जैन धर्म के असल चित्र और स्वरूप

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

अमित जैन तुमने मेरे लिये विशेष तौर पर पोस्ट करी उसके लिये हार्दिक आभार । जैन धर्म के असल चित्र और स्वरूप को तुम शायद दुनिया के सामने लाने में शर्मा रहे हो इसलिये मैं तुम्हें असलियत का एक बहुत छोटा सा नमूना दिखा रहा हूँ । उम्मीद है कि जैन रामायण पर तुम जरूर कुछ बोलना चाहोगे कि तुम्हारे पूर्वजों ने हिंदू धर्म में गड़बड़ियां लाने के लिये कितनी कुटिलताएं करी हैं।
जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

dr amit jain ने कहा…

जैन मुनियों का दर्शन करवाने के लिए धन्यवाद , सभी जैन मुनियों को कोटि कोटि नमन

दीनबन्धु ने कहा…

परेड के बाद जिसका बड़ा होगा उसे इनाम दिया जाएगा शायद इसके लिये जनता से "पब्लिक पोल" कराया जायेगा। जैन मुनियों के दर्शन करके अमित जैन बड़े खुश हैं लेकिन ये समझ नहीं आता कि सिर के बाल तो उखाड़-उखाड़ कर केश लुंचन कराते हैं नीचे के बाल क्यों छोड़ देते हैं?
हमारे देश के नेताओं ने भी इसी तरह धुरनंगई को धर्म मान लिया है और खुल कर नंगापन कर रहे हैं निर्लज्ज....
जय जय भड़ास

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