उर्दू वाले गालियाँ तो देते हैं लेकिन हिंदी और अंग्रेजी में....

मंगलवार, 10 मई 2011

आप सब जानते हैं कि भड़ासी शम्स तबरेज़ जी को मैंने अपने एक (अ)परिचित चिट्ठाकार डॉ।श्री रेहान अन्सारी जी के कुछ मेल अग्रेषित करे थे। विदित हो कि डॉ।रेहान अन्सारी उर्दू भाषा की नस्तालि लिपि में चिट्ठाकारी करने वाले सज्जन हैं जिन्होंने हाल ही में यह "पुण्यकर्म" शुरू करा है। शम्स भाई आपने इन पत्रों को पढ़ने के बाद में मुझे गालियाँ पड़वाने का पूरा प्रबंध कर लिया है जिसकी शुरूआती खुराक मिलनी शुरू हो गयी है। जिसका प्रमाण मैं चित्र के रूप में सामने रख रहा हूँ। इस पूरे प्रकरण में एक बा और साफ़ हुई है कि डॉ।रेहान अन्सारी एक वाकई त्रिकालदर्शी व चमत्कारिक चिकित्सक हैं भले ही वे कैसे भी ब्लॉगर हों क्योंकि आप देख रहे हैं कि उन्होंने बिना मेरी नब्ज़ देखे या मल-परीक्षण करे ये जान लिया कि मेरा हाज़मा खराब है। मैं स्वयं भी एक चिकित्सक हूँ लेकिन निःसंदेह महाशय अन्सारी के सामने अत्यंत एक घटिया चिकित्सक हूँ क्योंकि अब तक अपना इलाज नहीं कर पाया बीमारी तो हज़रत ने बता ही दी है गाली देकर शॉक ट्रीटमेंट भी देना चाहा है अब शायद गाली के आगे गोली देना चाहेंगे।
उर्दू मे यदि दो शत्रु कुछ देर वार्तालाप कर लें तो वे अंततः मित्र बन जाते हैं ये मिठास है इस भाषा की इसीलिये जो भी गाली गलौज आदि करा जाता है वह हिंदी या अंग्रेजी में करा जाता है ताकि उर्दू की मिठास बरकरार रहे। शायद व्यापार में जो झूठ बोले जाते होंगे उसके लिये भी उर्दू उपयुक्त नहीं है इसलिये गाली देने वाले सज्जन(?) स्वयं अंग्रेजी में ब्लॉगिंग करते हैं।
डा।रेहान अन्सारी जी आप सचमुच महान निकले लेकिन उससे भी ज्यादा जितना कि आपके बारे में अपने एक आदरणीय बड़े भाई तुल्य सज्जन से सुना था। मैं तो बिना किसी आपत्ति के आपको ही पहला, बीच का और आखिरी उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, हिब्रू आदि आदि इत्यादि समस्त भाषाओ और लिपियों का ब्लॉगर मान लेता हूँ इसके लिये किसी सूचना की आवश्यकता नहीं है। पनवेल से थूक कर आप तक पहुँचा सकूं इतना बल नहीं है वरना वैसे भी गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड में नाम दर्ज़ हो जाता और प्रसिद्ध हो जाता। मुझे तो आपकी तरह उर्दू में दहाड़ने वाले शेर-शेरनी भी नहीं आते क्या करूं हिंदी के चूहे-बिल्लियों में ही चिकिर-चिकिर म्याऊं-म्याऊं कर लेता हूँ।
जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

ज़ैनब शेख ने कहा…

बाबू जी आप गलत मत मानिये लेकिन जितने मक्कार उर्दू अदब में हैं उतने आपको कहीं नहीं मिलेंगे जुबान अच्छी है लेकिन उसे बोलने वाले एक नंबर के चालाक,फ़रेबी,धोखेबाज़

अनोप मंडल ने कहा…

डा.साहब आपको गाली देने वाले राक्षस ही हैं जो बस बेचना बेचना और बेचना ही जानते हैं कभी साफ़्टवेयर बेचते हैं कभी दाल-चावल और कभी हथियार और कफ़न। इनका सर्वनाश हो
जय जय भडास
जय नकलंक देव

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