गरीबों की भावनाओं से खिलवाड़ अमिताभ बच्चन का प्रिय शगल
सोमवार, 21 फ़रवरी 2011
राजनेताओं से लेकर घर में पत्नी तक यदि आप की भावनाओं का दोहन कर रही है तो इसमें न तो कुछ नया है न ही इतना बुरा जिसे काफ़ी गरीब अभिनेता अमिताभ बच्चन नहीं कर सकते। आप सब जानते हैं कि अमिताभ बच्चन एक बेहद गरीब अभिनेता हैं इसलिये अपनी गरीबी को दूर करने के लिये यथासंभव प्रयास करते रहते हैं एडवर्टाइजमेंट्स में आकर बताते रहते हैं कि देश की जनता को क्या खाना, क्या पहनना और क्या पीना चाहिये; जनता येन-केन-प्रकारेण पैसे जुटा कर इनकी बतायी चीजें इस्तेमाल में लाती रहती है और इनकी लगे हाथ गरीबी दूर होती रहती है।
कोई माने ये न माने ये पैदाइशी खानदानी गरीब और काफ़ी भिखारी किस्म के प्राणी हैं इस बात का खुलासा कोई क्षुद्र पत्रकारिता का धंधा करने वाला खबरिया न्यूज चैनल या अखबार नहीं बल्कि ये हज़रत खुद अपने ब्लाग पर कर रहे हैं कि किस तरह ये कालेज और यूनिवर्सिटी के दौरान हास्टल में रहने पर खाली जेबों के संकट और भूख से बचने के लिये "गेट क्रेशिंग" करके शादी ब्याहों में बाराती बन कर लड़के वालों की तरफ से खाना खाने पहुंच जाया करते थे। काठगोदाम से दिल्ली तक जाने के लिये टिकट के पैसे नहीं हुआ करते थे आदि आदि इत्यादि जैसे बातें ब्लाग पर लिखी जा रही हैं ये अभी नहीं बताया गया है कि ऐसे चिरकुट दरिद्री भिखारियों की राजीव गांधी से नजदीकी कैसे हो गयी थी जो कि वर्तमान भारत देश के एकमात्र सामंत परिवार गांधी-नेहरू परिवार के चश्मोचिराग़ थे?
अमिताभ बाबू हमें तो संदेह है कि अभी तक आपकी भिखारीपन और टटपुंजियेपन की आदत तुम्हारी फितरत में मौजूद होगी और हो सकता है कि ये काम अब तक जारी रखा हो।
मूर्ख किस्म के गरीब जो कि शादियों में बिना बुलाए अच्छे खाने की लालच में या भूख के चलते पहुंच जाते हैं वे अब तो अमिताभ बच्चन की सादगी के कायल हो गये होंगे कि भोलभाला इंसान जब ऐसी हरकतें करके इतना कमा सकता है तो ये लोग क्यों नहीं अमिताभ बच्चन जैसे नहीं बन पाएंगे....... मौका है जाओ शादियो में बिना बुलाए।
जय जय भड़ास
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