अमित जैन जी "सत्यमेव जयते"कोई छलावा नहीं सचमुच हकीकत है
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
अमित जैन साहब आप भले ही अब मुझे बेवकूफ़ कहें या कुछ और लेकिन आप नाम बदल कर या किसी भी तरह से जैसा कि प्रवीण शाह शैतान बने थे चाह कर भी अपना ब्लॉगर रजिस्ट्रेशन क्रमाँक नहीं बदल सकते भले ही ब्लॉगर सेटिंग से अपना नाम कुछ भी लिख लें
आपका क्रमाँक है
http://www.blogger.com/profile/05568646394497826829
और प्रवीण शाह जी का क्रमाँक है
http://www.blogger.com/profile/14904134587958367033
आपने मेरे ऊपर फ़र्जी आई.डी.बनाने का आरोप लगाया,आपने सीधे पक्षपात का आरोप लगाया कि मैं आपकी पत्नी का अनादर करने वालों का पक्ष ले रहा हूँ जिस पर प्रवीण शाह ने बिना आपकी वो तस्वीर देखे ही आपका पक्ष ले लिया ये उचित है आपके लिये, आज तक आपने ये नहीं बताया कि आप दोनो विद्वान वीडियो की जाँच कैसे करेंगे?????
कितने सारे सवालों के जवाब तो प्रवीण शाह ने नहीं दिये और आप???
गलती करके यदि आप स्वीकार लेते तो आपका बड़प्पन होता लेकिन जिस हठधर्मी से आप अपनी गलत बात पर डटे हैं उससे तो फिलहाल यही पता चल रहा है कि आप भड़ासी नहीं बन पाए। एक बात साफ़ जान लीजिये कि भड़ास मित्रता बढ़ाने का फ्रेन्डशिप क्लब नहीं है और न ही ज्ञान की जुगाली करने वाले बौद्धिकों का मंच जहाँ आप ज्ञान बढ़ाने के लिये पधारें और न ही साहित्यिक मंच है।
आप अपनी गलती नहीं मानते तो मत मानिये लेकिन आप मानें न मानें मुझे भी मेरी बेटी उतनी ही प्यारी है जितनी की आपको आपकी बेटी।
हृदय से प्रेम सहित
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
डॉ.साहब और अमित भाई बस करिये
अमित यदि अपनी गलती की माफ़ी नहीं भी माँगते तो भी आप अपने भड़ासपन को प्रयोग करते हुए अमित की बेटी और आयशा को एक जैसा मानिये।
जय जय भड़ास
दोनो ही गायब हो गये हैं न तो अमित जैन का पता है और न ही वो दुनियाभर की कलाकारी करके भ्रम फैलाने की कोशिश में लगे प्रवीण शाह जो खुद को बहुत बड़ा तार्किक जताने में लगे हुए थे। जब पोल खुली तो रोते चिल्लाते भाग लिये कि भड़ासी खिंचाई कर रहे हैं। ईमानदारी जताई होती तो बेकार की थुक्का फ़जीती से बच जाते लेकिन ये लोग कभी भड़ासी थे ही नहीं अमित को मैं विकृत मानसिकता की दिखती हूँ और वो खुद कैसे हैं ये पूरी दुनिया के भड़ास के पाठकों ने देखा।
जय जय भड़ास
आयशा बहन आपने सही कहा ये दोनो नीच पता नहीं किधर डूब मरे। अमित जैन जैसा धूर्त तो सचमुच नहीं देखा कि कमीना खुद हरामजदगी की बकवास आपके बारे में लिख कर डॉ.साहब को फोन करता है कि मैंने नहीं लिखा। सचमुच महामक्कार है। प्रवीण शाह इसकी हाँ में हाँ मिलाने के लिये बीच में अपना मुँह छिपाए हुए आ जाता था और भड़ासियों को ट्रिक्स दिखा कर भ्रमित कर रहा था उसे नहीं पता था कि इधर एक से एक धुंआधार मुखौटाफाड़ लोग बैठे हैं मनीषा दीदी ने रगेदा तो रोने लगा।
जय जय भड़ास
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