कीचड़ में जाकर तुम्हारी थूथनी दबाई और तुम्हारा दम घुटने लगा तब साँस लेने के लिये भड़ास पर आ ही गये
गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011
किलर झपाटा जब इतनी कस कर तुम्हारे बनाए कीचड़ में जाकर तुम्हारी थूथनी दबाई और तुम्हारा दम घुटने लगा तब साँस लेने के लिये भड़ास पर आ ही गये। हम चूतिये किस्म के लोग हैं दीवाली पर तुम जैसे मुखौटाधारी सुअर के साथ कीचड़ में होली खेल लेंगे। क्या मेरे किसी पुरखे ने तुम्हारी अम्मा के मंगलसूत्र के सोने में तांबे की मिलावट कर दी थी जिससे कि संतति भी तुम जैसी मिलावटी ही हुई जो तुम जैसी अंग्रेजों के कालेपन और गोरेपन का वर्णसंकर रूप है। बीच बीच में जो अंग्रेजी में दस्त करने लगते हो तो उसे साफ़ करने वाले को घिनऊ कह रहे हो तो जिन्होंने बचपन में पिछवाड़ा रगड़-रगड़ कर धुलाया है उन्हें क्या कहोगे? अबे नंगे जैनों के हिमायती मैं जान गया हूँ कि तू कितना हँस पा रहा है और कितना रो रहा है हमें कोई काम ऐसा नहीं है कि तेरे जैसों को रगड़ न सकें तू मुंह छिपाने से बच नहीं सकता कभी तो हाथ में आ ही जाएगा लेकिन जब तक हाथ नहीं आता तब तक लात से ही तेरी सुताई जारी रहेगी।
क्या बात है अंग्रेजी में हँस कर दिखा? हम लक्ष्मी की पूजा करने का ढोंग नहीं करते वो तो तेरे जैसे धूर्त ही करते हैं जो कि होली पर नशा और दिवाली पर जुआ परम्पराओं में घुसा चुके हैं।
एक बात और कि अब ये जानना है कि जब तुम भड़ास के सदस्य नहीं हो तो तुम्हारा कमेंट बिना संचालकों की अनुमति के प्रकाशित हो रहा है इसका क्या राज है, या तो दोनो संचालकों में से कोई एक तुम्हें जानता है या फिर तुम भड़ास में घुसे प्रवीण शाह किस्म का कोई रंगा सियार है,
डॉ.दिव्या श्रीवास्तव के साथ बदतमीजी का परिणाम हम तुम्हें दिखा रहे हैं कि हम भाई-बहन आपस में चाहे वैचारिक मतभेद रखें लेकिन यदि कोई तुम्हारे जैसा थुथुनहा सुअर आकर ये सोचे कि हम में से किसी को परेशान कर लेगा तो हम उसकी सारी चर्बी उतार देते हैं। यदि अभी तक एहसास न हुआ हो तो आगे आगे देखते चलो कि हम क्या क्या कर सकते हैं।
हा हा हा हा हा हा....
जय जय भड़ास
7 टिप्पणियाँ:
मुनेन्द्र भाई मैं इन महाशरीफ़ महाशय को निजी तौर पर नहीं जानता हूँ और न ही मेरा इनसे अब तक कोई संवाद है कदाचित भाई रजनीश झा से इनका परिचय हो क्योंकि आपका कहना सही है कि बिना संचालको की स्वीकृति के किसी भी ऐसे व्यक्ति का कमेंट प्रकाशित नहीं हो सकता जो कि भड़ास का लेखक सदस्य न हो। खैर आप लोग खेलिये कीचड़ कुश्ती ये तो इन महाशय को भी पसंद है अब आप इनका चुम्मा लें या थूथुन दबाएं ये आपकी मर्जी है। वैसे आपने वही करा जो भड़ास की परम्परा है अब इनका हँसना शायद रोने में तब्दील हो रहा है:)
जय जय भड़ास
मुनेन्द्र भाई प्रवीण शाह, गुफ़रान सिद्दिकी, रणधीर सिंह सुमन आदि की श्रेणी का एक और शरीफ़ मुखौटाधारी भड़ास पर आया है आपने अच्छा रगड़ा है। गुरू जी ने तो पेल कर रख दिया इसे ।
जय जय भड़ास
चरम प्रिय मुन्नू मुनेन्द्र,
आप तो अब वास्तव में मानसिक असंतुलन की स्थिति में आ गये यार। बताओ फिर जात बदल डाली। ये सूअर वगैरह की कस कस कर कीचड़ में जाकर थूथनी वगैरह दबाने और दम घोंटाने का काम किनका होता है, आप तो जानते ही होंगे है ना ? अब बताइये आप, ये काम करने लगे सुनारी का काम छोड़कर ? मेरे चक्कर में आपके यदि इतने दुर्दिन आ गये हैं, तो आय एम वैरी सॉरी । आपकी माता जी की कसम मुझे बहुत दुख हुआ कि, इस चक्कर में आपकी जात के साथ साथ ब्लॉगिंग की साँसें भी उखड़ने लगीं। आपकी मिजाजपुरसी के लिये ही भड़ास पर आया था। ये तो मुझे आप से ही पता चल रहा है कि "आप चूतिये किस्म के लोग हैं जो दीवाली पर मुझ जैसे सुमुखौटाधारी वाराह के साथ गन्दे कीचड़ में होली खेल लेंगे"। ये बैड हैबिट है, दीवाली पर होली थोड़ी खेलते हैं। पटाखे वगैरह फोड़ते हैं अण्डर्स्टुड। इसीलिये तो मैने इस शुभ अवसर पर आप लोगों तशरीफ़ में ५०,००० वाली पटाखों की लड़ी लगा ही दी है। अब तो आप सब ज़ील एण्ड कम्पनी वाले, मजे से कई दिन फटफटाते रहेंगे विथाउट एनी प्रॉब्लम। हा हा।
एक बात कमाल की कही आपने कि, आपके किसी पुरखे के द्वारा मेरी मम्मी के मँगलसूत्र में मिलावट करने से मुझ जैसी संतति पैदा हुई। इसीलिये तो मना करते हैं मुन्नू, कि कभी भी किसी की मम्मी के मँगलसूत्र में अपने पुरखों को मिलावट नहीं करने देना चाहिये, वरना मुझ जैसी संतति पैदा हो गई तो आप जैसे स्वर्णकारों से अपना पिछवाड़ा रगड़ रगड़ कर धुलवाती रहेगी और अँग्रेजी मे दस्त कर कर के आप को लस्त कर देंगी। आपके हाथों में दस्त की खुशबदबू इतनी गहरे पैठ जायेगी कि भोजन करते वक्त ५६ प्रकार के मलों का आनंद देगी।
एक बात और बतलाइये यार, आप लोग मुझे खोजने पीटने के चक्कर में क्यों पड़े रहते हैं ? क्या मेरे शब्दों कि मार से आप सबका पेट नहीं भर पा रहा है, जो हाथ लात वगैरह मुझ पर चला कर जोर आजमाइश भी करना चाह रहे हैं। अरे रोज रोज ब्लड-प्रेशर और डायबिटीज की दवाई खाने वालों, मेरे पहलवानी झपाटे का वार क्या सहेंगे आप लोग ?
मुझे नंगे जैनों के हिमायती, बता रहे हैं आप। कितनी गन्दी बात है ये। सब जैन नंगे नहीं होते बेटे। सिर्फ़ उनके गुरूजी याने संत लोग जो कि सन्यासी होने के कारण रहते हैं बिना वस्त्रों के। आपकी जनरल नॉलेज कमजोर समझ में आ रही है जरा। और आप जो नंगाई करते हैं उसका क्या ? बुद्धू, वैरी नॉटी यू आर। क्या कहा आपने अंग्रेजी में हँस कर दिखाऊँ ? अरे इट्स वैरी सिंपल ! ये लीजिये Ha ha ha .......। यू कैन ऑलसो लॉफ़ लाइक दिस, बट यू डू नॉट हैव टाइम फ़्रॉम सिंपली फ़ाइटिंग विथ मी ऑन ब्लॉग एण्ड कमेंट्स। एम आय राँग ?
लक्ष्मी की पूजा को ढोंग बताने वाले और मुझे धूर्त कहने वालों को सबक सिखाने के लिये ही यह बात राज रखी गई है कि जब मैं भड़ास का सदस्य नहीं हूँ तो मेरा कमेंट बिना संचालकों की अनुमति के प्रकाशित कैसे हो गया। खुजाते रहिये मुन्नू बेट्टे अपना सर, यही पहेली बूझते बूझते कि या तो दोनों संचालकों में से कोई मुझे जानते हैं या फिर मैं भड़ास में घुसा कोई कोई रंगा सियार हूँ।
डॉ.दिव्या श्रीवास्तव के साथ आप लोगों के चिपकने-चिपचिपाने का परिणाम है ये, जो मैं आपको दिखा रहा हूँ, आप मुझे क्या दिखा पायेंगे ?
इट नीड्स औकात यार, विच यू ऑल डोण्ट हैव एट ऑल। एम आय राँग ? यू .......भाई-बहन के नाम पर कलंक्स।
हा हा हा हा हा हा....
जय जय झड़ास
हैल्लो डॉ. रूपेश साहब, यू नीड नॉट हैव टु बी आश्चर्यचकित !! आपने फ़िल्मों में मेहमान कलाकार नहीं देखे क्या ? आय एम जस्ट लाइक दैट,सर। मेरे यहाँ हँसने को रोने में तब्दील होने नहीं दिया जाता। जी हाँ, व्यर्थ की बातें करके लोगों की हँसी उड़ाने वालों जरूर रुला दिया जाता है, वो भी झपाटे मारकर। जो परम्परा भड़ास की है वही मेरी भी है, प्यारे नीम हकीम साहब। भड़ास का भी एक स्तर है, जी। आप लोग जब भी भड़ास को उसके स्तर से गिराने की कोशिश करेंगे, तो आपको भड़ास के वास्तविक स्तर पर लौटा लाने के लिये मुझ जैसे आदर्शवादी मेहमानों का स्वागत यहाँ हमेशा होता रहेगा। धन्यवाद।
भड़ास की टीम को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
हमें आप जैसे अतिथियों के आगमन पर जरा भी आश्चर्य नहीं होता है। भड़ास पर हँसना रोना नाइट्रस ऑक्साइड का प्रभाव नहीं होता ये आप जान पा रहे हैं जो भी है वह भड़ास का ही प्रचंड प्रभाव है। आप भड़ास को एक परम्परा स्वीकारते हैं साथ ही उसे मानते पालते भी हैं ये बात सुखद है। साथ साथ आपने ये भी लिखा है कि भड़ास का निश्चित स्तर है तो ये भी प्रशंसा के तौर पर ही स्वीकार्य है कि गंवार, जाहिल, अनपढ़, गालीबाज किस्म के किसान-मजदूर भी आप जैसे लोगों की नजरों में कोई स्तर रखते हैं। आपको यदि ऐसा लगा कि गिरे हुए लोगों का स्तर और गिर रहा है तो आप जैसे लोग आकर उसे उठाइये ये आवश्यक है।
एक बात जरूर बताना चाहूँगा कि यदि आप मुझे "नीम हक़ीम" स्वीकार रहे हैं तो ये भी प्रशंसा है क्योंकि मैं मात्र नीम से ही तमाम रोगों का उपचार कर सकता हूँ धन्य है हमारा आयुर्वेद जिसके पेटेंट के लिए दुनिया दीवानी हुई जा रही है।
जय जय भड़ास
इसीलिये तो नीम हकीम कह रहे थे आपको क्योंकि आपका ज्ञान अधूरा है। यहाँ नीम उर्दू शब्द है जिसका अर्थ होता है आधा और ये तो आप भी जानते हैं कि अधूरा ज्ञान हमेशा नुकसानदायक होता है। यू यूसलैस डॉक्टर। आप मुझसे हर फ़ील्ड में शास्त्रार्थ कैसे करेंगे यार जबकि आपका जनरल नॉलेज ही अधूरा है। आय मीन आप समझ गये ना मैं क्या कहना चाहता हूँ ? हा हा।
बहन किल्ली झपाटिन
असल में ये तुम्हें समझाने के लिये लिखा था जैसे तुम अंग्रेजी और हिन्दी को जोड़ कर प्रयोग करती हो। इस विषय पर कई बार लोगों ने तुम पर अंग्रेज और देसी के वर्णसंकर होने का आरोप लगाया लेकिन मैं जानता हूं कि मेरी बहन वर्णसंकर नहीं है बस थोड़ा बहुत अंग्रेजी सीख गयी है तो बीच बीच में पेले रहती है। जैसे तुम्हारा छद्म नाम तुम लिखती हो किलर झपाटा, इसमें किलर अंग्रेजी का शब्द है और झपाटा देशज वैसे ही मैंने तुम्हें नीम हक़ीम का अर्थ समझा दिया है। आप अब भी चाहें तो शास्त्रार्थ की तमन्ना पूरी कर सकती हैं लेकिन भाई को "यार" की संज्ञा देकर आप कैसी जनरल नॉलेज जता रही हैं ये क्या हाँगकाँग की परम्परा है कि भाई को यार बना लिया जाए या छठ पूजा करने वालों की परम्परा में नया अध्याय जोड़ लिया है?आप क्या कहना चाहती हैं मैं समझ रहा हूँ कि मेरी बहन किल्ली झपाटिन एक अतिकामीविकृत मनोरुग्णता की स्थिति से गुजर रही है जो कभी भाई के साथ कंडोम लगा कर बलात्कार करना चाहती है और कभी भाई को यार लिख रही है। जब आप इतनी बीमार हैं तो मैं एक भाई और साथ ही डॉक्टर होने के नाते तो हँस नहीं सकता लेकिन आपका हँसना तो बीमारी का एक गम्भीर लक्षण है जो यदि आप भड़ासायुर्वेद का उपचार लें तो सही हो जाएगा।
जय जय भड़ास
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