क्या हुआ अमित जैन नंगे होकर दिवाली मनाने लगे क्या हिंदुओं के संग??

बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

इतने दिनों से इंतजार कर रहा हूँ कि तुम अपने वकील प्रवीण जैन(शाह) को लेकर जैन रामायण पर सफ़ाई दो और "पत्नी के साथ गलबहियाँ" प्रकरण के बारे में कुछ बोलो लेकिन तुमने तो अब नया कमाल कर दिया प्राकृतिक चिकित्सक बन बैठे जोकपीडिया से आगे जाकर यानि कि अब निहायत ही प्राकृतिक किस्म के जोक्स भड़ास पर भेजा करोगे। वैसे प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमाणपत्र किधर से मारा है ये तो बता दो यार अगर भगवान राम और भगवान कृष्ण आदि के नंगे जैन संस्करण प्रस्तुत नहीं कर सकते ।
जय जय भड़ास

5 टिप्पणियाँ:

किलर झपाटा ने कहा…

@ मुनेन्द्र सोनी

डोण्ट वरी मुन्नू सर, मैं खुद के साथ आपकी और भड़ासियों, सबकी वर्तनी सुधार दूँगा। और मुझे यदि ब्लॉगरों ने वास्तविक नाम से कमेंट कर दिये तो वो आप जैसे घोषित तौर पर बुरे, गंदे, गलीज़, जाहिल, अनपढ़, असभ्य लोगों की लिस्ट में नहीं आ जायेंगे क्या ? इसलिये वे मुखौटा लगाए रहते हैं मेरे जैसे सुसंस्कृत व्यक्ति की तरह, आपकी तरह नहीं, बुद्धू कहीं के। जिन ज़ील मैडम से आप सभी भड़ासियों का ...... भिड़ा है, (क्योंकि आप लोग भी उन्हें कुछ कहने पर ठीक उसी तरह फ़ड़फ़ड़ा रहे हो और गालियाँ दे रहे हो जैसे शोले का वीरू, हा हा) वो टकाटक गाँधी और भवानी माता पर पोस्ट लिख दें तब कुछ नहीं और मैंने तो वही बात आगे बढ़ाई अपनी अगली पोस्ट में, तो पढ़े बिना ही गरियाने लग पड़े। ठीक से पढ़ तो लो उसे पहले। हा हा। यही तो होता है जात बदलने का नतीजा। यू रंगा सियार। अब पुश्तों से काम रहा है सोने में ताँबे की मिलावट करके उसमें खोट डालने का और चले हैं साहित्यकारी पुरोहिताई करके औरों की वर्तनी सुधारने ! तभी तो घिनऊ किस्म की बातें करते हैं खुल-खुल कर। मुझे कीचड़ में घुसायेंगे, मुझे कुत्ता कहेंगे, मेरा दम घोंटेगे वाह वाह ! क्या बात है ! शरम भी नहीं आ रही है दीपावली के साफ़ सुथरे अवसर पर ये कीचड़ की उलीचा उलीच करेंगे। अच्छा है, लक्ष्मीजी भी आपको यही सब देंगी इस बार, तब समझ में आयेगा। बहुत हँसी आ रही है मगर मुन्नूजी, ये एक खिसियानी हँसी है जो आदमी उस पागलपन में हँसता है,जब वो सामने वाले का कुछ बिगाड़ नहीं पाता। सो कैरी ऑन विथ दिस खिसियाहट ऑन मी बिकॉज़ आय वोण्ड माइड इट। हा हा।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

मुनेन्द्र भाई ये आत्मघोषित शरीफ़ प्राणी क्या कह रहा है पढ़िये....मुझे यदि ब्लॉगरों ने वास्तविक नाम से कमेंट कर दिये तो वो आप जैसे घोषित तौर पर बुरे, गंदे, गलीज़, जाहिल, अनपढ़, असभ्य लोगों की लिस्ट में नहीं आ जायेंगे क्या ? इसलिये वे मुखौटा लगाए रहते हैं मेरे जैसे सुसंस्कृत व्यक्ति की तरह, आपकी तरह नहीं, बुद्धू कहीं के।
धीरे धीरे देखता चल रहा हूँ कि तुम सुधर रहे हो ये भी पता है कि ये भड़ास की चिकित्सा का परिणाम है। यकीन मानो हम लोग तुम्हारे जैसे गम्भीर मनोरोगियों के प्रति सचमुच चिंतित रह कर कार्य करते हैं। तुम्हारे स्वयंभू सभ्य लोगों का मुखौटा ब्लॉगिंग करते समय वैसा ही लगता है जैसे किसी बलात्कारी का कंडोम प्रयोग करना। पहले तो बहुत बड़ी बड़ी बातें पेले पड़े थे मुंबई आने वाले थे क्या बीच रास्ते में ही जुलाब लगने लगा या भायखला के नवाब पहलवान ने मेरे बारे में बता दिया कि सामने मत पड़ जाना वरना ऑफ़लाइन फैसला करने में देर नहीं लगेगी। सुधर जाओगे तो तुम्हारा ही भला है मेरा मोबाइल नंबर तुम्हारे पास है ही मन करे तो जरूर मुंबई आने के बाद बात करना पता चल जाएगा कि भड़ासी कैसे होते हैं। तुम जिस तरह का व्यवहार मुखौटे के पीछे से कर रहे हो सबसे पहले उसे उतार लेना ताकि हम सही तरीके से बात कर सकें। गालियाँ गोलियाँ मेरे लिये चिरकुटों की बातें हैं ये तुम अब तक नहीं समझे क्या?
जय जय भड़ास

شمس शम्स Shams ने कहा…

गुरू जी इन जैसे मक्कार और "शरीफ़" आपको सपने में भी देख लें तो चार दिन तक नींद नहीं आएगी इन्हें, ये डुक्कर का पिल्लू क्या मुंबई आएगा। आपने सही समझाया है लेकिन इन जैसे लोगों को लात की ही भाषा समझ आती है उसके लिये ऑफ़लाइन ही मिलना सही होगा।
नवाब कबाब जैसे चिंदीचोरों का नाम लेकर ये आपको प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था इसे शायद पता नहीं था कि भड़ासी क्या हैं अब पता चल गया तो शरीफ़ बनने लगा मुखौटाधारी नीच
जय जय भड़ास

किलर झपाटा ने कहा…

मिस्टर नीम हकीम श्रीवास्तव साहब,
आपने मात्रा गलत लगा दी है शायद। मैं सुधरता नहीं सुधार देता हूँ। आप लोग नवाब भाई से क्यों इतना घबरा रहे हैं ? हम लोग आप जैसे लिड़ैयों पे बारूद नहीं गँवाते हैं, भाई। अपना मोबाइल नम्बर तो आप ऐसे बता रहे हो बार बार, जैसे कोई वैश्या ट्रेन के टॉयलेट में लिख आती है कि, लो कल्लो बात। ये सब आपको शोभा देता है भला ? ऐसे में आपका ये तथाकथित गुरूपना चिर भी जायेगा और कुट भी जायेगा। समझदारी से काम करना चाहिये ज़ील के भैया जी। इस बात अँग्रेजी में हँस देता हूँ, क्योंकि आपके मुन्नू (मुनेन्द्र) भैया को बड़ा पसंद है मेरा हँसना। Ha Ha !
और भाई, जब आप जैसों का बलात्कार करना हो, तो कंडोम का प्रयोग तो करना ही पड़ेगा ना वरना मुझे भी आप लोगों जैसा मानसिक एड्स ना हो जायेगा भला ?
एम आय राँग ?

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

@ किलर झपाटा
मिस्टर नीम हकीम श्रीवास्तव साहब,
आपने मात्रा गलत लगा दी है शायद। मैं सुधरता नहीं सुधार देता हूँ।
मात्रा गलत?? ज्यादा मात्रा में दवा दे दी क्या जो जुलाब होने लगे???
आप लोग नवाब भाई से क्यों इतना घबरा रहे हैं ?
घबरा नहीं रहा हूँ डर रहा हूँ कि कहीं ये गली कूंचे का नवाब मेरे हाथ आ गया तो उसका क्या होगा आपका भाई है आखिर...??
हम लोग आप जैसे लिड़ैयों पे बारूद नहीं गँवाते हैं, भाई।
हम जैसे लिड़ैयों पर क्या गंवाते हैं ये तो बता देतीं बहन ।
अपना मोबाइल नम्बर तो आप ऐसे बता रहे हो बार बार, जैसे कोई वैश्या ट्रेन के टॉयलेट में लिख आती है कि, लो कल्लो बात।
बवासीर, फ़िशर, फ़िश्चुला जैसे बीमारियाँ जब आप जैसे मरीजों के मुँह में होने लगें तो वे मोबाइल पर सलाह लेना चाहते हैं। हम तो लोकल ट्रेन में सफर करते हैं उसमें टॉयलेट नहीं होता हमें पता नहीं कि वेश्याएं अपने प्रचार के क्या क्या माध्यम अपनाती हैं आप बेहतर जानकारी रखते हैं।
ये सब आपको शोभा देता है भला ?
शोभा देता है नहीं शोभा देती है लिखिये, शोभा देगी तो भी हम लेंगे नहीं, भला जो चाहते हैं शोभा और अपना ।
ऐसे में आपका ये तथाकथित गुरूपना चिर भी जायेगा और कुट भी जायेगा।
कब, कैसे, कहाँ, कौन करेगा ये तो बताइए।
समझदारी से काम करना चाहिये ज़ील के भैया जी।
भड़ासियों से समझदारी की उम्मीद करते हैं ये आपका बड़प्पन है ज़ील की बहन जी।
इस बात अँग्रेजी में हँस देता हूँ, क्योंकि आपके मुन्नू (मुनेन्द्र) भैया को बड़ा पसंद है मेरा हँसना। Ha Ha !
किलकिलाते बिलबिलाते किस भाषा में हो वो भी हमें पसंद है एक बार बताओ न...।
और भाई, जब आप जैसों का बलात्कार करना हो, तो कंडोम का प्रयोग तो करना ही पड़ेगा ना वरना मुझे भी आप लोगों जैसा मानसिक एड्स ना हो जायेगा भला ?
आप कैसी बहन हैं जो भाई के साथ बलात्कार की इच्छा रखती हैं भले ही कंडोम के साथ या बिना कंडोम के लेकिन हमारे देश में फीमेल कंडोम्स का प्रचार आम नहीं है आप तो हाँगकॉंग से ले आएंगी, एड्स मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, दार्शनिक, सामाजिक या जो भी प्रकार आप को पता हों उनके लिये भड़ासायुर्वेद ने एक टीका विकसित कर लिया है आप घबराएं न पहले टीका लगवा लीजिये फिर बलात्कार करिये लेकिन बता दूं कि बलात्कार करना गलत बात है वो भी भाई के साथ तो छीः छीः....
कैसे हँसूं आपकी इस बलात्कारी मनोवृत्ति पर???
जय जय भड़ास

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