कुमारी(?) शालू जैन और (अ)सुरेश वर्मा अभी तक पधारे नहीं ब्लागर की सुरक्षा तोड़ कर....
सोमवार, 9 मई 2011
ब्लागर की सुरक्षा को तोड़ कर जो लोग कमेंट कर सकते हैं उनके बारे में क्या कहा जाए। ये लोग तभी पधारते हैं जब कि अमित जैन को बैसाखी के सहारे की जरूरत होती है क्योंकि वे खुल कर तो दीनबंधु या बुजुर्गवार मोहम्मद उमर रफ़ाई को बुरा भला नहीं बोल सकते आखिर किस किस से पंगा लेंगे। प्रवीण शाह आए भी हैं तो अमित की बेवकूफ़ियों पर कब तक वाहवाही के कसीदे पढ़ेंगे? शालू जैन या सुरेश वर्मा ही नहीं इस तरह के न जाने कितने किरदार भड़ास पर पैदा होकर वापिस गर्भ में लौट चुके हैं ये तो पुराने भड़ासी जानते हैं कि जब हिन्दुस्तान का सिरदर्द नाम से भड़ास चलाने वाले बंदे ने खूब पेट्रोल की लघुशंका करी थी। माफ़ कर देते हैं हम जैसे भड़ासी इन जैसे चिरकुटों को जो कि इस तरह के मुखौटे लगा कर सुस्सू करने का प्रयास करते हैं।
जय जय भड़ास
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