जज़्बातों के ठेकेदार डॉ.रेहान अन्सारी

गुरुवार, 21 जुलाई 2011



मुंबई के उर्दू में लिखने वालों में इनका नाम लोग जानते हैं और अब तो पूरी दुनिया जानने लगी है क्योंकि इन्होंने झूठा दावा करा था कि ये "नस्तालिक" के पहले ब्लॉगर हैं। भड़ास पर इनके विषय में अन्य भड़ासियों ने दिल खोल कर लिखा है लेकिन इस आलेख में यह विषय नहीं है। आज मैं इनकी एक और विशेषता पर इनके महान विचारों के चलते बाध्य होकर लिख रहा हूँ । हिंदी/उर्दू में निष्पक्ष पत्रकारिता के तेजस्वी सूर्य की भाँति सदैव अपने चाहने वालों के दिलों में वैचारिक आयाम में जीवंत रहने वाले हृदयस्थ श्री साजिद रशीद जी के पार्थिव देह के विदा होने के बाद फ़ेसबुक पर हमारे आदरणीय बड़े भाई वरिष्ठ नाटककार श्री इक़बाल नियाज़ी ने श्री साजिद रशीद की एक तस्वीर लगाई जिस पर उनके अनेकानेक चाहने वालों ने श्री साजिद रशीद से संबंधित अपनी-अपनी भावनाओं को टिप्पणी के रूप में व्यक्त करा।
डॉ.रेहान अन्सारी इस प्रकरण में साजिद जी के सुपुत्र अल्तमश को कह रहे हैं कि "बेकार के जज़्बात हैं"। इस अभिव्यक्ति पर श्री इक़बाल नियाज़ी ने रेहान अन्सारी से अपने अंदाज़ में बात कही लेकिन चूँकि रेहान अन्सारी ने तो जज़्बातों का ठेका हाल ही में ले लिया है तो भला क्यों मानने चले, लगे हैं ठेकेदारी झाड़ने।
मैं आपसे पूछता हूँ रेहान बाबू कि आपने तो घोषणा कर ही दी थी कि आजकल मेरा हाज़मा खराब है तो अब चूँकि आपने तो अब तक हाज़मा सही करने की दवा नहीं भेजी। भावनाएं(जज़्बात) तो ईश्वर द्वारा मनुष्यों को दिया ऐसा उपहार है जो किसी दूसरे प्राणी को इतने अधिक नहीं दिये गए हैं। आप लिखते हैं कि बेकार के जज़्बात.... जज़्बात सिर्फ़ मृत्यु के बाद व्यक्त करे शोक ही तो नहीं है। दया, क्षमा, करुणा, ममता, स्नेह, वात्सल्य, क्रोध, लोभ, मोह, प्रेम, आकर्षण, शोक, देशभक्ति आदि जैसी प्रबल भावनाएं ही हैं जो कि मनुष्य को मनुष्य बनाती हैं और बिना सींग पूछ के जानवरों से अलग बनाती हैं। भावनाएं तो पशुओं में भी हैं हम रोज के जीवन में देखते हैं कि यदि कोई कौव्वा बिजली के तार से चिपक कर मर जाए तो तमाम कौव्वे एकत्र होकर काँव-काँव करते हैं विलाप करते हैं अपना शोक व्यक्त करते हैं, कुतिया अपने पिल्लों के मर जाने पर विलाप करती है। ये बहुत क्षुद्र से पशु-पक्षी हैं लेकिन भावनाएं इनके भीतर भी हैं और भावनाओं के साथ उनकी अभिव्यक्ति(इज़हार) भी है जो कि एकदम प्राकृतिक व्यवस्था है । शायद डॉ.रेहान अन्सारी शोक की भावनाओं को बेकार मानते हैं और न जाने किन किन भावनाओं को बेकार का मानते होंगे । पैदा हुए नन्हें मासूम से बच्चे की मुस्कान पर माँ के मन में उमड़ पड़ने वाले वात्सल्य की तीव्र भावना जिसके चलते यदि बच्चे पर आँच आए तो अपनी जान तक दे देती है। देशभक्ति का जज़्बा भी कुछ ऐसा ही होता है जो कि आप जैसे महान अविष्कारक को जिसने कि "इनपेज" नामक सॉफ़्टवेयर की दुकान का अविष्कार उर्दू सेवा(???) के लिये करा है बेकार जान पड़ता होगा जिसके चलते हमारे हजारों सैनिक वतन की राह में शहीद हो जाते हैं। महान लोगों की महान बातें । खुद को महान जताने-बताने का जज़्बा तो आप में भी कूट-कूट कर ऊपर के छेद से नीचे के छेद तक भरा हुआ है कि मेरे हाज़मे के खराब होने का एलान करके गायब हो गये । जब टैक्स्ट और फ़ॉन्ट्स की बात निकली तो खुद संडास में बैठ कर चुपचाप ब्लॉगिंग करने लगे । निर्लज्जता(बेशर्मी) और ढिठाई भी तो जज़्बात है लेकिन इन्हें दिखाने में तो आप सबसे आगे की कतार में खड़े हो गये हैं । यदि जरा सी भी शर्म बाकी है तो मेरे विषय में करी बकवास की माफ़ी माँगो और आदरणीय साजिद रशीद जी के बारे में लिखने वालों से भी लिख कर माफ़ीनामा दो वरना भड़ास पर हम सबका हाज़मा खराब ही रहेगा ये ध्यान रखना । भड़ासी आपकी तरह बौद्धिक कबड्डी खेल कर खुद को भला आदमी जताने का आडम्बर नहीं करते बल्कि आपके जैसे ढकोसले करने वाले मुखौटाधारियों को सरेआप नंगा कर देते हैं इसे चेतावनी समझियेगा।
बस इतना और बताते चलो महान डॉक्टर कि किन किन जज़्बातों को जता देना तुम अनुचित और बेकार मानते हो कामभावना(सेक्सुअल अर्ज) से लेकर पशुओं से प्रेम सब जज़्बात ही तो हैं आज तक आपने किन किन जज़्बातों के प्रदर्शन पर विजय प्राप्त कर ली है जो कि हृदयस्थ श्री साजिद रशीद से जुड़े जज़्बातों को आप बेकार कह रहे हैं।
आपकी महानता पर भड़ासाना तुकबन्दी प्रस्तुत है मुलाहिजा फरमाएं.........
डॉ.रेहान अन्सारी

तुम डॉक्टर हो या बीमारी?
जज़्बातों को बेकार कह कर
तुम करोगे ठेकेदारी??
जय जय भड़ास

5 टिप्पणियाँ:

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

डॉक्टर-डॉक्टर खेला जा रहा है भाई :)
खेलो, मन लगा कर खेलो अच्छा खेल है।
जय जय भड़ास

شمس शम्स Shams ने कहा…

आदरणीय गुरूजी डॉ.साहब आप जानते हैं कि इस आदमी में मक्कारी, झूठ बोलना, धोखा देना, बेशर्मी, ढिठाई जैसे जज़्बात किस हद तक हैं। भड़ास के दुनिया भर में फैले विद्वान पाठकों ने पिछले आलेखों में पढ़ा कि इसने किस तरह खुद को दुनिया का पहला नस्तालिक ब्लॉगर बताते हुए प्रसिद्धि पाने के लिये झूठ बोला और जब आपने इस मक्कार को सच बताया तो इसने आपसे भी निकृष्टतापूर्ण व्यवहार करा जो कि पूरी दुनिया ने भड़ास के इस वैश्विक मंच पर प्रमाण सहित देखा। जब मैंने और ज़ैनब आपा ने इसे टैक्स्ट, स्क्रिप्ट और फ़ॉन्ट्स में अन्तर बताया तो इसकी "गैंग’ के लोग गाली-गलौज करने लगे जिसका भी प्रमाण भड़ास पर प्रकाशित करा गया। इसकी बेशर्मी तो इस हद तक है कि इस महाधूर्त ने आज तक आपसे अपनी गलती की न तो माफ़ी माँगी और न ही पाठकों से ये बात बतायी कि स्क्रिप्ट, टैक्स्ट और फ़ॉन्ट्स क्या होते हैं ये तो अभी भी दुनिया का पहला नस्तालिक ब्लॉगर बना उर्दू की छाती से खून निचोड़ कर अपना अपाहिज सॉफ़्टवेयर बेचने में जुटा है।
इसके जज़्बात सिर्फ़ दूसरों को उपदेश देने तक ही सीमित हैं इसलिये इसे बाकी सारे जज़्बात तो बेकार ही लगेंगे।
आपने अच्छा करा कि इसकी बखिया उधेड़ी वरना ये गैड़े की खाल वाले बेशर्म कहाँ सुधरने वाले...
जय जय भड़ास

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

गुरूदेव एक बात तो बताइये कि क्या आज तक इन चांडालों ने आपको धमकाने की चिरकुटई नहीं करी है? बनिये अक्सर गीदड़ भभकी और बंदर घुड़की दिया करते हैं लेकिन ये नहीं जानते कि इंसान जिसमें शेरों तक को काबू करने की क्षमता है वो इनसे नहीं डरता, जानता है कि जब लट्ठ उठा लिया जाए तो गीदड़ और बंदर दुम दबा कर भाग जाते हैं।
पेले रहिये ऐसे धूर्तों को और भड़ास के दर्शन को जीवंत बनाए रखिए।
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

आप लोग इस टुच्चे को खामखाँ ही विगेटिव पब्लिसिटी दिला रहे हैं ऐसे लोग तो जानबूझ कर ऐसी जगहों पर हग दिया करते हैं कि लोग इन्हें जुतियाएं-लतियाएं इसी बहाने इनकी पहचान बन जाए वरना क्या अस्तित्व रहता है ऐसे लोगों का। बड़ा आदर्शवादी इस्लामिक मूल्यों को मानता है तो इस्लाम में तो तस्वीर भी हराम है तो ये अपनी फोटो खुद क्यों प्रकाशित करता है क्या किसी मुफ़्ती मौलाना ने इसे इस बात की कोई आयत सुना दी है कि ब्लॉगिंग में अपनी तस्वीर छपवा सकते हैं ये इस्लाम में जायज़ है? और एक बात कि जब फ़ेसबुक पर हज़रत मुहम्मद साहब के कार्टून से जुड़े विवाद के कारण मुसलमानों से फ़ेसबुक के बहिष्कार का आदेश दिया गया था तो ये फ़ेसबुक पर क्या अंडे दे रहा है? इन हरकतों से पता चलता है कि ये कितना मुसलमान है और कितना अवसरवादी।
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

"विगेटिव" के स्थान पर "निगेटिव" पढ़ें ऐसी गलतियाँ करने पर भड़ास के दर्शन में कोई सिर-विर काट देने की सज़ा नहीं है ;)
अमित जैन और प्रवीण शाह किधर बिला गए बहुत दिनों से न तो अमित जैन ने कोई भंकस नहीं मारा और न ही प्रवीण शाह ने कोई जबरा तर्क...
जय जय भड़ास

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