चैत्यभूमि कहो या दैत्यभूमि दादर तो दादर ही रहने वाला है
शुक्रवार, 3 जून 2011
आजकल मुंबई में दादर का नाम बदलने की बड़ी उठापटक चल रही है। जिस राजनैतिक पार्टी को देखो वह इस बात के पीछे पड़ी है कि किस तरह कथित दलितों और अल्पसंख्यकों को अपने साथ रख सकें। अब ये महामूर्ख दलित और अल्पसंख्यक ये नहीं समझते कि दादर या किसी के फादर का नाम बदल देने से कुछ नहीं होता बल्कि अमल बदलने पड़ते हैं तरक्की के लिये। शिवसेना के साथ आठवले मिल गया तो सब बौखलाए हुए हैं कि कहीं कुछ राजनैतिक बदलाव न हो जाए। जब तक ये नाम बदलने की बकवास से ऊपर हमारे नागरिकों की सोच नहीं जाती कुछ नहीं बदलने वाला ये इन्हीं बातों पर वोट देते रहेंगे।
रही बात प्रवीण शाह या अमित जैन की तो वे शिखर पर बैठे धूर्त हैं जो भड़ास में घुस कर अपनी करतूतें करते रहते हैं। अमित जैन अपने कमेंट में लिखता है कि डा.रूपेश बड़े संयत आदमी हैं तो ये शायद यही परखना चाहता है कि किसमें कितना संयम है। अरे धूर्तों ! भड़ासी असंयमित नहीं हैं वरना भड़ास का अस्तित्त्व कबका बाजारू हो जाता। प्रवीण शाह, अमित जैन, गुफ़रान सिद्दिकी, रणधीर सिंह सुमन और डा.दिव्या श्रीवास्तव जैसे लोग जो कि अपनी धूर्तता के चलते ब्लागिंग में अपने लिबलिबे रीढ़विहीन विचार स्थापित करने के लिये लगे रहते हैं उन्हें हमारे जैसे भड़ासी कामयाब न होने देंगे। ये सारे बेनामी गालियाँ ही दे सकते हैं जैसा कि अभी डा.रूपेश जी ने एक स्क्रीन शॉट प्रस्तुत करा है। हम इन्हें इसी तरह पगला कर गालियाँ देने पर मजबूर करके ब्रेनहैमरेज कराते रहेंगे।
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
.
.
.
प्रिय संजय,
किसी पुरानी जगह या संस्थान का नाम बदल देने से किसी का कोई भला नहीं होने वाला, आपसे सहमत ! पर इन वोट के सौदागरों में इतनी ही अकल होती है ... :)
मेरे बारे में आपका आकलन सही नहीं है यहाँ पर बस इतना ही कह सकता हूँ... :(
ब्लॉगिंग में अभी काफी लंबा सफर तय करेगे हम दोनों और आप भी एक न एक दिन मेरे बारे में अपना यह नजरिया बदलोगे, यह मेरा विश्वास है ... :)
...
प्रवीण शाह जी मैं भी आपके बारे में राय बदलने की इच्छा रखती हूँ लेकिन अब तक आपने जो भड़ास पर प्रस्तुत करा है वह निरा कपट औ कुटिलता से भरा ही रहा है, तर्कशून्य तथा तथ्यहीन रहा है और ऊपर से तुर्रा ये है कि आप भड़ास के निष्पक्ष संचालन पर दे दनादन आरोप लगाए जा रहे हैं। खुद डॉ.रूपेश जी आप व अमित जैन से सीधा राब्ता कर चुके हैं लेकिन आप लोग बड़ी दुर्नीतिपूर्ण चुप्पी साधे हुए हैं।
सिर्फ़ संजय ही नहीं बल्कि आप लोगों के अनुसार बस दस-बारह बेवकूफ़ों को भी अपने नजरिये के बदलने के लिये आपके ईमानदार होने का इंतजार है। पूरी उम्मीद है कि आप भड़ास के दर्शन को आत्मसात कर पाएंगे।
जय जय भड़ास
प्रिय संजय,
राणीचा बाग -जिजामाता उद्यान , विक्टोरिया टर्मिनस -छत्रपती शिवाजी टर्मिनस , कुर्ला - टिळक टर्मिनस, बॉम्बे -मुंबई....... ऐसे दर्जनभार नामांतर करके क्या बदलाव लाया है आपने तो फिर ईस नामांतर विरोध क्यु ? मगर दलितो कि जब बारि आति है तो पता नहि आप जैसो को मिर्च क्यु और कहा लग जति है ???
ईन सभी नामांतरोंका बहुजन समाज ने समर्थन तथा सन्मान किया है.....और कारते राहेंगे...क्युकि विधायक मॉंग तथा माहापुरषो के नाम का विरोध करना हमारे खुन मे नही है...तो फीर हमारी विधायक मॉंग का विरोध क्यु ?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर कि कर्म भुमी हमेशासे दादर र्ही है ..तो फिर दादर रेल्वे स्टेशन का नाम चैत्यभूमी करनेसे किसिका क्या बिगडेगा .......मगर कुछ बहुजन विरोधि, जिन्हे आंबेडकरी मुव्हमेट का ग्यान नही तथा उच्चआयु से क्षीन हुये दिमाग ईस नामांतर का विरोध कर रहे है, तथा ईससे कुच नही बदलेगा ऐसा कह रहे है..ऐसे लोगोको आपने गिरेबान मे झाककर देखना चहिए कि अबतक ईन्होंने जो दर्जनभर नामान्तर किये है तो ईससे क्या बदलाव आया है ? ईन्हे येभी समझ ना होगा कि यह मुद्दे बदलाव से जादा भावनाओ से जुडे होते
बेनामी जी वैसे तो भड़ास पर बेनामी कमेंट प्रकाशित नहीं करे जाते क्योंकि हमारा सिद्धांत है खुल कर सामने विचार रखना लेकिन चूंकि आप काफ़ी आहत प्रतीत हो रहे हैं इसलिये आपके कमेंट के साथ अपना विचार भी रख रहा हूँ कि उक्त जगह का नाम चैत्यभूमि करने की बजाए मायावती जी के अंदाज में भीमभूमि, अंबेडकरपुर, बाबासाहेबनगर या ऐसा कुछ रखा जाए तो शायद आप ज्यादा खुश हो सकेंगे।
यदि अगली बार अपने परिचय के साथ पधारें तो खुशी होगी।
जय जय भड़ास
एक टिप्पणी भेजें