सचमुच में उस मौत का रहस्य खुले ये कुछ लोग नहीं चाहते हैं जिनमें से कुछ के मुखौटे पहचान लिये गए
सोमवार, 1 अगस्त 2011
पिछले कुछ दिनों से देखा गया कि भड़ास पर एक अनर्गल सी लगने वाली बहस चल रही थी। जो कि कई बार इधर-उधर मोड़ दी गयी लेकिन फिर फिर कर उसी जगह आ जाती वह थी भड़ास के संचालक डॉ.रूपेश श्रीवास्तव की वृद्ध माँ की मृत्यु। कुछ लोगों ने इस मृत्यु को हत्या बताते हुए पूरे विवरण को विस्तार से लिखा लेकिन उसी बीच में कुछ लोग ऐसे प्रकट हो गए जो कि सचमुच ऐसा लग रहा था कि नहीं चाहते हों कि इस विषय पर बात भी हो। ये समझना कठिन है कि क्यों कर यदि ये हत्या है वो भी तंत्र-मंत्र से करी हुई तो कुछ लोग इसका रहस्य नहीं खुलने देना चाहते?
कई दिनों से आप लोगों ने इस बारे में लिखना बंद कर दिया है मैं जानना चाहती हूँ कि असलियत क्या है क्यों प्रवीण शाह और अमित जैन को आप लोगों ने निशाना बनाया है लेकिन जब आप उनसे बात करते हैं तो वे चुप हो जाते हैं?
3 टिप्पणियाँ:
कम से कम नाम तो लिखा होता अपना। वैसे अमित जैन हों या प्रवीण शाह या फिर कोई और मैंने कभी भी अपने दर्शन को किसी के लिये समायोजित नहीं करा यदि अनूप मंडल या कोई और भी भड़ास के दर्शन के विरुद्ध विचार रखेगा तो विमर्श का मार्ग अवश्य बनेगा लेकिन कायराना अंदाज़ में मुँह छिपा कर अपनी करी गलतियों को न मान कर अमित जैन और प्रवीण शाह दोनो ने अब तक तो यही सिद्ध करा है कि वे असल भड़ासी नहीं बल्कि मुखौटाधारी थे जो रगेदे जाने पर भाग खड़े हुए। मैं इन्हें सदस्यता से कभी नहीं हटाउंगा ये मेरा वचन है भले ही ये कितना भी नीचे गिर कर लिखें जैसा कि अमित जैन ने करा था।
जय जय भड़ास
रूपेश श्रीवास्तव तेरा नीचता पण भी मैंने लिख दिया है , पद लियो फिर बता देना कोन नीच है , अगली पोस्ट में पढ़ लो
मै भागने वालो में से नहीं ,की कुछ लोग मेरे बारे में गलत लिखे और मै भाग जाऊ ,जों गलती मैंने नहीं की है ,उसे मै क्यों अपना मानू , हा अब मैंने लिखा है तो वो मैंने ही लिखा है , अब रूपेश श्रीवास्तव खुद कितना भी नीचे गिर कर लिखे , मै उसके हर सवाल का जवाब भी दूगा और अब सवाल भी करुगा
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