डॉ.रूपेश का कमेंट क्या है दुनिया देख ले.... प्रवीण शाह सिद्ध हो गया कि तुम रेहान अंसारी से ज्यादा धूर्त हो

सोमवार, 16 मई 2011


मैं कहता हूँ - मैं तुम जैसे मक्कारों का दोस्त तो हरगिज़ नहीं हूँ। धूर्त को धूर्त और मक्कार कह कर मैंने तुम्हारा अपमान नहीं करा बल्कि तुम हर बार डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जैसे निष्पक्ष संचालक पर झूठे आरोप लगा कर बता रहे हो कि तुम क्या हो। संवाद तो अच्छाई और बुराई के बीच चल रहा है भड़ास किसी के संवाद का निजी मंच नहीं कि कोई किसी को बीच में बोलने से रोक सके। तुम बुराई और मक्कारी के पक्षधर हो। मैं लाख बार कहूँगा कि मैं डॉ.रूपेश श्रीवास्तव की ईमानदारी के प्रति वफ़ादार हूँ और सदा रहूँगा।
धूर्त प्रवीण शाह कहता है -
दोस्त न मैं तुम्हें जानता हूँ, न जानना ही चाहता हूँ... न ही आपस में एक दूसरे को अपमानित करते अपशब्दों की होड़ शुरू करने का मेरा इरादा है... यह संवाद मेरे और डॉ० साहब के बीच चल रहा है और हम दोनों ही अपनी बात कहने में सक्षम हैं... तुम बीच में घुस कर क्या करना चाह रहे हो... वफादारी दिखाने के कई और भी तरीके हैं, उन्हें आजमाओ... :)... कहता हूँ - अरे मक्कार, महागधे(बकौल संजय कटारनवरे) चित्र दिखा रहा है कि डॉ.रूपेश ने क्या कमेंट करा है और तू पाठकों को भ्रमित करने के लिये लिख रहा है कि उन्होंने स्वीकारा है कि पोस्टें थी और उन्होंने प्रतिक्रिया भी दी थी। तो ब्लागर ने ही संचालकों ने कुछ करा है तू और वो तेरा मुद्दई अमित जैन जानबूझ कर काले जादू की असलियत वाले मामले से लोगों का ध्यान हटाने के लिये ये सब जाल फैला रहे हैं।
धूर्त प्रवीण शाह कहता है -
डॉ० साहब के कमेंट http://bharhaas.blogspot.com/2011/05/blog-post_4047.html#comment-7910727118315894044 से कम से कम यह तो स्थापित हो ही गया है कि पोस्टें थी व उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया भी दी थी... अब वह पोस्टें कहाँ गई यही मेरा सवाल है... ब्लॉगर ने अभी तक वापस नहीं लगाई या किसी के द्वारा मिटा दीं गई...
क्या बात है अमित जैन आजकल शीतनिद्रा में चला गया है या कोई नया मायाजाल रच रहा है बेवकूफ़ी भरा :)
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

प्रवीण ने कहा…

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दोस्त शम्स,

हर आदमी अपनी ही जुबान में बात करने को आजाद है, हो सकता है कि अपनी असली जिंदगी में भी तुम ऐसे ही बतियाते हों , मुझे कुछ बुरा नहीं लग रहा तुम्हारा यह प्रलाप... परंतु एक बार फिर दोहराना चाहूँगा कि कोई भी ( चाहे भड़ासी ही क्यों न हो ) अगर किसी दूसरे को ' काला कौवा ' कह दे तो न तो उसके ऐसा कहने से न तो कोई काला हो जायेगा न ही हवा में उड़ने लगेगा...

अब बताओ कि...

" मैंने आपको खुले दिल से बताया कि आप किस तरह शैतान बन चुके हैं मैंने इस बात का रहस्योद्घाटन आपको रुद्राक्षनाथ बन कर दिखा दिया था। " यह किस संदर्भ में लिखा जा रहा है ?



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