अन्ना हजारे के समर्थकों दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर खुशी मनाकर पटाखे मत फोड़ो
बुधवार, 7 सितंबर 2011
टीवी वाले प्राणियों ने हाल ही में जिस तरह दिन रात चीख-चीख कर बताया था कि अन्ना हजारे अब क्या कर रहे हैं तब क्या कर रहे हैं और उसके बाद और उसके पहले क्या कर रहे हैं। चार दिन पहले तक उसकी रसोई में क्या कितना पकता है ये दिखा रहे थे उसके गाँव में वो बैठ कर क्या बकैती कर रहा है कैसे गिरफ़्तारी और रिहाई का नाटक हुआ, कैसे जनता खुशियाँ मना रही है ये सब हर चैनल पर चल ही रहा था और बीच-बीच में लाखों के विज्ञापन पिलाए जा रहे थे जनता है कि टीवी से चिपकी विज्ञापन पिये चली जा रही थी। हजारे लगे पड़े थे। अब शायद जनलोकपाल बिल के बारे में संसद में हो रही चर्चा आदि की खुशी में किन्हीं अन्ना समर्थकों ने न्यायप्रक्रियाओं से खुश हो कर दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर भी पटाखा फोड़ दिया है ये बात अलग है कि पटाखा शायद ज्यादा बड़ा था तो बस नौ लोग मर गए और लगभग पचास लोग घायल हो गए हैं लेकिन इसमें क्या समस्या है खुशी है तो मना रहे हैं देश आजाद है किधर भी खुश हो सकते हैं विधायकों सांसदों के घर पर जाकर भी खुश हो सकते हैं प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के कार्यालय में जाकर खुश हो सकते हैं। सवा सौ करोड़ लोग जब इनके समर्थन में हैं तो यदि जो पच्चिस-पच्चास जो लोग विरोध में हैं वो इनकी खुशियों से जलभुन कर मर जाते हैं तो इसमें ये बेचारे क्या कर सकते हैं।
बाबू मनाओ खुशियाँ और पटाखे फोड़ो।
जय जय भड़ास
बाबू मनाओ खुशियाँ और पटाखे फोड़ो।
जय जय भड़ास
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