लोकपाल स्वर्ग से लाया जाएगा और विधायक,सांसद नीम के पेड़ से टपकते हैं

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

अण्णा हजारे को सठियाए हुए बाइस साल हो चुके हैं तो सोच सकते हैं कि सठियापा कितना परिपक्व हो चुका होगा। हमारे देश की जनता को भेड़चाल की सदियों पुरानी परम्परा निभाने की आदत है सो वही कर रही है। बाबा रामदेव से कामदेव तक कोई भी आ जाए सबके पीछे चल देते हैं। जिसे देखो वही मोमबत्ती लेकर चल पड़ता है मेरा भी मन करता है कि मोमबत्तियां जलाऊं लेकिन जलती हुई मोमबत्ती ऐसे गधे लोगों के पीछे जलती हुई घुसा दूं ताकि अंदर प्रकाश हो जाए।
"सरकार" क्या है? जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधि सांसद, विधायक,नगरसेवक आदि क्या कम हैं, रिटायर्ड जजों का पेट नौकरी में रहते नहीं भर पाता या आयोगों से पेट नहीं भरता जो अब एक लोकपाल की भी जरूरत है जो कि नए अंदाज में जनता का खून पाइप लगा कर पियेगा। लोग कह सकते हैं कि मुझ ढक्कन को क्या मालुम कि लोकपाल विधेयक क्या है लेकिन क्या अण्णा हजारे को नहीं पता कि यदि देश में विधि के अनुसार चलने का आश्वासन देने वाला संविधान ही समीक्षा की स्थिति में आ चुका हो तो लोकपाल क्या घंटा बजाएगा। भ्रष्टाचार के निर्मूलन की पिपिहरी रामदेव से लेकर अण्णाहजारे तक फूंक रहे हैं। कोई लेकिन ये नहीं बताता कि क्या लोकपाल विधेयक के आ जाने से क्या संविधान की समीक्षा होगी?
सांसद, विधेयक, पार्षद आदि भी जनता के प्रतिनिधि होते हैं यानि कि जनता हरामी होती है जो अपने में से महाहरामी को चुनती है। सरकार को तो अण्णा हजारे इस तरह से दर्शा रहे हैं जैसे वह कोई ऐसी सत्ता हो जो कि अंतरिक्ष से उतर कर भारत पर काबिज हो गयी हो। अरे बब्बा जी हम जानते हैं कि तुम अपने चमचों के लिये रास्ता खोलने की कवायद कर रहे हो इससे ज्यादा कुछ नहीं। जनता का समर्थन तुम्हें हो न हो लेकिन हमारे महान देश के बिकाऊ मीडिया का भरपूर सहयोग है जो कि कैसे मिलता है ये हम गंवार भड़ासी भली प्रकार से जानते हैं।
लोकपाल विधेयक आ जाए या परलोकपाल लेकिन जब तक जनता की प्रवृत्ति नहीं बदलती सरकार-असरकार सब ऐसा ही हरामजदगी भरा रहने वाला है।
जय जय भड़ास

4 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

आप को सठियाए कितने साल हो गए ,जरा ये भी तो बताओ

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

bhaiya/bahan/na bhai na bahan benami ji, abhi mujhe sathiyane mein kareeb utna hi waqt bacha hai jitna ki anna hajare ko sathiyaye huye ho chuka hai.
mummy-daddy ne naam nahi rakhaa aapka ye galat kara.
jay jay bhadas

प्रवीण ने कहा…

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"लोकपाल विधेयक आ जाए या परलोकपाल लेकिन जब तक जनता की प्रवृत्ति नहीं बदलती सरकार-असरकार सब ऐसा ही हरामजदगी भरा रहने वाला है।"

एकदम सही जगह पर सही समय ठोके हैं डॉ० साहब, यह 'हरामखोरी', यह 'भ्रष्टाचार' अब हम सबके DNA में मानो समा सा गया है... जब तक प्रवृत्ति नहीं बदलती... सब कुछ ऐसा ही रहेगा !!!



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डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

कमोबेश तमाम भड़ासियों के DNA में ऐसा कुछ नहीं होगा ऐसा यकीन है ये हरामजदगी का न होना ही है जो भड़ास को जीवित रखे है.....
जय जय भड़ास

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