भारतीय मुस्लिमों अब तो विजयादशमी मनाओ
मंगलवार, 22 नवंबर 2011
हमारे देश में सरकारी तंत्र ने नागरिकों को जिस तरह जाति, धर्म, भाषा आदि के तराजू से तौल कर बाँट रखा है वह घातक है और उससे भी ज्यादा ये भ्रामक अंग्रेजियत भरा प्रचार है कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। अंग्रेजों ने ऐसा माहौल बना दिया था कि हिंदू मुसलमान एक दूसरे से डरे और असुरक्षित महसूस करते रहें और इस स्थिति को बाकायदा संवैधानिक जामा पहनाया गया जिसे हमारे स्वयंभू विद्वानों ने यथावत स्वीकार लिया। एक दूसरे से असुरक्षा महसूस करते और सरकारी कुनीतियों के चलते जो होता रहा उसमें आतंकवाद का उद्भव भी इसी विषवृक्ष का फल है जो अंग्रेजों ने रोपा था।
देश में बहुसंख्यक(?) हिंदुओं को मुसलमानों के प्रति अंग्रेजों ने जमाने से भयभीत कर रखा था इसका प्रमाण हैं विनायक दामोदर सावरकर द्वारा गठित संगठन "अभिनव भारत" वर्ष १९०४-५ और केशवराम बलिराम हेडगेवार के संगठन "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" वर्ष १९२५ । ये संगठन अंग्रेजों से नहीं मुसलमानों के खिलाफ़ खड़े हुए और अब तक हैं इन्होंने अंग्रेजों से आजादी की बजाए मुसलमानों से जूझना बेहतर समझा। नफ़रतें गहराती गयी लेकिन मुसलमानों के ऊपर आतंकवादी होने का ठप्पा लगा देने वाली सोच ये नहीं देखती कि माओवादियों में एक भी मुसलमान नहीं है जो इस समय देश के लिये सबसे बड़े आतंकी हैं, बोडो उग्रवादी, सिख खाड़कू आदि भी मुस्लिम नहीं हैं।
धीरे धीरे बदलाव आ रहा है शायद कि मालेगाँव में हुए विस्फ़ोट में आतंकी कह कर फँसा दिये गए मुस्लिमों को पाँच साल जेल में सड़ाने के बाद अब जमानत मिल गयी है साथ ही इशरत जहाँ की हत्या की जाँच भी पूरी हो चुकी है। इशरत के मामले में एक गैर मुस्लिम लड़के के प्रेम में पड़ कर मुसलमान बन जाने की कहानी को गुजरात पुलिस के उन पिट्ठुओ ने जो हिंदू अतिरेकियों के इशारों पर नाच रहे थे मार कर उनके तारों को लश्करे तैय्यबा से जोड़ कर कहानी रच ली।
सत्य की असत्य पर जीत हुई है तो मुसलमानों अब दशहरा मनाओ जब दोषियों को दंडित कर दिया जाएगा तो दीपावली भी मना लेना। मुसलमानों को जान लेना चाहिये कि अन्याय पर न्याय, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक ही तो हैं ये त्योहार भले ही कथाएं कालांतर मे बदलती रही हों।
जय जय भड़ास
6 टिप्पणियाँ:
कोई भी अखबार उठा कर ,उस मे उस दिन की सारी आपराधिक घटनाओ को इकठा करो ,और अपराधियों के नाम देखो पता चल जायेगा की ये सारे ९९% मुस्लमान ही है
मीडिया पर किस कदर ऐसे फासीवादियों का कब्जा है कि जो मुसलमानों को ही आतंकी ठहराने की कवायद में लगे रहते हैं। जबकि असल आतंकी तो जैन हैं जो छिप कर इस कार्य में पुरजोर लगे हुए हैं।
जिस पाखंडी ने मुखौटा लगा कर भड़ास में घुस कर ये कमेंट करा है वह मुसलमान नहीं है वह जैन ही है। माओवादी,सिख आतंकवादी,बोडो उग्रवादी,लिट्टे उग्रवादी आदि इसके रिश्तेदार होंगे क्योंकि ये सारे मुसलमान नहीं हैं। ये जैन लोग इन्हें आर्थिक सहायता देकर पीछे से मदद करके छिपे रहते हैं और मीडिया में सिर्फ़ मुसलमानों को बदनाम करते रहते हैं यही इनकी चाल है ताकि हिंदू-मुसलमानों में बदअमनी का माहौल बना रहे।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
जहा कोई मुस्लिम आतंकवादी होगा ,वही पर लड़ाई झगडा होगा
अबे चिरकुट मुखौटाधारी कीड़े ! तुझे लगता है कि मुँह छिपा कर इस तरह के कमेंट करके तू कुछ कर सकता है तो तू चूतिया कहलाने लायक भी नहीं है। अबे ढक्कन! भड़ास पर लिखने के लिये मुंह होना चाहिये जो तेरे पास नहीं है तेरा मुँह ढँका और बाकी सब खुला हुआ है।
जय जय भड़ास
ये तो रप्पू तू जानता ही है , मेरा मुह तो ढका हुआ है पर तेरा और तेरे जैसे भडास के धंधे वालो और वालियो और वो भी जो यहाँ सिर्फ ताली बजाते है (छक्के ) का तो ना मुह ढका है ना कुछ और , बस कोई उसे देख कर तुम्हारी दुकान पर आये और जहा चाहे मुह मे , या आगे पीछे कुछ भी डाल कर चला जाये ,तुम्हे बड़ा मजा आता है ,क्यों नहीं आएगा मजा का मजा और तुम्हारी कमाई की कमाई ...:)
ये नाजायज बाप कि नाजायज औलाद भड़वा अपने मुखौटे के साथ कभी सामने नहीं आएगा क्युकी इसे पता है कि भड़ास इसे जुतिया के जहाँ से निकला है वहीँ घुसा देगा.
जय जय भड़ास
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