अमित जैन तुम सच्चे राक्षस हो
सोमवार, 15 अगस्त 2011
हम अमित जैन को उनके समुदाय की सही पहचान का प्रतिनिधित्व करने के लिये हृदय से धन्यवाद करते हैं। आप सब देख रहे हैं कि वो अपने पुराने ढर्रे पर वापिस आ गये हैं। आप पूरी दुनिया में बैठे भड़ासे के विद्वान पाठकों ने देखा कि जब अमित जैन अपने राक्षसपन की चरम सीमा पर आकर संचालक आदरणीय डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी को ही भलाबुरा कहने लगा और अति कर दी कि बेटियों-माँओं पर भी आपत्तिजनक बातें लिखने लगा। इस पर डॉ.साहब ने लिखा कि शायद तुम हमारे स्वभाव को कमज़ोरी या मजबूरी समझ रहे हो कि हम सह रहे हैं और तुम अति करे जा रहे हो below the belt वार करना हमारे स्वभाव में नहीं है और न ही सहना लेकिन लड़ना आता है और बचाव करना तो बचाव कर रहे हैं लेकिन तुम्हें रोकना होगा। इस संदर्भ में रामचरित मानस(गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित राक्षस कपटमुनि हेमचंद्र रचित "जैन रामायण" नहीं) की बात याद आती है जिसमें बताया गया है कि इस तरह के दुष्ट किस आचरण से सही होते हैं
1 टिप्पणियाँ:
जैन रामायण????
क्या कभी किसी ने बौद्ध रामायण,इस्लामिक रामायण,क्रिश्चियन रामायण,पारसी रामायण जैसी कोई रामायण पढ़ी है?जैनों को रामायण लिखने की जरूरत क्यों आन पड़ी भाई? जाहिर है कि कुछ न कुछ हेराफ़ेरी करनी होगी। दुनिया की तमाम भाषाओं में रामायण की कथा को अनुवाद करा गया है लेकिन किसी ने अपने धार्मिक ग्रन्थ के तौर पर नहीं लिखा जैसे कि उर्दू में चकबस्त रामायण है।
जय जय भड़ास
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