रजनीश जी पर यशवंत सिंह का प्रेत सवार हो चुका है
बुधवार, 23 नवंबर 2011
एकदम सीधा अनुमान लगा रहा हूँ कि भड़ास पर किलर झपाटा के नाम से लिखने वाले और उल्टेसीधे नामों से टिप्पणी करने वाले कोई दूसरे नहीं बल्कि खुद भड़ास के संचालक रजनीश के.झा हैं जो कि शायद भड़ास पर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी से अलग विचारधारा रखते हैं और अब बाजारवाद के बहाव में आकर ये हरकतें कर रहे हैं। वैसे भी उन्हें अब भड़ास के लिये समय नहीं है क्योंकि वे अपने निजी कार्यों में व्यस्त हैं। एक बार दोबारा भड़ास पर वही कहानी दोहराए जाने की आशंका है जो पहले भड़ास पर हो चुकी है, रजनीश जी पर यशवंत सिंह का प्रेत सवार हो चुका है इसलिये डॉ.रूपेश जी एक बार फिर तैयार हो जाएं इस बात के लिये कि भड़ास का फिर पुनर्जन्म होगा और इस बार हत्या के जिम्मेदार होंगे रजनीश झा ।
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
बस ये ही तुम १० -१२ चूतिये ,छक्के मिल कर गाते रहो ,और कोई अगर इस से अलग बोले तो उस को गरियाओ ,बस यही भड़ास रह गई है ,अब इस भड़ास को अपने पीछे घुसा कर यहाँ ब्लॉग पर कुत्तों की तरह भोकते रहो ,भागते तुम रहे हो ,जहा भड़ास ब्लॉग पर 1700 से ज्यादा मेम्बर है ,और यहाँ बस तेरे जैसे ९० चूतिया और छक्के, अब इस भड़ास को अपने पिछवाड़े मे डाल लो
ये भड़ास तो तुम्हारे पिछवाड़े में तूफ़ान मचाए हुए है मुखौटाधारी कीड़े तभी तो इधर रेंग रहा है वरना अपने नाजायज़ बाप यशवंत सिंह के पास सत्रह सौ में बिलबिलाता। भड़ासी क्या हैं ये तो तेरे बाप और तुझे दोनो को खूब पता चल गया है।
जय जय भड़ास
अपनी असली शक्ल देख कर गुस्सा आ रहा है , गन्दी नाली के कीडो ...:)
हा हा हा हा हा हा....
दोस्त हमारे ऊपर सब आत्मा क्या सवार होगी हम तो अपने आप में आत्मा हैं ;-) और हां ये यशवंत कहाँ से आ गया. नाजायज वंसजों कि नाजायज औलाद की कोई आत्मा नहीं होती. यसवंत तो अपनी खून का सौदा भी शराब के लिए कर ले.
काहिर मैं सफाई नहीं दूंगा मगर आत्मा कभी परमात्मा से अलग नहीं होते हैं. रजनीश कि आत्मा भड़ास (परमात्मा ) में समाई हुई है.
जय जय भड़ास
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