बयार सी चल पड़ी है ब्लागर संघों और एसोसिएशनों की.....
सोमवार, 28 फ़रवरी 2011
पिछले कुछ दिनों से एक बात लगातार नज़रों में आ रही है कि अब अकेले अकेले ब्लागिंग करने के साथ ही लोगों ने भारतीय राजनेताओं और गली के चिरकुट गुंडों वाले फंडे अपनाने शुरू कर दिये हैं कि अकेले पथराव करवाओ तो पकड़े जाने का भय है इसलिये भीड़ एकत्र करे रहो ताकि हमारे देश के छद्मलोकतंत्र में हम नेता नजर आते रहें। इसी तर्ज पर सलीम खान एंड पार्टी ने नया धंधा शुरू करा है लखनऊ ब्लागर एसोसिएशन से लेकर जौनपुर और कौन-कौनपुर एसोसिएशन के नाम से कम्युनिटी ब्लाग बना डाले। ब्लागिंग में इस तरह दुकान सजाते हैं ये लोग कि एक अध्यक्ष, छोटा अध्यक्ष, उससे छोटा अध्यक्ष, महासचिव, छोटा महासचिव,उससे छोटा महासचिव,सचिव, छोटा सचिव, उससे छोटा सचिव,सहायक सचिव......... इस तरह के पदों की रेवड़ियां बांट कर लोगों का अहंकार तुष्ट करते हैं और फिर जब कभी कोई तीन-पांच करता है तो धीरे से माडरेटर उसका पत्ता साफ़ कर देता है और सुबह उठने पर अध्यक्ष जी अपने डैशबोर्ड से एसोसिएशन के ब्लाग को नदारद पाते हैं अब बेचारे न तो लिख सकते हैं न ही कुछ चिल्लम चिल्ला, अपनी पुरानी पोस्ट तक नहीं हटा सकते। महीनों तक लोग अपनी अपनी पेले पड़े रहते हैं कुछेक ये सोचते हैं कि अध्यक्ष जी हमे लिखने का मौका दे रहे हैं इसलिये गुमसुम हैं ९८% लोग ये ही नहीं जान पाते बरसों तक कि माडरेटर ने अध्यक्ष जी का विकेट कब का गिरा दिया है और मात्र उनका नाम इस्तेमाल कर रहा है।
दूसरी बात कि इस तरह के ब्लाग्स पर लिख कर बेचारे सदस्य अपनी बौद्धिक संपत्ति से ब्लाग को संपन्न करते रहते हैं और माडरेटर ब्लाग पर एडसेंस या अन्य एडवर्टाइज लगा कर मलाई छान रहा होता है जबकि लेखकों को बस यही झुनझुना पकड़ाया जाता है कि आपकी बात इतने विशाल मंच पर प्रकाशित हो रही है।
भड़ास भी इस तरह के कुछ एसोसिएशन बना रहा है जिसे मन करे वह इन विशाल मंचों को ज्वाइन कर ले हमें कोई एतराज नहीं लेकिन मुफ़्त का ब्लाग सिर्फ़ सौ मूर्खों को ही सदस्य बनाने की अनुमति देता है ;)
- अखिल हिंदी ब्लागर एसोसिएशन/संघ
- अखिल उत्तर प्रदेश/बिहार ब्लागर एसोसिएशन/संघ
- अखिल भारतीय ब्लागर एसोसिएशन/संघ
- आल इंडिया ब्लागर एसोसिएशन
- एशियन ब्लागर एसोसिएशन
- राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर एसोसिएशन/संघ
- अखिल ब्रह्माण्डीय ब्लागर एसोसिएशन/संघ
एक पहेली आप सबके लिये :
ठीक यही करा था ब्लागिंग के एक अत्यंत कपटी, धूर्त, कांइयां ब्लागर ने जो कि पहले भड़ास नाम का एक कम्युनिटी ब्लाग चलाता था लेकिन जब भड़ासियों ने उसे कस कर पेला तो उसने अब उस ब्लाग का नाम बदल कर भड़ास की बजाए भड़ास blog कर दिया और भड़ास की प्रसिद्धि के चलते रोटियों के टुकड़े बटोर रहा है और खुद को विकीलीक्स के मालिक बराबर जताता है। बताओ जरा कौन है वो बनिया?????
जय जय भड़ास
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