लिंग प्रकरण पर पुलिस खामोश क्यों है?
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पैंट उतरवा कर लिंग देखना है लिंग पसंद करने का हिस्सा तो नहीं है। एक संगठन
के ऊपर हमेशा आरोप लगते रहे हैं कि वह समलैगिक पसंद का है। कहा जाता है कि जो
लोग व...
1 दिन पहले
1 टिप्पणियाँ:
ढेर सारे बदलावों और सुधारों की आवश्यकता है अभी संविधान में लेकिन मात्र आज़ादी के पैंसठ साल इसके लिये काफ़ी नहीं हैं अभी बहुत समय लगे का लोकतंत्र को भीड़तंत्र के चंगुल से संवैधानिक तरीके से निकलने में। राष्ट्र विधि के शासनानुसार चले यही मेरी पहली और अंतिम आकाँक्षा है लेकिन वह विधि सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय हो साथ ही मानव मूल्यों की स्थापक हो।
जय जय भड़ास
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