रद्दी अखबार तीस रुपये किलो...... किसी को बेचना है क्या???
गुरुवार, 31 मार्च 2011
वैसे तो अखबार छपने से पहले से लेकर पढ़्ने के बाद तक रद्दी ही रहता है लेकिन कुछ लोग उसे पढ़ने के बाद रद्दी मानते हैं। आपके शहर में रद्दी अखबार कितने रुपए किलो है ये तो मुझे नहीं पता लेकिन नई मुंबई में तो रद्दी अखबार तीस रुपये किलो के भाव से खरीदे जाने की बात है हुआ न गजब.....। चमत्कार तो ये है कि इस बात का प्रचार भी अखबार में बाकायदा एडवर्टाइजमेंट देकर किया गया है। आप लोग अपने अपने शहर से रद्दी बटोरिये और निकल पड़िये मुंबई का टिकट लेकर रद्दी बेचने:)
जरूर कुछ न कुछ कालाकांडी होगा वरना वणिक कब आम आदमी का भला चाहता है लेकिन मेरा अब तक उस तरफ जाना नहीं हो पाया।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
राक्षसी तरीका है भाई भोले ग्राहकों को लूटने का... ये बदमाश तीस रुपये किलो रद्दी खरीदते हैं लेकिन आपको नगद रुपए नहीं देते बल्कि अपने ही दुकान के सामान के कूपन देते हैं कि आप उस कीमत का सामान खरीदें और फिर ये आपको लूट ही लेते हैं क्योंकि आपने तीन सौ रुपए की रद्दी बेची और फिर ये आपको सौ रुपए का सामान चारसौ रुपये में बेचते हैं और आपसे रद्दी के तीन सौ रुपये के कूपन और सौ रुपए ऊपर से झटक लेते हैं और आप बुद्धू से मंहगा सामान लेकर अपने आप को ही कोसते घर लौट आते हैं। अखबार की रद्दी भी मुफ़्त में उनकी और सामान भी आपको टिका दिया।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
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