उर्दू के स्वयंभू मठाधीश ही उर्दू की कब्र खोद रहे हैं भाग - ६
सोमवार, 16 मई 2011
तुम उर्दू भाषा और नस्तालिक लिपि से प्यार करने वालों के प्यार के टके करा के चांदी काट रहे हो लेकिन अब तो तुम लोग ऐसा कुकर्म कर रहे हो जिससे कि उर्दू भाषा और नस्तालिक लिपि से प्यार करने वालों का करोड़ों रुपया ऐसे लोगों की जेब में भेज रहे हो जो कि शायद हम लोगों को ही मारने के लिये उस धन से हथियार विकसित करते हैं। तुम्हारी बकवास को तुम्हारे ब्लाग पर पढ़ने के लिये जो उर्दू के आशिक पहुंचते हैं तुम उन्हें विवश करते हो कि वो "फ़ैज़ नस्तालिक" फ़ौन्ट की २३.५ मेगाबाइट की भारी भरकम फाइल डाउनलोड करें और फिर उसे अनज़िप करके उस फ़ौन्ट को अपनी विन्डोज़ के फ़ौन्ट फोल्डर में रखें। अब जरा ये देखो कि तुम्हारे स्वयं को बहुत बड़ा विद्वान और अविष्कारक विद्वान जताने के इस कुकर्म से कितना धन निचुड़ कर इंटरनेट के रास्ते हम जैसे उर्दू भाषा और नस्तालिक लिपि को प्यार करने वालों की जेब से देश से बाहर चला जाता है। सामान्यतः आजकल इंटरनेट पर लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार "यूज़र्स प्लान" लिया करते हैं जैसे कि महीने भर में एक जी.बी. या फिर दो जी.बी. आदि लेकिन तुम जैसे लोगों ने इस आवश्यकता में हमारे प्यार की भावना को निचोड़ा है जिस पर २३.५ मेगाबाइट का भार डाला। विद्वान पाठक विचार करें कि आपके प्लान से अतिरिक्त डाउनलोडिंग पर आपका "नेटवर्क प्रोवाइडर" प्रति मेगाबाइट(mb) कितना मूल्य लेता है। यदि एक मेगाबाइट अठन्नी(मैं बहुत ज्यादा नहीं मात्र पचास पैसे बता रहा हूं कई एक नेटवर्क प्रोवाइडर आपसे प्लान के अतिरिक्त इस्तेमाल का प्रति मेगाबाइट एक रुपया तक वसूलते हैं)। अब आप सोचिये कि हमारे देश में ही अनुमानतः बीस करोड़ मुस्लिम हैं जिनमें से लगभग आधे लोग उर्दू पढ़ते, लिखते और बोलते हैं। चलिये मैं इस आंकड़े से भी बहुत कम लेते हुए मान लेता हूं कि यदि उर्दू जानने लिखने पढ़ने वाले लोग दो करोड़ लोग ही हमारे देश में ऐसे होंगे जो कि कम्प्यूटर पर इंटरनेट इस्तेमाल करते होगे और उनमें से आधे लोग भी इस फ़ौन्ट को डाउनलोड कर लें महज इसलिये कि वो सुन्दर बैसाखी है जिस पर ये उर्दू को घिसटते हुए चलने के लिये मजबूर करे हुए हैं तो तुरन्त ही हमारे देश से उर्दू प्रेमियों का पचास लाख रुपया इन बनियों के भाईयों उन नेटवर्क प्रोवाइडर्स की जेब में चला जाता है जो कि उस पैसे का न जाने क्या-क्या इस्तेमाल करते हैं। सोचिये कि उर्दू पूरी दुनिया भर में तमाम मुल्कों में जानी, समझी और पढ़ी जाती है तो इन लोगों ने उर्दू प्रेमियों का कितना बड़ा नुकसान करा है यानि कि कई सौ करोड़ रुपए का दंड सिर्फ़ उर्दू से प्रेम का जुर्माना। एक बात और भी है कि ये पैसा इन बनियों की जेब में भी नहीं जाता लेकिन बस होते हैं कुछ लोग ऐसे जो अपनों को ही कष्ट देकर खुश होते हैं यही तो राक्षसपन है। मेरा दिल तुम लोगों को इन्सान मानने को तैयार नहीं होता है। मौका है कि अब भी सुधर जाओ वरना यही उर्दू से प्यार करने वाले तुम्हारी हालत खराब कर देंगे।
जय जय भड़ास
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