अमित जैन भाई, आप चाहें तो मुझे भी गालियाँ लिख सकते हैं लेकिन किसी बेनामी या शालू जैन की आड़ में नहीं
बुधवार, 3 अगस्त 2011
अमित जैन आप इतनी जल्दी कैसे भूल गए कि भड़ासियों को जिस व्यक्ति ने एक बेखौफ़ मंच प्रदान करा है वह खुद डॉ.रूपेश श्रीवास्तव ही है। आपकी निर्लज्जता को एक लम्बे समय से बर्दाश्त करती चली आ रही हूँ। माताजी की मृत्यु के विषय में जो भी अलग-अलग मंतव्य हैं सत्य एक ही है कि अब वे भौतिक तौर पर हमारे साथ नहीं हैं। ये एक ऐसा यथार्थ है जिसे सबको स्वीकारना है चाहे अनूप मंडल हो या स्वयं मेरे बड़े भाई डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी। जिस तरह की घटनाएं उनकी बीमारी के दरम्यान हुई हैं उनसे मैं भी वाकिफ़ हूँ लेकिन कोई राय नहीं दे सकती कि मृत्यु की वजह क्या है।
एक बात साफ़ है कि अनूप मंडल की बातों में उन्होंने आपसे जो भी विमर्श करा है वह निहायत बेवकूफ़ाना नहीं कह कर टाला जा सकता है, हाँ आप जरूर बचकाने हो जाते हैं कभी कार्टून बनाने लगते हैं कभी शायरी करने लगते हैं लेकिन अनूप मंडल की बातों का आपने कभी स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। बात धार्मिक नहीं बल्कि वैचारिक मतभेद की है।
आपने आयशा बहन के बारे में जो भी लिखा वह निःसंदेह लज्जास्पद था घृणित था और सबसे बुरी बात आपका साफ़ झूठ बोलना कि वह आपने नहीं लिखा था। अमित भाई एक बात हमेशा याद रखिये कि ये डॉ.रूपेश श्रीवास्तव ही है जिसके मंच पर आप उसे गाली दे पा रहे हैं और उसने अब तक अपने तकनीकी अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए तानाशाही अंदाज़ में आपको भड़ास से बेदखल नहीं कर दिया। कितने लोग आपको अपने जीवन में इतने ईमानदार मिले हैं?आपने और प्रवीण शाह जी ने आज तक डॉ.साहब पर इतने आरोप लगाए लेकिन उनकी बातों का जवाब नहीं दिया और दे भी रहे हैं तो ये सब??
आप चाहें तो मुझे भी गालियाँ लिख सकते हैं लेकिन किसी बेनामी या शालू जैन की आड़ में नहीं।
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
अनूप मंडल के किस बात को आप बेव्खुफाना नहीं कहेगी ,जों बात मैंने नहीं लिखी उस बात को मै कैसे मान लू , पर हा अब उस पोस्ट से पहले जों रूपेश श्रीवास्तव की पोस्ट आई थी उस में सम्भोग शब्द कहा से आया था ,जरा इस बात पर भी आप रौशनी डाले ,मुझे नीच कहने का हक कहा से मिला , सारी नीचता करने के बावजूद मुझे नीच कहने से पहले रूपेश श्रीवास्तव को अपने को भी देखना होगा , अब तो हद्द हो गई ,धर्म आधारित विरोध की
मैंने कोन सी बात का जवाब नहीं दिया जरा वो भी एक एक कर के बताये
बेनामी या शालू जैन से मेरा कोई वास्ता नहीं है , आप जबरदस्ती उन का नाम मुझ पर क्यों लगा रही है ,मुझे जों लिखना होगा वो मै खुद अपने नाम से लिख सकता हू ,
अब दीदी ये भी बताओ की मै आप के विषय में गाली क्यों लिखू
ना आपने मुझे कभी गलत लिखा ,न आपने कभी गलत बोला
मै आजभी यही बात बोलूगा की वो पोस्ट मेरी नहीं थी ,
अगर आप को लगता है कार्टून बनाना या शायरी करना बचकाना है तो इस दुनिया में सारे शायर और कार्टून बनाने वाले बेचारे बच्चे बन जायेगे ,क्योकि बच्चे ही तो बचकानी हरकत करते है , अब आप ये मत कहना की बड़े करते है
मनीषा दीदी ये मक्कार आदमी अभी भी अपनी बात को ही सही जपेगा। ये अपनी बीवी के साथ गलबहियाँ करे खड़ा था उस बात को छिपाने के लिये दुनिया भर की बात करेगा और अब डॉ.साहब पर आरोप लगा रहा है कि उन्होंने सम्भोग शब्द क्यों इस्तेमाल करा। ये धूर्त जानता है कि बात को किस तरह मोड़ना है ये तो अब अपने ऊपर के आरोपों की एबीसीडी फिर से सुनाने का जाल बुन रहा है। शायर और कार्टूनिस्ट इसकी तरह मक्कारी दिखा कर गलत जगह शायरी और कार्टून नहीं बनाते। ये नीच है तो इस बात के लिये हमें किसी चूतिये से अधिकार लेने की जरूरत है क्या? ये नीच है नीच है नीच है
जय जय भड़ास
अमित जैन को सुधारने की एक कोशिश करी जा सकती है जिसमें शायद ये उपाय काम कर जाएं..
१. एक खजूर का पेड़ ऊपर से छील कर इसके कपड़े उतार कर उसके ऊपर बैठा दिया जाए उसके अन्दर जाने से शायद इसको सदबुद्धि आ जाए।
२.कुतुबमीनार भी खजूर के पेड़ के स्थान पर काम में ली जा सकती है।
बाकी छोटे मोटे उपायों से ये नहीं सुधरने वाले ये तो हम सबने देख लिया क्या कहते हैं भाई अजय मोहन जी?
जय जय भड़ास
एक टिप्पणी भेजें