रजनीश झा साहब परेशान हो गए और हंसी आना बंद हो गयी?
बुधवार, 23 नवंबर 2011
रजनीश झा साहब परेशान हो गए और हंसी आना बंद हो गयी? कम से कम इतनी हिम्मत तो जुटा पाते की खुल कर कह सकते की हाँ मैं बुरा आदमी हूँ क्योंकि मैं भड़ासी हूँ नंगी लड़कियों की फोटो लगा कर पैसे कमाऊंगा किसी के बाप का क्या जा रहा है लेकिन आप तो मुंह छिपा कर कमेन्ट कर रहे हैं छद्म नाम से लिखिए लेकिन भड़ास के उस स्तर को कीचड में मत डालिए जिसकी चिंता आपको किलर झपाटा बन कर हो रही थी अमित जैन से दिल्ली में रह कर हाथ मिलाना ही है तो इसमें भी बुरे नहीं आप चाहें तो यशवंत सिंह से भी हाथ मिला लीजिये नंगी लड़कियों से कमाए हुए पैसे को हाथ में लेकर अपने उस बेटे की ओर जरूर देखना jise आप माता-पिता का सम्मान करने के संस्कार देना चाहते हैं, हनु नाम है न उसका?
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
शम्स जा और अपने घर को देख ,
अबे चूतियम सल्फ़ेट से भरी हड्डियों वाले कीड़े ! शम्स भाई ने यहाँ भाई रजनीश झा के लिये लिखा है तू क्यों फड़फड़ा रहा है? जब उनके पास समय होगा तो वो जवाब देंगे अपनी शैली में उन्हें तेरे जैसे चूतियों की वकालत की जरूरत नहीं है ढक्कन...
जय जय भड़ास
क्यों रप्पू भडवे तेरी क्यों फट रही है ,मैंने तो शम्स के लिए लिखा था , वो ही जवाब देता , उसे तेरे जैसे चुतियम सल्फेट और गांडम परमेगनेट के combination की जरुरत कब से आन पड़ी है ...:)
मित्र,
रजनीश कभी क्षद्म नाम में नहीं जाता है.
शंका ना करें.
यहाँ भड़ास कि आत्मा बसती है.
जय जय भड़ास
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