संजय बेंगाणी कम से कम अब तो सच बताना जनगणना में कि तुम क्या हो...
शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011
अब जब सरकारी तंत्र में बैठे लोग जाति और धर्म के आधार पर जनगणना करा ही रहे हैं तो आगे देखिये क्या होगा। सरकार में बैठे लोग जानना चाहते हैं कि देश में शासन करने के समीकरण कैसे जमाए जाएं। अब हर जाति और धर्म के लोगों के सामने मौका है कि वे अपनी अधिकता सिद्ध करके ये जता दें कि वे कितने वोट हैं ताकि सरकार उनके हितों में मुंडी हिलाने लगे। संजय बेंगाणी जैसे लोग जो कि जयति जिन शासनम के हिमायती हैं लेकिन हिंदुओं में भी घुसपैठ करने के लिये खुद को हिंदू बताते जताते हैं वे जनगणना के फ़ार्म पर खुद को क्या हिंदू बताएंगे या जैन???
इन महाशय की विचारधारा को नीचे की कड़ियो पर जाकर देख सकते हैं कि ये कितने वड़े शब्द प्रपंची हैं।
जब मन में आयेगा तब हिंदू बन जाते हैं लेकिन जिनों को मानने वाले धर्म के हिमायती हैं और भक्त भी।
संजय बेंगाणी धर्म की आड़ में विनम्रता का भरी धमकी भी दे लेते हैं कि हैं राक्षस क्या कर लोगे?
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
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