद रह कर उसे उनके उर्दू ब्लॉग लंतरानी के लिये कवर करती हैं। अक्सर उनके ब्लॉग पर जाना होता है तो पता चलता है कि उर्दू के बेशर्म अखबार "उर्दू टाइम्स" ने लंतरानी से मुनव्वर आपा की खींची हुई तस्वीरों को लेना शुरू कर दिया है। मैं नहीं जानता कि मुनव्वर आपा को ये जानकारी है या नहीं| बहरहाल मुनव्वर आपा ने जिस लगन उर्दू को फ़रोग़ दिया है वे साधुवाद की पात्र हैं। मैं प्रयास करूंगा कि मुंबई की इन हलचलों को लंतरानी के साथ साथ भड़ास पर भी ला सकूँ यदि उनमें कुछ भड़ास जैसा है। अब तो हर संस्था और उर्दू शोबा रखने वाले कॉलेज में मुंबई में इस बात की होड़ रहती है कि कहीं वे लंतरानी से बिछुड़ न जाएं।
मुनव्वर आपा की जय हो
लंतरानी की जय हो
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
अरे बावली पूछ चाटुकार शम्स तेरे को दोनों फोटो में साफ़ साफ़ नहीं दिखाई दे रहा की दोनों फोटो अलग अलग कमेरे से अलग angal से लियो गये है , बस लागी राग भड़ास चाटुकार अलापने
@ताऊ(अनूप के बाप का)
बेटा अनूप के बाप असल में बात ये है कि तुम अनूप मंडल से खुन्नस निकालने में इतने अंधरा गये हो कि तुम्हें कैमरे का कोण तक अलग दिख रहा है। बेटा जी तुम हो तो भड़ास के सदस्य ही वरना कमेंट लिख ही न पाते इस तरह। आंखों में ममीरा डाल कर देखो तो पता चलेगा कि मूल चित्र में से मुशायरे के नाज़िम जनाब असर सिद्दिकी जी की तस्वीर crop कर दी है।
तुम सब ऐसे मूर्ख बच्चों का बाप
जय जय भड़ास
ये जो कोई भी ताऊ के नाम से लिख रहा है वो कितना बड़ा गदहा है कि उसे ए.पी.कॉलेज के प्रिंसीपल महमूद के बगल में खड़ी प्रोफ़ेसर आएशा शेख"समन" से लेकर डॉ.कलीम ज़िया तक और बीच में बैठी रेखा किंगर "रोशनी" तक अलग कैमरे के अलग एंगल पर दिख रही हैं।
जय जय भड़ास
डा.साहब आप भी बस मूर्ख बच्चों के ही बाप बने जरा दो चार अक्लमंद बच्चे अपना लिए होते तो कितना अच्छा होता लेकिन ये महानता भी आप में ही है कि जिन्हें कोई नहीं स्वीकारता उन्हें आप स्वीकार लेते हैं चाहे वो ताऊ हों या नाऊ :)
बेटा ताऊ(अनूप के बाप का) तुम अनूप के बाप का क्या हो??? बेटा या बाप??? तुम बौखलाए हुए से लग रहे हो तभी अपने नाम और लक़ब बदल रहे हो क्योंकि इससे पहले तुम सिर्फ़ ताऊ के नाम से लिख रहे थे। बेटा यदि लिखना ही है तो भड़ास पर सीधे पोस्ट लिखो न अब तो ई-मेल से पोस्ट कर सकते हो तुम्हारा नाम भी जाहिर न होगा बस किसी की मां,बहन,बेटी आदि को गाली न लिखना।
जय जय भड़ास
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