फिर दिखा लाल झंडे वाला रणधीर सिंह सुमन भड़ास पर........

सोमवार, 17 जनवरी 2011


कुछ महीनों के लिये देश से बाहर गया था लेकिन भड़ास पर बराबर नजर रहती थी कि आने जाने वाले कितने मुखौटाधारी पाखंडी हैं और कौन वास्तविक भड़ासी है। खटीमा में ब्लागर सम्मेलन करने वालों ने सम्मेलन करा जाहिर सी बात है कि खेत की मेड़ पर बैठ कर कृषि मंत्री को गाली देने वाले किसानों, मिल मालिकों द्वारा शोषित मजदूरों, भिखारियों, वेश्याओं, लैंगिक विकलांगों आदि हाशिए तक से अलग धकेल दिये गये लोगों की बातों को ब्लागिंग में लाने वाले भड़ासियों के बीच भला पाखंडियों का क्या काम? जब मैंने इन जैसे विनम्रता का शीर्षासन करने वाले, मुसलमानों(अन्य कोई अल्पसंख्यक इन्हें दिखता ही नहीं) के वोट बैंक में लोटते थूथुन मारते नर पशुओं को दौड़ाया था तो  एक लम्बे अरसे तक ये इस मंच से गायब रहा। इसने तू मेरी सहला-मैं तेरी सहलाऊं वाली ब्लागर नीति के तहत चलने वाले तमाम ब्लागरों को साधा। अब ब्लागर तो स्वयंभू बुद्धिजीवी ही होते हैं जबकि भड़ासी तो इस वर्ग से करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर भी नहीं हैं तो ऐसे में भला ये पाखंडी किसी भड़ासी को उस सम्मेलन में बुलाने की हिम्मत कैसे जुटा सकते थे। मुझे पूरा यकीन है कि भड़ास के संचालकों को भी इसकी कोई सूचना न दी गयी होगी। अब अपनी जमात की जुटी भीड़ की तादाद गिनाने के लिये सब जगह लिबलिबाने जरूर जाएंगे तो भड़ास पर भी आ गया। दोबारा आएगा जब ऐसा ही कुछ होगा। इस बात पर  nice लिख कर अपनी कुटिलता का परिचय देने आओ साम्यवादी तुतुहरी बजाने का ढोंग रचाने वाले रणधीर सिंह सुमन।
संजय कटारनवरे
मुंबई

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