अथ श्री उंगली माहात्म्य

शनिवार, 16 जुलाई 2011



हम सभी के जीवन में उंगली का महत्त्व जान लेना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा ये मानव जीवन व्यर्थ ही चले जाने की आशंका निर्मूल नहीं रहती। हमारे देश में पैदा होने वाले प्रत्येक मानव को होश सम्हालने के बाद इस बात का एहसास रहता है कि यदि उसके पास हाथ है और हाथ में पाँच अदद उंगलियाँ हैं तो उसके अंतर्मन में एक बात तो हमेशा के लिये दर्ज़ हो जाती है कि उसे आजीवन कांग्रेस का साथ देना है। रात के खाने से लेकर सुबह के धोने तक कांग्रेस के विज्ञापन की तरह पाँचों उंगलियों को लेकर हाथ हमेशा सामने मौजूद रहता है। जब भी वोटिंग का समय आता है जाने-अनजाने में हाथ की उंगली हाथ के निशान पर ठप्पा लगा कर अपने मुँह पर लगे नाखून की जड़ में स्याही लगवा कर गर्व महसूस करती है। ये तो बात रही उंगली के राजनैतिक चिंतन से संबद्ध और यदि कदाचित भिन्न आयाम में देखें तो पाएंगे कि उंगली हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों के साथ साथ आगे बढ़ी है। भाषा के विकसित होते दौर में आप पाएंगे कि "उंगली उठाना" और "उंगली करना" जैसे मुहावरे समाज में जगह बनाते चले हैं। हमारे देश के संविधान की रचना में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले आदरणीय बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर की उंगली दिखाती प्रतिमा, कक्षा में पेशाब की अनुमति माँगते खामोश बच्चे की टीचर के सामने खड़ी छोटी उंगली, यू टीवी बिन्दास के प्रतीक में बीच की खड़ी उंगली, जीत के संकेत के तौर पर अंग्रेज़ी के अक्षर के तौर पर उठी हुई दो उंगलियाँ, सहमति और आगे बढ़े चलो के प्रतीक के तौर पर उठा अंगूठा हो या फिर हिंदयुग्म की रहस्यमय तरीके से उठी उंगली सामाजिक जीवन में हमें गाहे-बेगाहे इस बात का एहसास कराती हैं कि बिन उंगली सब सून। पुराने समय में भगवान बुद्ध के काल की एक कथा है कि उनका सामना एक ऐसे डाकू से हुआ जो कि लोगों की हत्या करके उनकी उंगलियाँ काट कर माला बना कर अपने गले में पहना करता था बाद में भगवान बुद्ध के सान्निध्य में उपदेशों से प्रभावित होकर भिक्षुक बन गया, बन्दे का नाम था "अंगुलिमाल" । मेरा मानना है कि ये बन्दा अंगुलिमाल सिर्फ़ लुटेरा किस्म का नहीं रहा होगा ये एक भयंकर नाराज़ प्राणी रहा होगा जो कि उंगली करने वालों की उंगलियाँ काट लिया करता होगा बाकी लोगों को सिर्फ़ लूट कर जाने देता होगा। इस बात के पीछे मेरा तर्क है कि यदि इस बन्दे ने अपने दस्यु जीवन में एक सौ आठ लोगों को भी लूटा होगा और उनकी हर लुटे हुए बन्दे की एक एक उंगली भी अपनी माला में जोड़ी होगी तो पूरी माला तैयार हो गयी होगी लेकिन ऐसा तो नहीं हुआ होगा जब हमारे चिरकुट-चिंदीचोर किस्म के डाकू हजारों लोगों को आजकल लूट लिया करते हैं जब कि सुरक्षा व्यवस्था अच्छी(?) है तो उस जमाने में तो लोग मशालें और लाठी लेकर ही यात्रा करते थे तो क्या इस अंगुलिमाल को सुविधा नहीं रही होगी? या तो ऐसा भी हो सकता है कि पुरानी उंगलियो को माला से निकाल कर नयी उंगलियाँ डाल लिया करता होगा लेकिन ये काम माला बनाना किसी डाकू के लिये थोड़ा अड़चन भरा लगता है और क्या वो उंगलियों पर तारीख डालता होगा जिससे पता चले कि कौन सी उंगली नयी और कौन सी पुरानी है। खैर ये समस्या तो उस डाकू की रही इससे हमें क्या लेना। सभ्य हो चले समाज में जब से लोग शादी ब्याह करने लगे हैं तब से उंगली का पारिवारिक जीवन में भी महत्त्व हो गया है। यदि उंगली नहीं होती तो मंगनी की अंगूठी क्या कान में पहनाते लेकिन भला हो उन बुजुर्गों का जिन्होंने उंगली का मान बढ़ाया और अंगूठी को उंगली में पहना कर एक दूसरे के प्रति भावी दूल्हा-दुल्हन पर जुड़ाव की मुहर लगा कर आगे बढ़ने का रास्ता खोला। कुछ लोग उंगली के मामले में थोड़े से भाग्यशाली होकर हृतिक रोशन बन जाते हैं क्योंकि उन्हें ईश्वर कुछ अतिरिक्त दे देता है। हम सोचते हैं कि शायद जब पाँच उंगलियों वाला हाथ इतना ताकतवर हो सकता है तो भला जिसको छह हैं उसकी बॉडी इतनी मजबूत क्यों न होगी। योग शास्त्र को जानने और अभ्यास करने वाले जानते हैं कि उंगली का महत्त्व कितना अधिक है सब जानते हैं कि पेट सही है तो व्यक्ति तमाम बीमारियों से बचा रह सकता है उसके लिये योग में एक क्रिया है "गणेश क्रिया"। गणेश क्रिया वैसे बताने में कदाचित उबकाई लाने जैसी लगती है लेकिन उंगली की महिमा बताने के लिये इसे भी स्पष्ट करना आवश्यक हो जाता है। गणेश क्रिया के अभ्यास से व्यक्ति बवासीर और भगंदर जैसी बीमारियों से आजीवन बचा रहता है। इस क्रिया में योगाभ्यासी को अपने मलद्वार में उंगली डाल कर मलत्याग के बाद अंदर शेष रह गया मल साफ करना पड़ता है। इस क्रिया में न सिर्फ़ अंदरूनी अंग की सफाई हो जाती है बल्कि भीतरी वलियों की हल्की मालिश भी हो जाती है जिससे कि वे सशक्त बनी रहती हैं। अब उंगली अपनी मलद्वार अपना जितना चाहे गणेश क्रिया करिये भला किसे परेशानी होगी और तो और जंगल में मोर नाचा किसने देखा, आप लाभान्वित भी होते हैं और साथ ही साथ किसी को पता भी नहीं चलता कि आप क्या कर रहे हैं। इसमें भला क्या शर्मिंदगी है आप तो अपनी मेहनत की कमाई का पैसा अकारण डॉक्टरों के पास जाने से बचा रहे हैं। बस ये ध्यान रखने की बात है कि आप यदि किसी दूसरे को उंगली कर देते हैं तो परेशानी हो सकती है अगर वो ताकतवर हुआ। वैसे तो ये उंगलियाँ ही हैं जो कि इस समय लैपटॉप पर उंगलियों के बारे में लिख रही हैं।




जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

अजय मोहन ने कहा…

मजा आ गया गुरूदेव...
कमाल कर दिया उंगली ने। हम तो बस उंगली को बस हाथ का अंत मानते थे लेकिन ये तो हाथ का प्रारम्भ निकली:)
जय जय भड़ास

हरभूषण ने कहा…

डॉ.साहब आप सही बोले मजाहिया अन्दाज़ में कि अपना ही हाथ हमेशा कांग्रेस के विज्ञापन की तरह दिन रात सामने आता रहता है और अवचेतन मन पर छाप डाले रहता है। अब तो राजनैतिक पार्टी बनायी जाए तो चुनाव चिन्ह ऐसा ही कुछ चुना जाए
जय जय भड़ास

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