अमित जैन ! शम्स भाई की बात पूरी तरह तार्किक है बल्कि आप ही कार्टून बने जा रहे हैं

सोमवार, 4 जुलाई 2011

अमित जी आप खुद तो बंदर, बिल्ली, गधा बना कर अपनी अक्ल के स्तर का परिचय देते हैं और शम्स ने जब पूरे तर्कपूर्ण ढंग से बात लिखी तो आप सिर्फ़ एग्रीगेटर्स को प्रभावित करने वाली हैडिंग्स लिखने की चाल चल रहे हैं। आपने हम सभी के लिये रिस्पेक्टेड डॉ.रूपेश को अपनी हरकतों से परेशान करना चाहा है वह माफ़ी के लायक नहीं है।
शम्स ने जो भी ब्लॉगर सेटिंग के बारे में बताया है उसके बारे में आप के पास कोई उत्तर है या बस कार्टून बना कर प्रवीण शाह की तरह के "बस मैं सच्चा बाकी सब झूठे" यही तर्क है।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

dr amit jain ने कहा…

ये बंदर ,बिल्ली , गधा तो मेरे अकाल के स्तर है ,आप भी जरा अपनी अकाल का नमूना पेश कर दीजिए या सिर्फ पो पो पो पो पो बोलना आता है ,कोन सी तर्क पूर्ण बात वो तो डॉ साहब कब की बता चुके ,ब्लोगेर की क्या क्या सेट्टिंग है ,उस के बारे मे भी एक नहीं कई ब्लॉग चल रह्हे है , जा कर वह पढ़ लो ,इस बात का उत्तेर मैंने अगली पोस्ट मे दे दिया है ,और एग्रीगेटर्स सिर्फ क्या हैडिंग्स से परभावित हो जाते है , आप की सोच की तो दाद देनी पड़ेगी
और बहन जी आप शयद कार्टून को बहुत कम कर के आक रही है , एक कार्टून ने डेनमार्क मे आग लगा दी थी ,शायद आप भूल गई ,

आयशा धनानी ने कहा…

पो पो पो पो पो...
अमित ये तुम्हारी किस "अकाल" से उपजी भाषा है जो तुम्हें मैं बोलती सुनायी दे रही हूँ?
कितनी गलतियाँ करते हो हिंदी लिखने में और डॉ.रूपेश जैसे विद्वान से कहते हो कि वीडियो अपलोड करो जाँच करेंगे, अरे भाई "अकाल"वाले जरा ये तो बताओ कि कौन सी प्राइमरी की क्लास में जाकर फ़ॉरेन्सिक साइन्स पढ़ ली है जो इन हाइली क्वालीफ़ाइड डॉ.साहब से भी ज्यादा एडवान्स तरीका होगा?? बताना जरूर।
कार्टून बना कर डेनमार्क में ही क्या दुनिया के किसी भी मुल्क में आग लगायी जा सकती है बशर्ते वह इस्लामिक कट्टरपंथियों को उंगली कर दे। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।
आपने अब तक क्या तर्क दिये हैं ये लिखिये।
आप स्काइप,याहू मैसेन्जर या किसी भी मीडियम से क्या बात करेंगे आपकी विद्वता आपके लेखन में साफ दिखती है। एग्रीगेटर्स में ऊलजुलूल हैडिंग से पाठकों को प्रभावित कर सकते हैं जो कि हैडिंग ही देख कर आते हैं एग्रीगेटर तो वेबसाइट है उसे नहीं उसके संचालक को प्रभावित कर सकते हो। आपको पता है कि कई एग्रीगेटर्स भड़ास से इतना चिढ़ते हैं कि पचासों बार रिक्वेस्ट भेजने पर भी भड़ास को लिस्टिंग में नहीं लेते क्योंकि भड़ासियों ने उनकी भी पोल खोली हैं, ब्लॉगवाणी याद है?
जय जय भड़ास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

बिटिया रानी, तुम्हें तमिल नहीं आती है शायद अमित जैन कभी तमिलनाडु भी गये हैं। "पो" का अर्थ है जाओ....
जय जय भड़ास

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