अमित भाई कमेंट के बारे में स्पष्टीकरण देना जरूरी है लेकिन मैं अंधविश्वासी होने के आरोप से मुक्ति चाहता हूं

रविवार, 1 मई 2011

अमित भाई आपने कमेंट्स के बारे में जानना चाहा है तो आपको बताना चाहता हूं कि इस बात पर मैं अनूप मंडल की बात से सहमत हूं कि भड़ास का कोई सदस्य ही इस तरह का कमेंट कर सकता है। भड़ास पर अक्सर ही लोग अपना विरोध जताने के लिये कमअक़्ली के चलते लोगों की मां-बहनों को गालियां लिखते हैं जो कि हम भड़ासी बर्दाश्त नहीं कर सकते, जिससे विरोध है उसे गाली दो मां बहन बेटी ने क्या बिगाड़ा है हमारे लिये तो कोई शत्रु नहीं लेकिन वैचारिक विरोध करने वाले की मां बहन भी आदरणीय हैं जैसे कि हमारी अपनी मां बहन हैं आशा है कि आप इस बात से सहमत होंगे ही।
जब तक भड़ास का कोई सदस्य साइन-इन करने के बाद चाहे तो बेनामी/किसी दूसरे नाम से या अपने असल पहचान से टिप्पणी कर सकता है लेकिन यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो कि सदस्य नहीं है वह कमेंट करे भी तो बिना संचालक की अनुमति के कमेंट प्रकाशित नहीं हो सकता है। इसलिये शालू जैन जी द्वारा करा गया कमेंट किसी भड़ास के सदस्य की ही खुराफ़ात है जिसे अनूप मंडल के लोगों ने आपकी करतूत बताया है ये उनका पूर्वाग्रह है कि किसी भी गड़बड़झाले में उन्हें आप ही नजर आते हैं और शालू जी भी जैन हैं तो बस हो गया आप पर संदेह और दिखा दिया उन्होंने अपना स्टाइल......।
आपने लिखा कि आप अंधविश्वास के विरोध में हैं तो मैं भी हूं मेरे साथ हुई घटना की विवेचना में मैं कह सकता हूं कि मैं स्वयं डाक्टरेट की उपाधि धारण करता हूं और "शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधियों का परिरक्षण" विषय पर शोध कर चुका हूं, ढेर सारे शोध पत्र लिख चुका हूं तमाम पत्र-पत्रिकाओं में एड्स से लेकर अनेक जटिल व्याधियों पर सतत लिखता रहा हूं। आजकल व्यस्तता के कारण आयुर्वेद-पत्रकारिता पर विराम लगा है। मैं प्रवीण शाह जी या हर उस व्यक्ति से सहमत हूं जो कि धार्मिक अंधविश्वास का विरोध करता है किन्तु मैं साइंस की मौजूदा सीमा को समझता हूं इसलिये साइंटिफ़िक अंधविश्वास के भी पक्ष में नहीं हूं, इस क्षेत्र में अनंत संभावनाएं है क्योंकि अपार अधूरापन है हम साइंस का पैमाना लेकर अभी भी सृष्टि में जीवन की उत्पत्ति से लेकर सामाजिक जीवन के आधार "धर्म" तक पर नजर डालिये कि अब तक लोग "विकासवाद के सिद्धांत" में अटकलें लगा रहे हैं। आप यदि इस प्रकरण पर शोध की प्रक्रिया को स्पष्ट करें तो बेहतर होगा कि आप किस तरह से इस प्रकरण में रहस्योद्घाटन करेंगे कि ये सब मात्र भ्रम या हाथ की सफ़ाई(?) है। यू-ट्यूब के वीडियोज़ या क्लोज-अप मैजिक ट्रिक्स दिखाने वालों के उदाहरण पर्याप्त नहीं हैं ये कह देने के लिये कि हम सभी भ्रमित थे और अब तक हैं। संजय कटारनवरे ने लिखा है कि साक्षी की निजता को तो संविधान भी महत्त्व देता है तो क्या आपको लगता है कि मेरे जैसे तटस्थ व्यक्ति को एक चूतिया किस्म का तांत्रिक आसानी से मूर्ख बना सकता है? कृपया आप अपनी प्रक्रिया स्पष्ट करें क्योंकि अब तक आपने जो प्रस्तुत करा है वह महज अनूप मंडल के विरोध में आपके अंदाज में करे गए प्रयास थे। मैने कभी इस बात से इन्कार नहीं करा कि कोई विद्वान ब्लागर आकर न सिर्फ़ वीडियो का परीक्षण कर ले बल्कि मुझे और सभी प्रत्यक्षदर्शियों को सम्मोहित करके बयान ले ताकि हमारा मन किसी पूर्वाग्रह का प्रकरण में मिश्रण न कर सके। आप लोग निर्धारित करें कि कौन कौन से ब्लागर इस बात की जांच में आगे आने को तैयार हैं उनका स्वागत है लेकिन पहले देख लीजियेगा कि ब्लागर शैक्षिक तौर पर अधिकृत और प्रामाणिक हों और साइंस की समझ रखते हों क्योंकि शोध कर्म मात्र बातों या जिरह पर आधारित नहीं होता।
मुझे आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी क्योंकि मैं अंधविश्वासी होने के आरोप से मुक्ति चाहता हूं और हृदय से उन मित्रों का आजीवन आभारी रहूंगा जो इस विमर्श में भाग ले रहे हैं।
जय जय भड़ास

6 टिप्पणियाँ:

sanjay ने कहा…

आदरणीय डा.साहब आपसे निवेदन है कि मुझे भड़ास की सीधी लेखक सदस्यता दें ताकि मुझे अपने आलेख/टिप्पणी के प्रकाशन के लिये प्रतीक्षा न करनी पड़े और मैं सीधे ही लिख सकूं जैसे कि अमित जैन,मुनेन्द्र सोनी,मुनव्वर आपा आदि लिखा करते हैं। वैसे जैसा आप उचित समझें क्योंकि आपने आज तक मेरा एक भी आलेख का एक भी शब्द संपादित करके काटापीटा नहीं।
आपके आलेख पर न तो प्रकाश गोविन्द आएगा न ही किसी और में इतना साहस है कि आपकी तरह बिना लागलपेट के दिल की बात को कह सके। मैंने आपके वीडियो को संदिग्ध माना इस पर आपने जरा भी बुरा नहीं माना क्योंकि आप शोधार्थी रह चुके है। अमित जैन ने आज तक जो भी इस प्रकरण में लिखा है वह विषय से भटकाने के लिये ही लिखा है मेरे नवीनतम आलेख में देखता हूं क्या प्रक्तिक्रिया आती है। आप स्वयं देख रहे हैं कि कौन क्या लिख रहा है। प्रवीण शाह को तो लगता है मुंह मे बवासीर हो ग्या है जो कि उन्हें भड़ास पर किसी एक मान्यता का कब्जा प्रतीत होता है।
जय जय भड़ास

हरभूषण ने कहा…

संजय कटारनवरे जी ब्लागर के नये नियम से किसी सामुदायिक ब्लाग के सौ से अधिक सदस्य नहीं बन सकते तो डा.रूपेश जी ने इसे ई-मेल से जोड़ दिया कि कोई भी लिख सके तो आप भी लिखिये। आपने अमित जैन से नीचे की पोस्ट लिखवाने में काफ़ी मेहनत करवा दी:)

dr amit jain ने कहा…

डॉ साहब मैंने आप को अन्ध विश्वाशी कभी भी कही भी नहीं कहा है
श्रीमान संजय और अनूप मंडल सिर्फ एक रट लगा रहे है की शोध हो ,
पहला सवाल - इस विषय पर शोध कोन करेगा ?
दूसरा सवाल - क्या अब तक कोई शोध किया गया है ?
तीसरा सवाल - अगर कोई शोध किया गया है तो उस के नतीजे क्या रहे ?
चोथा सवाल - क्या संजय , अनूप मंडल या कोई भी व्यक्ति बच्चो जैसा व्यवहार कर के दूसरे पर दोषारोपण कर सकते है की उन्हें शोध से हटाया जा रहा है जबकि वास्तिवकता मे अब तक इस पर कोई कार्य ही नहीं हुआ है ?

sanjay ने कहा…

अमित तुम्हारी बात का शब्दशः उत्तर एक पोस्ट के रूप में देता हूं।
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई

dr amit jain ने कहा…

हर जवाब का इंतजार रहेगा जनाब संजय ....:)

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

आप और अंधविश्वासी क्या बकवास है भाई?
आप भी किन चक्करों में उलझ रहे हैं किसी के आरोप लगा देने से भला क्या होगा जिसे जो कहना है कहता रहे आप अपने काम में जुटे रहिए।
जय जय भड़ास

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