आप अपने पालतू जानवर को पका कर खा लें ये कानूनी जुर्म है या नहीं???

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

आपने यदि प्यार से तोता या कुत्ता पाला और एक दिन आपके ऊपर कोई ऐसी विकट परिस्थिति आ जाए कि आपको उसको मार कर उसके मांस को पका कर खाना पड़े तो क्या हमारे देश का कानून इसे कानूनन जुर्म कहेगा या हमारी मजबूरी को ध्यान में रख कर हमें छोड़ देगा? ये एक बड़ा सवाल है इसे हल्का न समझें। आपकी मजबूरी गरीबी हो सकती है, मजहबी हो सकती है या फ़िर आपका उस पालतू प्राणी के प्रति रवैया बदल गया हो आप उस पालतू को फ़ालतू समझने लगे हों आदि आदि। इस विषय में बस इतना कहना है कि मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता है जिसने अपने चौथी मंजिल पर बने फ़्लैट में एक बकरा पाल रखा है जिसे वे लोग जी-जान से प्यार करते हैं अक्सर लिफ़्ट में आते-जाते हुए बकरे से मुलाकात होती है। शायद उस बकरे का कुछ नाम भी है। उस परिवार की अम्मी उसे बेटा-बेटा कहकर घास चराती घूमती हैं। वो अक्सर बाल्कनी में खड़ा होकर मिमियाता रहता है। एक बार बीमार हो गया था तो डाक्टर के पास भी लेकर गयी थे वे लोग। कुल मिला कर वो बकरा उस परिवार के एक सदस्य की तरह ही है। एक बार तो दूसरे पड़ोसी ने उसे लिफ़्ट में आते समय हाथ से धकेल कर दूर हटा दिया तो झगड़े की नौबत आ गयी।
देश में कानून है कि यदि आप पशुओं के प्रति हिंसाचार करते हैं तो आपको सजा होगी ये कानून है एनिमल क्रुएलिटी प्रिवेन्शन एक्ट जो कि हम सबको पशुओं के प्रति हिंसाचार या क्रूरता पूर्ण व्यवहार से रोकता है। अब आप सब ये बताइये कि यदि ये परिवार स्वयं ही उस पालतू बकरे को मारकर खा ले तो उसके लिये क्या कानून है?
मैं मानता हूं कि देश में जाति और धर्म को आधार बना कर कानून बना कर एक बड़ी संवैधानिक पनौती लगा दी है जो कि आपको समान नागरिक अधिकारों से परे कर देता है पर क्या जानवर भी हिंदू या मुसलमान होते हैं कि उन बेचारों पर भी ये कानून इसी चश्में से देख कर लगाया जाता है????
क्या इस विषय पर हमारे निर्लज्ज, मुंहचोर और ढीठ कानूनदां अपनी राय दे सकते हैं या खामोश रहने में ही उनकी पीढ़ियों का भला है????
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

कल्याणी ने कहा…

आप सही कह रहे हैं इस विषय पर चर्चा करी जानी चाहिये।

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