जैन राक्षसों ने मानवों की समय के साथ भूलने की प्रवृत्ति का भरपूर लाभ उठाया है।

रविवार, 6 नवंबर 2011


राक्षसकुल के लोग इस बात को पीढ़ी दर पीढ़ी अनुभवों से खूब भली प्रकार से समझ गए हैं कि जैसे जैसे कालक्रम आगे बढ़ता है मानव पुरानी कई बातों को भूलते जाते हैं। पुरानी पीढ़ी अपनी नयी पीढ़ी को कई बातों को बताती है लेकिन भूल जाने की प्रवृत्ति के चलते उसमें कुछेक सर्वथा भिन्न बातें हर पीढ़ी में जुड़ती जाती हैं। उसका सीधा उदाहरण "जैन रामायण" है जो कि राक्षसों ने लिखी है क्योंकि वे जान चुके हैं कि उन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी महाराज राम व उनसे जुड़े लोगों की कथाओं में इतने भ्रम पैदा कर दिये हैं कि लोग उनके कुत्सित मनोरथ को समझ ही न पाएंगे। आप खुद ही देखिये कि आजतक जैन रामायण पर किसी ने सवाल नहीं उठाया कि जैनियों को रामायण लिखने की कौन सी जरूरत आ पड़ी? क्यों इन लोगों ने "जैन कुरआन" नहीं लिखी, ये जानते हैं कि जो अहिंसा का धीमा जहर ये मानवों को दे रहे हैं उससे सबसे अधिक हिंदुओं को प्रभावित करा जा सकता है मुस्लिमों को नहीं वरना ये तत्काल ही मार कर वापिस नर्क में खदेड़ दिये जाएंगे जिधर के ये रहने वाले हैं।
प्रवीण शाह(जैन) और अमित जैन भी इसी प्रवृत्ति का लाभ उठाने की कोशिश में लगे रहते हैं कि लोग उनकी नीच और कुत्सित बातों और आरोपों को भूल जाएं तब ये दोबारा प्रेम,करुणा,अहिंसा,शराफ़त का मुखौटा लगा कर भड़ास पर आ जाएं और हेराफ़ेरियाँ करते रहें। प्रवीण शाह ने जो भी करा है वो सब हमारे पास सुरक्षित है, अमित जैन जो जो हरकतें करता है हम उसे सुरक्षित रखते हैं ताकि आने वाले लोगों को आवश्यकता पड़ने पर बता सकें कि ये शरीफ़ लोग असल मे कितने नीच और पैशाचिक स्वभाव के हैं।
आजकल एक नया मुखौटा भड़ास पर दिख रहा है उसका उद्देश्य भी हम समझ रहे हैं वो अपनी निकृष्ट बातों में उलझा कर हमें ठीक उसी तरह मूल विषयों से भटकाने की कोशिश में लगा रहता है जैसे कि पहले करते रहे हैं।
न अमित जैन माफ़ी माँगेगा
न प्रवीण शाह(जैन)परम आदरणीय अवतार स्वरूप  डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी पर लगाए झूठे आरोपों की पोल खुलने पर लज्जित होगा ।
न ही किलर झपाटा के मुखौटे से लिखने वाला राक्षस अपनी कुत्सित हरकतें बंद करेगा।
न ही भड़ास के दूसरे संचालक भाई रजनीश के.झा अब भड़ास पर सक्रिय रह पाएंगे क्योंकि उन्हें इस अंदाज में उलझा लिया होगा कि वे अब भड़ास पर नहीं दिखते ये राक्षस ऐसा कर सकते हैं।
इसके बावजूद इनसे डरने की जरूरत नहीं है बल्कि इनका मुकाबला करने की आवश्यकता है अहिंसा के मीठे जहर से बचते हुए भगवान कृष्ण के उपदेशानुसार ।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास  

3 टिप्पणियाँ:

किलर झपाटा ने कहा…

अबे अनूप मंडल मैं तो तुमको समझदार समझ रहा था लेकिन तुम भी अपने पागल अवतार की ही तरह निकले। तुम्हारी बतायी हुई जैन रामायण पढ़ी बात तो ठीक है कि जैनों ने फ़र्जी रामायण लिख कर रामकथा के नाम पर दुनिया को खूब चूतिया बनाया है। ये साले जैन भी एक नंबर के हरामी हैं तुम्हारे पगले अवतार रूपेश की तरह । हा हा

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

ये सचमुच विकृत दिमाग का प्राणी है। इसे अब तक सबसे बड़े पागल हमारे भाई डॉ.रूपेश के बारे में सही अंदाज नहीं है तभी इस तरह की बातें लिख रहा है। ये पागलपन ही तो है उनका जो भड़ास चला रहे हैं और इन जैसे खबीसों को सहन कर लेते हैं।
जय जय भड़ास

Ramesh ने कहा…

jain ka parda faas ho chuka h.............

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