प्रकाश गोविन्द जी केश लुंचन(ऊपर और नीचे का) कराने से पोस्ट करने तक का वीडियो बनवा लीजियेगा

शनिवार, 19 मार्च 2011

साइंस के फ़रोग़ के लिये तंत्र-मंत्र जैसे गूढ और रहस्यमय विषय पर सहकार्य करने के लिये आर्थिक और शारीरिक तौर पर आदरणीय प्रकाश गोविन्द जी व प्रवीण शाह जी प्रस्तुत हुए हैं ये बेहद खुशी की बात है। एक समय था जब कि दूरश्रवण और दूरदर्शन पर चर्चा करना भी कुछ ऐसा ही विषय रहा होगा लेकिन जब ये बातें सिद्धांतों से गुजर कर तर्क और तथ्य की कसौटी पर होकर अनुभव में दर्ज हो गयी तो साइंस में शुमार होने लगीं। अब भले ही किसी को टीवी बनाना न आता हो लेकिन चलाना आता है क्योंकि वह साइंस है ठीक वैसे ही एक समय तक वनस्पतियों आदि की जानकारी खास वर्ग तक ही सीमित थी जिसके आधार पर वे बीमारियों को दूर कर चमत्कारिक प्रभाव सा पैदा करके पूजे जाते थे। काल क्रम में जैसे जैसे डा।रूपेश श्रीवास्तव जैसे लोग ईश्वर की कृपा से आते गए वे परिस्थितियों से जूझ कर तमाम रहस्यों को खोल कर साइंस में दर्ज करा कर आम आदमी के लिये जीवन आसान करते गए।
अब जबकि तंत्र-मंत्र की बात चल रही है तो कुछ लोग जिसे अंधविश्वास या बकवास कह कर दरकिनार कर रहे हैं असल में शोध की किसी भी संभावना को सिरे से नकार रहे हैं इसी संदर्भ में मुनव्वर आपा ने होम्योपैथी का जिक्र करा था जो कि भाई प्रवीण शाह जी को गवारा नहीं हुआ वे पपीता पकड़ कर बैठे हैं जबकि बात पपीते की नहीं एक पूरे प्रकरण में ये एक घटना है जिसे किसी शोध के लिये शुरूआत बनाया जा सकता है।
प्रकाश गोविन्द जी ने अपने दिल के बड़प्पन का परिचय देते हुए जो रकम देने की बात कही है वो मानवता के ऊपर उपकार रहेगा। एक निवेदन कि जब वे ऊपर(और नीचे) के बाल इस बात से संबंधित शोध के लिये भेजें तो कृपया डा।रूपेश श्रीवास्तव की तरह ही इस बात का "अनकट" वीडियो बना कर डाकखाने में पोस्ट करने तक लिफ़ाफ़ाबंद करने आदि को चित्रित करें ताकि यह एक वीडियो प्रमाण रहे वरना बात आयी गयी हो जाएगी कि कौन सा बाल ऊपर का था और कौन सा बगल या नीचे का था या प्रकाश गोविन्द जी का है भी या किसी और का........ कृपया इस बात का ध्यान रखें प्रकाश जी साइंटिफ़िक अंदाज में तर्क और तथ्य को पुष्ट करते हुए हम इस विषय पर आगे बढ़ेंगे तो बेहतर रहेगा। शीघ्रता करें और वीडियो स्पष्ट हो ये ध्यान रखें धन संबंधी बात आगे के चरण में ले जाते हैं।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

दीनबन्धु भाई आपने देखा कि प्रवीण शाह खुद ही इस विमर्श में जबरन तथ्यों को झुठलाने के लिये कूदा और बड़ी बड़ी बातें करी लेकिन जब हम सब ने खदेड़ना शुरू करा तो मेरे शब्दों के चयन से मेरी परवरिश में दोष निकाल कर भाग लिया दुम दबा कर। इसने तो खूब कोशिश करी कि ये येन-केन-प्रकारेण सिद्ध करे कि मैं ही अनूप मंडल या उसका कोई भाविक हूं जो कि भड़ास पर लिखता हूं पर डा.साहब हम गंवार जाहिल और बुरे घोषित लोगों के नेता है तो फिर क्या बात है और मुनव्वर आपा भी सही समय पर आयीं।
प्रकाश गोविन्द के वीडियो का इंतजार रहेगा
जय जय भड़ास

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