अंततः प्रवीण शाह और अमित जैन दोनो गधे नहीं बल्कि महागधे ही सिद्ध हुए - भाग पांच

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

प्रवीण शाह ने लिखा है कि वो जैन नहीं है लेकिन जैसे ही अमित जैन अनूप मंडल बनाम जैन विषय पर अमित जैन अपनी मसखरी भरी कुटिलता से सामने आते हैं तो ये सामने जरूर आ जाता है जबकि घोषित तौर पर ये इस विषय से हट चुका है। प्रवीण शाह ने लिखा है कि अनूप मंडल का कोई भाविक जैसा कि ये भाई मुनेन्द्र सोनी को जबरन ही अनूप मंडल सिद्ध करने में जुटा रह चुका है कम से कम दस लेख लिखने वाले हैं तो देख लो प्रवीण शाह कि कुछ तो मैंने ही लिख दिए हैं बाकी कसर अनूप मंडल वाले और भड़ासीजन पूरी कर देंगे। इन लोगों ने नज़रों का धोखा सिद्ध करने के लिये यू-ट्यूब से जिन वीडियोज़ को उठा कर प्रस्तुत करा है वह बचकाने हैं तुम लोग अब तक समझ ही नहीं पाए हो कि तुम्हारा पाला किनसे पड़ गया है। चित्र से लड़की निकाल कर दिखाते उस बालक ट्रिक मास्टर की ट्रिक तो मै दुनिया को खोल कर दिखा दूं कि किस समय वह लड़की प्रस्तुत हुई है दूसरी बात कि वह "अनकट" वीडियो नहीं है।
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई

2 टिप्पणियाँ:

प्रवीण ने कहा…

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एक पोस्ट भेज दी है भड़ास पर छापने के लिये, उसी में आपका जवाब है, देखिये मॉडरेटर कब छापते हैं... वैसे मैं कहीं न तो भागा हूँ, न भागने वाला हूँ और न ही हथियार डाले हैं... 'बकवास' को बकवास ही कहा और सिद्ध भी किया जायेगा ही... इतना लंबा चौड़ा लिखने की बजाय आप खुद यह बताईये कि क्या आप बिना कटे पपीतों से ढेर सा माल निकलने के इस प्रकरण में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि किसी गुप्त-पारलौकिक सिद्धि से यह कर पाना संभव है ?... मैं तो इसे 'बकवास' और 'बेवकूफ बनाने के लिये सफलतापूर्वक की गई ट्रिक' ही मानूंगा... आप नहीं मानते तो इसका पूर्वघोषणा के साथ वैज्ञानिक व तार्किक नजरिये से विश्लेषण करते हुए पुनर्प्रदर्शन करवा के दिखलायें... यह याद रखिये कि इस तरह के दावे करने वाले तो अनेकों हैं परंतु साबित किसी ने नहीं किया कभी...


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डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

प्रवीण भाई अभी नेट से जुड़ा तो देखा कि एक पोस्ट मेल द्वारा आयी है बिना किसी संपादन के प्रकाशित करी गयी है इस बात की आप टिप्पणी करके पुष्टि कर दें यदि वह पोस्ट आपकी लिखी है क्योंकि हमें ये नहीं पता चलता कि वह पोस्ट किसने भेजी है।
मैं स्वयं उस प्रकरण में गहरी दिलचस्पी इसलिये रखता हूं कि यदि चालीस रुपये के पपीते से चारसौ रुपए का सामान निकाल लिया जाने की कला को सीख लिया जाए तो काफ़ी समस्याएं हल हो जाएंगी।
आप मुंबई के दस-बारह ब्लागरों को भेजिये ताकि उनकी उपस्थिति में इस तांत्रिक से मुर्गी,अंडा,बकरा,दारू सब चालीस रुपए के पपीते से निकाल कर अण्णा हजारे की सफ़लता का भड़ासोत्सव मनाया जाए लेकिन वो ससुरा उन सबको भी एक साथ चूतिया न बना लेगा ये सवाल सता रहा है क्योंकि हम पांच को तो एक साथ बना दिया उसने और अब तक हममें से कोई भी तमाम तरीके अजमा कर कुछ न समझ पाए।
जय जय भड़ास

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