क्या आपके मंजन में 'तंबाकू' है
रविवार, 6 नवंबर 2011
हम रोज़ सुबह उठते हैं और हमारी दिनचर्या शुरु हो जाती है। दांतों की साफ-सफाई दिनचर्या का विशेष हिस्सा है। बाज़ार में एक से बढ़कर एक किटाणु मारने टूथपेस्ट व पावडर मौजूद हैं। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन मंजनों में फ्लोराइड की खतरनाक मात्रा तो पायी ही जाती है साथ ही तंबाकू में पाया जाने वाला निकोटीन भी मिला है, जो आपकी सेहत को बीमार बहुत बीमार बना सकता है। दिल्ली इंस्टीट्यूT ऑफ फार्मास्यूटिक साइंसेज एंड रिसर्च में ऐसे कई खुलासे हुए हैं...
यदि हम कहें कि एक ग्राम दंतमंजन में 4 सिगरेट के बराबर निकोटीन पाया गया है तो आप चौंके बिना नहीं रह सकते, लेकिन यह सच है। दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड की रिसर्च में ऐसी कई चीजें पायी गयी हैं जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा नहीं करतीं। टूथपेस्ट में फ्लोराइड की मात्रा, टूथ पावडर व टूथपेस्ट में निकोटीन की मात्रा, सौंदर्य प्रसाधन जैसे होठों की लिपस्टिक में लेड (शीशा) का पाया जाना और कामोत्तेजक गोली के नाम पर बेची रही दवाईयों में खतरनाक रसायन का मिलना जिसकी अधिक मात्रा जानलेवा है। इससे यह साबित होता है कि हमारी रोजमर्रा यूज़ की जाने वाली चीजों में किस तरह मिलावट का जहर मिलाया जा रहा है। दिप्सार की रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि बाजार में बिक रहे दंतमंजन जो आपकी दातों को मोती जैसा चमकाने का दावा करते हैं उनमें निकोटीन की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इसका सेवन करने वाला व्यक्ति, महिला या बच्चा इसके आदी बन सकते हैं। दिप्सार यूनिवर्सिटी के एक्स प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रो. डॉ. एस.एस अग्रवाल आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहते हैं कि निकोटीन एक ऐसी वस्तु है जिस पर प्रतिबंध लगा है। निकोटीन वाले प्रोडक्टट्ïस के सरकार ने गाइडलाइंस तय किए है और हर पैकेट पर वैधानिक चेतावनी अनिवार्य है। लेकिन दंतमंजन कंपनियां इसका सीधा उल्लंघन करती हैं। इन टूथ पावडर और टूथपेस्ट के पैकेट्ïस पर कोई वैधानिक चेतावनी नहीं होती और न ही निकोटीन की मात्रा का जिक्र होता है। प्रो. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि उनके टूथपेस्ट में हानिकारक केमिकल की मात्रा कितनी है? इससे पहले भी दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज रिसर्च ने अपने कई रिसर्च में यह पाया कि नामी कंपनियों के प्रोडक्ट्स में निकोटीन भारी मात्रा में पाया जा रहा है।
टूथपेस्ट व टूथपावडर में निकोटीन
दिप्सार के एक्स प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रो. डॉ. एस.एस अग्रवाल ने कहा कि मशहूर कंपनी विको दंत मंजन में तो लगातार तीन साल की रिसर्च में निकोटीन की मात्रा पायी गयी। यह स्पष्ट कर दें कि दिल्ली व एनसीआर एरिया के विभिन्न बाजारों से टूथपेस्ट व मंजन के डिब्बे लिए गये और दिप्सार की लैबोरेटरी में इनकी जांच की गयी, जिसमें कई बड़ी कंपनियों प्रोडक्ट्स शामिल हैं। रिसर्च के लिए दिल्ली-एनसीआर से विको, अल्का दंतमंजन, यूनादंत, डाबर रेड, पायोकिल, कोलगेट टूथ पावडर, मुसा का गुल, कोलगेट हर्बल, पेप्सोडेंट जर्मीचेक, पेप्सोडेंट जी, थर्मोडेंट, नीम तुलसी, एरोडेंट, मिसवाक, कोलगेट मैक्सफ्रेश, स्टोलिन पेस्ट, हर्बोडेंट, इमोफार्म-आर, ट्राईगार्ड, स्टोलिन-आर, आरए थर्मोसील, हिमालया, ग्लिस्टर, कोलगेट सेंसीटीव, कोलगेट टोटल, सेंसोडेंट-के, सेंसोफार्म, बबूल, नीम पेस्ट, विको वज्रदंती और डाबर रेड सहित कुल 24 ब्रांड के सैंपल उठाए गये। जांच के बाद इन 24 में से 13 ब्रांड्स में निकोटीन की मात्रा पायी गयी। निकोटीन के खतरे से भला कौन अंजान है ऐसे में यह टूथपेस्ट यदि आपके बच्चे को तंबाकू आदी बना दे तो कोई क्या करे? बात करते हुए दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिक साइंसेज एंड रिसर्च (दिप्सार) के एक्स प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रो. डॉ. एस.एस अग्रवाल ने कहा कि टूथपेस्ट में मिलाए जाने वाले फ्लोराइड की मात्रा तय मानक 1000 पीपीए से कहीं ज्यादा पायी गयी है जो हमारे मुंह के जरिए खून में मिलकर पूरे शरीर की क्रिया को दुष्प्रभावित कर सकता है। यही नहीं ज्यादा फ्लोराइड की मात्रा बच्चों को मंद बुद्धि भी बना सकती है। उपर दिए गये 24 ब्रांड्स की जांच में 4 ब्रांड्स ऐसे हैं जिसमें तय मानक से ज्यादा फ्लोराइड की मात्रा पायी गयी। जबकि अन्य में तय मानक से कम मात्रा भी पायी गयी।
सौंदर्य प्रसाधन में शीशे की मिलावट
हमारे दैनिक उपयोग की वस्तुओं में जहरीले केमिकल्स मिलाने की कहानी यही नहीं रुकती। महिलाओं के मेकअप की सबसे आवश्यकत वस्तु लिप्सस्टिक, काजल सहित हेयर डाई और सिंदूर तक में अनावश्यक रुप से लेड व आर्सेनिक मिलाया जा रहा है जबकि बॉयोलॉजिकल सिद्धांत में यह कहीं नहीं लिखा कि लेड हमारे शरीर के लिए किसी भी तरह जरुरी है। जाहिर सी बात है अधिक चमक के लिए खतरनाक लेड त्वचा को खूब नुकसान पहुंचा रहा है फिर भी जानकारी के अभाव में मिलावटी वस्तुओं का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। दिप्सार की रिपोर्ट के अनुसार लिप्सस्टिक ब्रांड मर्ल, रैंबल, ब्लू हैवन, लैक्मे-30, एल-18, रेवलॉ, अवीवा और रामलीन में लेड की मात्रा पायी गयी। इसी तरह काजल बनाने वाले ब्रांड्स रेवलान, पर्सोनी, लैक्मे-30, बिमसैनी, ब्लू हैवन, श्रृंगार, स्वाति, सवेरा व बायोटिक में लेड की मात्रा पायी गयी। यदि हम हेयर डाई की बात करें तो कई मशहूर ब्रांड जैसे गोदरेज पावडर, गोदरेज लिक्विड, ब्लैक रोज, एस. वासमोल, इंडिका, कलरमेट, बाइगेन, स्ट्रेक्स, खादी हर्बल मेंहदी व गार्नियर आदि प्रोडक्ट्ïस में लेड व आर्सेनिक की मात्रा पायी गयी। यही नहीं महिलाओं के श्रृंगार सिंदूर को भी मिलावट खारों ने नहीं बख्शा और इसमें भी मिलावट कर डाली। सिंदूर ब्रांड कुमकुम रुपविला, अनुपम, मिलाप, देसोनी, ब्लू हैवन स्र्पाकल, डिजायर, पूजा जी, सहेली, गीता और मिडी में लेड, आर्सेनिक, कैडमियम, कोबाल्ट, निकिल और क्रोमियम की खतरनाक मात्रा पायी गयी है।
सेक्स के नाम पर प्रतिबंधित रसायन
दिप्सार की रिसर्च यही नहीं ठहरती। वह इंसान की हर खास जरुरत में होने वाले मिलावटी खेल को परखना चाहती थी। दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज रिसर्च (दिप्सार) की रिपोर्ट बताती है कि देश में हर्बल व यूनानी दवाओं के नाम पर बेची जा रही कामोत्तेजक गोलियों में प्रतिबंधित रसायन मिलाया जाता है। ज्ञात हो कि जब (वियाग्रा) में मिलाये जाने वाले इस रसायन को लांच किया गया था तब लांच के 13 महीने में 522 मौतें हुईं थी। यही नहीं 1998 में ऐसे 56 लोग मर गये जिन्होंने मरने के 24 घंटे के दौरान इस घातक रसायन का सेVन किया था। हमारे देश में सेक्स के नाम पर इनका धड़ल्ले से विज्ञापन किया जाता है और लोग खरीदकर उपयोग भी करते हैं। जबकि सैडनाफिल नामक इस रसायन की वजह से यह न केवल व्यक्ति के यौन जीवन के लिए खराब हो सकता है बल्कि इसके दुष्परिणाम के रुप में होने वाली बीमारियां हमारे नर्वस सिस्टम से लेकर कार्डियोवैस्क्यूलर, मायोकार्डियल इफ्रेक्शन, सडेन कार्डियाक डेथ, वेन्टीकूलर आरिथैमिया, सेरेववैस्क्यूलर को प्रभावित कर सकती हैं। रिसर्च के लिए हर्बल व यूनानी ब्रांड सिंकदर-ए-आज़म, सुपरसोनिक, टाइटेनिक के-2, एक्सपावर, गोली वाजिद अली शाह, मुसली पावर एक्स्ट्रा, टू मच गोल्ड, मुसली गोल्ड, मुसली वेदा, शुक्र शक्ति, अमृत शक्ति डायमंड कैप्सूल, हब्बे जिरयन, हब्बे मुक्कावी, हब्बे मुमसिक, शिल्पारवांग, रामांटिक पावडर, गोली शंहशाही, शक्तिपुंज, शर्मायु कामयोग गोल्ड, जेपी007, मस्टोंग, डाबर माइमी, टेन्टेक्स रॉयल, सेफ्ड मुसली चूरन, कुर्स जिरयन, हब्बे मुमसिक तिलाई, शुक्र अमृत बटी, जापानी सुपर ऑयल, जापानी ऑयल, स्टे ऑन, प्रिंस टिला, स्टे ऑन ऑयल, वायसेक्स डैग नामक कुल 31 सैंपल लिए गये जिनमें से 2010 में 8 और 2011 में 6 ब्रांड्स में खतरनाक सैडलाफिल व टैडलाफिल रसायन पाया गया।
कहां, कितना निकोटीन मिला
ब्रांड मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी निकोटीन की मात्रा (प्रति ग्राम)
कोलगेट हर्बल कोलगेट-पामोलिव इंडिया लिमिटेड 18 मिग्रा.
नीब तुलसी अयूर सिद्धा इंक 10 मिग्रा.
विको विको लैबोरेटरीज 0.05 मिग्रा.
अल्का दंतमंजन देव केमिकल वक्र्स प्रा.लि. 1.0 मिग्रा
यूनादंत आयाम हर्बन एंड रिसर्च इंडिया 1.7 मिग्रा.
डाबर रेड डाबर इंडिया लिमिटेड 0.01 मिग्रा.
पायोकिल गुरुकुल कांगडी फॉर्मेसी 16 मिग्रा
मुसा का गुल मो. मुसा एंड कंपनी 0.14 मिग्रा.
स्टोलिन पेस्ट ग्रुप फार्मास्यूटिकल लिमिटेड 0.06 मिग्रा.
आरए थर्मोसील आईसीपीए हेल्थ प्रोडक्ट लिमिटेड 0.06 मिग्रा.
हिमालया हिमालया ड्रग कंपनी 0.029 मिग्रा.
सेंसोफॉर्म इंडोको रमेबिक्स लिमिटेड 0.065 मिग्रा.
नीप पेस्ट वीवीए लिमिटेड 0.02 मिग्रा.
जिनमें नहीं मिला निकोटीन
ब्रांड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी निकोटीन की मात्रा
कोलगेट टूथ पावडर कोलगेट-पामोलिव इंडिया लिमिटेड नहीं पायी गयी
वैद्यनाथ सिद्धायु आयुर्वेदिक रिसर्च फाउंडेशन नहीं पायी गयी
एमडीएच सुपिरीयर डेलीसेसिस प्रा.लि. नहीं पायी गयी
गमटोन चरक फार्मा प्रा.लि. नहीं पायी गयी
एरोडेंट निकिता आयुर्वेदिक प्रा.लि. नहीं पायी गयी
डाबर रेड डाबर इंडिया लिमिटेड नहीं पायी गयी
डेंटोबैक प्रयाग परफ्यूम्स नहीं पायी गयी
मानक से ज्यादा फ्लोराइड वाले दंतमंजन
ब्रांड मात्रा (पीपीए)
कोलगेट हर्बल 1800
पेप्सोडेंट जर्मीचेक 2400
कोलगेट मैक्स फ्रेश 1800
इमोफार्म-आर 1300
सेंसोफॉर्म 1300
विको वज्रदंती 1200
6 टिप्पणियाँ:
मनोज भाई रिपोर्ट की सत्यता संदिग्ध है क्योंकि मेरे बाबू जी डेंटोबैक प्रयोग करते थे जिसे एक बार माताजी ने प्रयोग कर लिया था तो उन्हें चक्कर और उल्टियाँ होने लगीं थी। डॉक्टर ने कहा था कि ये मंजन में मिले तंबाकू के प्रभाव से है। ये बात बरसों पुरानी है उस मंजन में तम्बाकू है या रिपोर्ट में नहीं पायी गयी??
जय जय भड़ास
सचमुच बड़ी तफ़्सील से बनाई हुई रिपोर्ट है मनोज भाई। आप बड़े दिनों बाद दिखे क्या बात है सब खैरियत तो है न?
जय जय भड़ास
मनोज भाई बड़े दिनो बाद विस्तारित रिपोर्ट लेकर आए हैं। क्या किसी मंजन वाले ने दाँत दिखा दिये हैं :)
जय जय भड़ास
सालों को जेल में डाल देना चाहीये।
गुल से cancer होता है कि नहीं?
दिप्तसार की ये रिपोर्ट बोगस साबित हो चुकी है। उसके अलावा मैं इस बात से हैरत में हूं कि मुसा का गुल में निकोटीन कोलगेट से कम मिला, जबकि मुसा का गुल का मुख्य तत्व तंबाकू ही है (ये डब्बे पर ही लिखा रहता है)। मेरे माता जी और पिता जी कई सालों तक मुसा का गुल प्रयोग करते थे, और उसी के फलस्वरूप दोनों को कैंसर हो गया। पिता जी तो ना बच सके, पर माता जी कीमो, सर्जरी और रेडियेशन के बाद अभी भी हमारे साथ हैं।
एक टिप्पणी भेजें