गड़बड़झाला, खूब घोटाला.

सोमवार, 6 जून 2011







गड़बड़झाला, खूब घोटाला...
लोकतंत्र का बज गया बाजा...

मुंह खोला तो खैर नहीं है...
अंधेर नगरी, चौपट राजा।

कौन नहीं है भ्रष्ट तंत्र में!
निकल रहा सब ओर दिवाला।

किस-किस की गर्दन पकड़ोगे...
उजली खादी, पीछे काला।

बाबाजी न करो सियासत...
जिसका काम, उसी को साजा।

अनशन से अब होगा न कुछ...
करो क्रांति, थामो भाला।


अमिताभ बुधौलिया

0 टिप्पणियाँ:

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP