शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011
बी बी सी की सेवा, मावोवादी और अन्य ग्रामीण
बी बी सी यानी की ब्रिटिश ब्रोडकास्टिंग कारपोरेशन, भारत में एक बड़ी जन संख्या के लिए सूचना का एक मात्रविश्वसनीय सूत्र है / क्यों है इस पर मैं बात नहीं करना चाहता हूँ / बी बी सी अपनी सेवाए इन लोगो के लिए बंद कररहा है और ऐसे समय में जब इसकी जरूरत सबसे जादा सार्थक और जरूरी जान पड़ रही है / एक तरफ ऑपरेशनग्रीन हंट दूसरी तरफ अपहरण, मांग, समझौता और मध्यस्थ / बी बी सी की सेवाए बंद हो जाने के बाद यह लोगकैसे इन चीजो से निपटेंगे ? क्या यह लोग मावोवादियो को उपग्रह फ़ोन उपलब्ध करवाएंगे, जब किसी कोमावोवादी अपहरण करे तो वे अपने उपग्रह फ़ोन से बता सके और अपनी मांगे रख सके , दूसरे हिस्से में क्या होरहा है, आन्दोलन की स्थिति क्या है इसको जानने के लिए इंटरनेट के शरण में जायेंगे / खैर मावोवादी एकसंगठित आन्दोलन मालूम पड़ता है, यह लोग कैसे भी प्रबंध कर लेंगे , लेकिन अन्य ग्रामीणों को कैसे मिलेगीसूचनाये, खबरे और नीतियों के बारे में जानकारी और उसके अनुपालन के बारे में नियम ? ज़रा सोचिये क्या बी बीसी की आर्थिक मजबूरी है या भारत सरकार के ऑपरेशन ग्रीन हंट का हिस्सा बी बी सी की हिंदी सेवाओं को बंदकरने का / जैसा की मावोवादी कहते है अपने विचार धारा को लेकरके , इंग्लैण्ड सरकार को भी यह बात समझ मेंआ रही होगी की अगर मावोवादी विचार धारा ले लोग कही गलती से भी सत्ता में आ गए या क्रांती करने में कामयाबहो गए तो भारत का बाज़ार इंग्लैण्ड के उत्पादों के लिए कत्तई खुला नहीं रहेगा / ऐसा कोइ राजनीतिक परिवर्तन होजिससे उनके मुनाफे में कमी आये, कोइ बाज़ारवादी सरकार कब ऐसा होने देगी ? बधाई हो भारत सरकार, आपकीविदेश कूटनीति कामयाब रही, अंततः आपके ऑपरेशन ग्रीन हंट को इंग्लैण्ड सरकार ने परोक्ष रूप से समर्थन दे ही दिया /
1 टिप्पणियाँ:
विचारणीय बात है प्रशांत भाई आगे आगे देखिये क्या क्या रंग और बदलते दिखते हैं
जय जय भड़ास
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