हमारे बुजुर्ग - तुम्हिं हो मेरा श्रंगार प्रीतम तुम्हारी रस्ते की धूल ले कर
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हमारे बुजुर्ग - तुम्हिं हो मेरा श्रंगार प्रीतम तुम्हारी रस्ते की धूल ले कर
1 घंटे पहले
 
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© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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3 टिप्पणियाँ:
:)
अमित भाई आप भी बस्स्स्स्स.....
आपने इस चित्र को जिस वेबसाइट से लिया है उसे देखने के लिये चला गया तो बेचारी वेबसाइट को नंगी-पुंगी लड़कियों के सहारे चलते हुए पाया। किधर किधर पहुंच जाते हो भाई भड़ासियों को हंसाने के लिये...???
जय जय भड़ास
डॉ साहब कीचड़ मे कमल मिला ,तो अपुन उसे उठा लाए ,सारे भड़ासी भाई बहनों के लिए ,इसी बहाने सब के चहेरे पर एक प्यारी मुस्कराहट तो आ ही गई होगी
अमित भाई परिवार वाली फोटो हटा दी और डा.रूपेश जी के आले की फोटो लगा दी या आपने भी डाक्टरी शुरू कर दी?बेचारे कछुए की क्या हालत कर दी आपने दबा दबा कर :)
जय जय भड़ास
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