रजनीश जी आपकी चुप्पी बनाम भड़ास के मुखौटाधारी सदस्य के कमेंट्स
मंगलवार, 22 नवंबर 2011
जैसे ही शम्स भाई ने रजनीश झा जी की वेबसाइट पर लगे अश्लील विज्ञापन की बात करी तो तुरंत मुखौटाधारी सदस्य ने कमेंट कर दिया। रजनीश झा जी पिछली एक पोस्ट में सिर्फ़ चार अक्षर यानि "सहमति" कमेंट बॉक्स में लिख कर जो नदारद हुए तो अब तक न दिखे लेकिन मुखौटाधारी सदस्य भड़ास में उल्टे-सीधे नामों से कमेंट जरूर करे चला जा रहा है।
रजनीश जी जानते हैं कि भड़ास कोई मात्र एक ब्लॉग नहीं बल्कि जीवन शैली है जिसने हमें प्रभावित करा है और हम जुड़े हैं। मैं निजी तौर पर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी को जानता हूँ वे जैसे ऑनलाइन हैं वैसे ही ऑफ़लाइन भी हैं। भड़ास के पुनर्जन्म की सारी कहानी मुझे पता है कि किस तरह बनिये यशवंत सिंह के चंगुल से आप लोगों ने भड़ास की आत्मा को लाकर उसे नया जन्म दिया। इस बारे में तमाम हिंदी के ब्लॉगर जानते हैं लेकिन राजनैतिक चुप्पी साधे रहते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। भड़ास पर लिखने से सचमुच कोई आर्थिक लाभ नहीं होता लेकिन स्वास्थ्य के लाभ से ही बड़ी उपलब्धि है। आपने आर्थिक लाभ के लिये निजी वेबसाइट चला रखी है वह भला किसी के लिये क्यों आपत्ति की वजह होगी लेकिन चूँकि जब आप भड़ास के संचालन से जुड़े हैं तो आपका नैतिक दायित्व बनता है कि उन मर्यादाओं को ध्यान रखें जिनके अतिक्रमण के चलते दलाल, भड़वा न जाने क्या क्या विशेषण पत्रकारों के साथ जुड़ जाते हैं।
आपने अपनी वेबसाइट पर जो विज्ञापन लगा रखा है वह किसी अश्लील वेबसाइट नहीं बल्कि एक वैवाहिक वेबसाइट से जुड़ा है, उद्देश्य सही है लेकिन विज्ञापन की अश्लीलता से इन्कार नहीं है। भला यदि शादी के लिये विज्ञापन में ऐसी लड़कियाँ दिखायी जाएं तो फिर तो हो चुकी शादी ये तो इंटरनेट पर मौजूद हजारों अश्लील वेबसाइट्स जैसा विज्ञापन लगता है। आप चुप्पी साध कर क्यों बैठे हैं और कोई मुखौटाधारी क्यों परेशान है इस बारे में आपका पक्ष अवश्य जानना चाहता हूँ।
जय जय भड़ास
6 टिप्पणियाँ:
बस इतना कह देना काफ़ी है कि रजनीश झा साहब की चुप्पी बता रही है कि उनके भीतर का भड़ासी बाजारवाद की चपेट में आकर शायद दम तोड़ बैठा है या तो आखिरी साँसे ले रहा है। उल्टे सीधे नामों से कमेंट करने वाले इसी बनियापे की सोच से उपजे कीड़े हैं जो भड़ास में रेंग कर घुसे हैं।
जय जय भड़ास
अबे भड़ास के छक्को से भरे माहोल मे ये दोनों भी वैचारिक नपुसंक हो गये है ,सारे छक्के मिल कर इन दोनों के लिए दुआ करो
और कीड़े तो तुम हो जो यहाँ बिलबिला रहे हो
پاگل کی اولاد شمس جا کر اپنا منہ دھو کر آ اور سليكے سے بات کر
आदरणीय संचालकों को ये बात दिख रही है कि भड़ास में भड़ासी होने का मुखौटा लगा कर घुसा हुआ पाखंडी अपनी करतूतें कर रहा है। अवतार स्वरूप डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी के पास इन राक्षस के लिये कोई उपाय अवश्य होगा।
वैसे ये बाजारू राक्षस जान ले जो कि अपने भाई-बहनों से भी बलात्कार की प्रवृत्ति रखता है कि भड़ास पर न जाने कितने कपटी आए और खुद ही भाग गये। तू अपनी पहचान इसीलिये छिपाए है कि यदि पहचान लिया गया तो तेरा खेल खत्म हो जाएगा धूर्त राक्षस ।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
قاف اور کاف میں بہت دورے ہے بتا جو تم جیسے دھککن نہیں سمجھ سکتے .
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