मेरा मन करा तो मैं चित्रांगदा सिंह को प्रणाम करूंगा
शनिवार, 22 अक्तूबर 2011
हमारे देश में जब से अंग्रेजों से राजनैतिक आज़ादी(?) मिली है तब से मानसिक गुलामी जोर पकड़ गयी है। बोलने में अगर एक वाक्य बोलेंगे तो कम से कम उसमें आधे शब्द अंग्रेजी के जब तक न हों आप सभ्य लोगों से बात करने के लायक नहीं माने जाते हैं। चमड़ी के रंग को लेकर इतनी कुंठा है कि जिसे देखो गोरा होने के लिये दीवाना हुआ जा रहा है। शाहरुख खान से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक चमड़ी के रंग को गोरा करके "मेलेनिन" को परास्त करने पर बनु हुए विज्ञापनों में काम करके मोटी रकम वसूल रहे हैं। चमड़ी का रंग गोरा बनाने की क्रीम-पाउडर आदि का अरबों रुपये का व्यवसाय है इन विज्ञापनों में काम करने वाले हीरो-हीरोइन भी चाँदी काटते हैं। लेकिन इसी दौर में यदा कदा ऐसे भी लोग आ जाते हैं जो सोच में सबसे अलग होते हैं इन्हीं में से एक हैं फ़िल्म अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह जिन्होंने गोरा बनाने वालि क्रीम के विज्ञापन को सीधे शब्दों में मना कर दिया जबकि बताया गया कि उन्हें एक बड़ी मोटी रकम का प्रस्ताव था। चित्रांगदा ने साफ़ शब्दों में कहा कि मैं अपने सांवले रंग से खुश हूँ और न तो मुझे ऐसी किसी क्रीम की जरूरत है और न ही ऐसे धन की जो लोगों को त्वचा के रंग के प्रति हीनभावना उपजा कर कमाया जाए। सम्भव है कि लोग उन्हें उनके सिनेमा के दृश्यों के चलते भला बुरा कह सकते हैं लेकिन जो उन्होंने कहा वो विचार सम्माननीय है।
मैं बहन चित्रांगदा सिंह के इन विचारों का सम्मान करते हुए उन्हें प्रणाम करता हूँ
जय जय भड़ास
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