अमित जैन सच बताना कि “जैन रामायण” पढ़ी या नहीं?

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

यदि पढ़ चुके हो तो क्या कहना चाहोगे कि अरिहंत(शत्रुओं को मार डालने वाला) भगवान जिस गृन्थ का केन्द्रीय पात्र है उसे “रामायण” की संज्ञा क्यों दी गयी है। साफ़ सी बात है कि शत्रुओं को मार डालने वाला ये भगवान अहिंसक तो होगा नहीं। अब ये स्पष्टीकरण तो तुम बाद में दोगे कि वो शत्रु कोई और नहीं बल्कि मानवीय दुर्गुण काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, अहंकार आदि हैं। हम तो अब तक यही जान पाए हैं कि जिस समुदाय की चर्चा इस गृन्थ में है वह मानवों के विरुद्ध हैं।

आप बस इतनी बात पर अपनी राय दीजिये कि जब किसी अन्य धर्म को मानने वालों को रामायण लिखने की जरूरत नहीं पड़ी तो जैनों को क्यों पड़ गयी? जो बातें जैसे कि हनुमान जी के बारे में लिखा गया है उनके बारे में आप क्या कहेंगे?

जय जय भड़ास

0 टिप्पणियाँ:

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP