अगर कल अन्ना हजारे मर गए तो तुम लोग क्या उखाड़ोगे और किसका???

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011


क़ानून किस लिए?? समाज में लोगों को राज्य की विधि के अनुसार जीवन जीने के लिए..... अपराध रोकने के लिए क़ानून.... अपराध करने पर दंड देने के लिए क़ानून..... फिर उस क़ानून का पालन न करने से रोकने के लिए क़ानून और इस अपराध पर दण्डित करने के लिए क़ानून..... एक के बाद एक इतने क़ानून बना दिए गए की हमारे देश का संविधान बस भगवद गीता या कुरआन की तरह लाल कपडे में लपेट कर रख देने से अधिक कुछ नहीं रहा है । जो लोग क़ानून बनाने के लिए अधिकृत हैं, जो उन्हें पालन कराने के लिए हैं वे स्वयं ही उस क़ानून को मजाक बनाए हुए हैं। बस एक क़ानून फिर उसके बाद क़ानून पार्ट २ फिर कानून पार्ट ३ फिर क़ानून पार्ट ४ ......... निरंतर....सतत .... कोई माने न माने पर क़ानून है और उसके पालन के लिए विधायिका , कार्यपालिका, न्यायपालिका व मीडिया
अपने स्तर पर जतन करेंगे ........
भ्रष्टाचार रोकने के लिए क़ानून की नहीं आत्मचेतना और नैतिक मूल्यों के जागने की जरुरत होती है हमारे देश के लोग आदतन अपराधी हैं वो हर कदम जान अनजाने में कोई न कोई क़ानून तोड़ रहे हैं चाहे पेशाब करते समय हो या फिर सिगरेट पीते समय......
सामान नागरिक क़ानून के लिए अन्ना हजारे बात नहीं करेंगे न ही मरने को तैयार होंगे जबकि देख रहे हैं की देश में मात्र धर्म परिवर्तन कर लेने से आपके संवैधानिक अधिकार बदल जाते हैं। आप हिन्दू हैं और धर्म के नाम पर पशु बलि दे रहे हैं तो आप अपराधी हैं लेकिन यदि मुस्लिम हैं तो चाहे तो भोजन के लिए या फिर धर्म के नाम पर पशु ह्त्या करिए कोई माई का लाल आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता....... क्यों.....क्यों..... क्या संविधान हमें इस बात की अनजाने में प्रेरणा नहीं दे रहा की बेहतर होगा की कोई ऐसा धर्म अपना लो जो कि तुम्हे अल्पसंख्यक बना दे ????? क्या इन बातों से अन्ना हजारे बेखबर हैं???
वो सब जानते हैं लेकिन जब हमारे देश में राजनैतिक और सामाजिक अस्थिरता लानी होती है तो विदेशों में बैठे वो लोग जिनके पास हमारे देश के रिमोट कंट्रोल हैं ऐसे लोगों को इस्तेमाल करा करते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि भारत कि बेवकूफ जनता ऐसे लोगों के बहकावे में हमेशा से आ जाती है चाहे वो मोहम्मद अली जिन्ना हो या कोई और....... हमें लगने लगता है कि यही हमारा सच्चा हितैषी है तारणहार है.......
लोकपाल बन जाने के बाद न तो हमारी प्यारी जनता द्वारा चुने गए सांसद, विधायक आदि कोई क़ानून तोड़ेंगे और न ही जनता कोई गलत काम करेगी। कड़े क़ानून बना लेना और उन्हें अमल में लाना दो अलग अलग बातें हैं जो क़ानून मौजूद हैं वे ही काफी हैं यदि सही हाथों में हों ....... लेकिन सर्वाधिक भ्रष्ट तो हमारे देश कि न्यायपालिका है जिसे भ्रष्ट कह देने पर ही आप अपराधी हो जाते हैं जबकि हर न्यायालय में हर आँख वाला अँधा इस भ्रष्टाचार को सुबह से शाम तक देखता है।
जब तक जनता कि सोच नहीं बदलेगी कोई भी क़ानून हो वो बेअसर रहेगा। गिरफ्तार हुए राजनेता किस तरह से जेलों में रंडियां नचवाते और ऐश करते हैं ये क्या हमारी अंधी जनता को नहीं दिखता???
कुछ भी हो मोमबत्तियां बेचने वाले बहुत खुश हैं कि इस तरह से आन्दोलन चलते रहे तो धंधा अच्छा होता है
जय जय भड़ास

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