नजरिया

सोमवार, 4 जुलाई 2011


3 टिप्पणियाँ:

आयशा धनानी ने कहा…

अमित जी कभी कभी तो आप पर दया आने लगती है कि अपनी कुटिलता को छिपाने के लिये क्या क्या करने लगते हो चुटकुलेबाजी, शायरी, कार्टूनिंग अब आगे न जाने किस लिमिट तक जाओगे
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

आयशा दया तो मुझे तुम पर आरही है ,की अब उन नमूनों को बचने के लिए तुम्हे आगे आना पड़ रहा है ,अगर तुम मे कोई इस तरह का शोंक है तो आप भी आ जाओ आजे मैदान मे , आप का भी स्वागत है ,क्यों क्या कार्टून बनाने, शायरी करने , चुटकले लिखने का काम सिर्फ सिर्फ कुटिल लोगो का है , अगर तुम्हारी एसी सोच है तो ,फिर तुम दया की ही नहीं तरस खाने की भी अधिकारी हो जाती हो ,

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

चुटकुले, शायरी लिखना सिर्फ़ कुटिल लोगों का काम नहीं है ये काम तो हमारे जैसे चूतियों के मुखिया भी कभी कभी कर लेते हैं।
जय जय भड़ास

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