रजनीश भाई, यदि आपकी सहमति हो तो भड़ास के संचालन में अन्य लोगों को शामिल कर लिया जाए ।
मंगलवार, 8 नवंबर 2011
रजनीश भाई, भड़ास जिस तरह से अपने दूसरे अवतारी रूप में हम लेकर आए थे उस पुनर्जन्म की सारी तकलीफ़ों से आप भली प्रकार परिचित हैं। आप मुझे निजी तौर पर जानते हैं बल्कि मनीषा दीदी, भानुप्रिया, हरभूषण जी, मुनव्वर आपा आदि को भी आप सीधे ही जानते पहचानते हैं और मुंबई में मिल भी चुके हैं। हम लोग अपनी रोटी कमाने के लिये कड़ा संघर्ष करते हैं उसके बाद जो समय जीवन से चुरा पाते हैं उसमें संघर्ष करते मध्यम वर्ग, एक एक पल गरीबी के रिसते घाव के लेकर जीने वाले निम्नवर्ग, किसानों, मजदूरों, हाशिये पर धकेल दिये गए लोगों की आवाज को लेकर भड़ास के मंच से चीखते चिल्लाते दहाड़ते हुंकारते रहते हैं। इस कार्य में कई बार पक्षपात का आरोप भी लगता है पर मैंने आज तक बुरा आदमी होने के कारण इन आरोपों की परवाह नहीं करी। सबको आवाज देता रहा कि यदि मेरे बारे में आपको कुछ गलत लगता है तो भड़ास पर उगलो। ऐसा पूर्वकाल में हुआ भी है कि मेरे ऊपर तो एक बंदे ने दाउद इब्राहिम से पैसा आने का आरोप लगा दिया था लेकिन भड़ास से वो पोस्ट हटाई नहीं गयी बल्कि उस आरोप पर चर्चा करी और उस आरोप का जवाब अन्य भड़ासियों ने भी तार्किक तरीके से दिया। हमारी उल्टी भी किसी के खाने के काम आ जाए ऐसा वमन करा जाए तो बात है वरना खाकर तो सभी हग दिया करते हैं। भड़ास का दर्शन हम दोनों ने जीवन में आत्मसात करा है। पिछले कुछ दिनों से आप काफ़ी व्यस्त हैं और अब मैं भी अपने कार्य में कदाचित अधिक व्यस्त हो जाऊंगा ।
भड़ास पर पिछले कुछ दिनों से सक्रिय एक टिप्पणीकार किस्म के ब्लॉगर खुदको और प्रवीण शाह जी को भड़ास के संचालन के लिये आगे लाए हैं। आप उनसे बातचीत कर लीजिये यदि आप उनसे संतुष्ट हों तो इस गुरुतर कार्यभार को उनके साथ बाँट लीजिये।
जय जय भड़ास
15 टिप्पणियाँ:
अँग्रेजी को देवनागरी में इसीलिये लिख रहा हूँ बच्चों कि तुम लोगों को आसानी से समझ आ जाये। बाकी ९९ प्रतिशत जो हिन्दी में लिख रहा हूँ वो दिखाई नहीं देता क्या ? अरे रुप्पू खुद का नाम क्यूँ फिर Engalish में भी लिख रखा है ? अन्य भड़ासियों पर अपनी श्रेष्टता दिखाने के लिये ? बात करते हो शास्त्रार्थ करने की। वो तो बन रहा नहीं पहलवान से दो दो हाथ करने चले हैं। सुबह हगने भी आजकल अँग्रेजी टॉयलेट (कमोड) में जाने लगे हो क्योंकि घुटने जवाब दे चुके हैं तुम्हारे और तुम मुझे लड़ोगे कह रहे हो सामने आ जा। मैं सिर्फ़ तुम्हारी कलाई भर थाम लूँगा झोलू तो लिगामेंट रप्चर हो जायेंगे कहीं कहीं के तुम्हारे। अण्डर्स्टुड। इससे अच्छा मित्रता का हाथ बढ़ाओ, फ़ायदे में ही रहोगे। जब मुझे अपनी बहिन बना सकते हो, तो स्नेह के दो बोल बोल कर मित्र नहीं बना सकते। बड़े आये डॉक्टर, हाँ नहीं तो। तुम्हें भड़ास छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है रुप्पू भाई। लगता है मेरी बातों ने अब तुम्हारे दिल को ठेस लगाना शुरू कर दिया है। मैं पहलवान हूँ, चुहलबाज भी हूँ मगर इतना नीच भी नहीं कि किसी की आत्मा कल्पाऊँ। जाओ तुम लोग सब अब दोस्त हुये मेरे आज से। मुन्नू, दिवस, जील, हिजड़ा हायनेस, अनूप, और भड़ास अब तो हँस दो यार। क्या मुँह बनाये बैठे हुये हो। गधऊ हो सब के सब। पूरे मजाक को इतना सीरियसली ले रहे थे, उल्लू जैसे। "तू ऐसा तू वैसा" हा हा। आऊँगा भैया मुम्बई तो घर ही है मेरा। मगर लड़ने नहीं हँसी खुशी मिलने।
आदरणीय डॉक्टर साहब मुस्कुरा दो यार अब तो। हा हा।
पुराने पीड़ीत जी,
आपका धन्यवाद है। मगर डॉक्टर साहब वगैरह अब मेरे मित्र हुए, इसलिये उन्हें अब कुछ न कहें। यार मेरा उद्देश्य और कुछ नहीं बस यही कि ब्लॉगिंग सिर्फ़ अभिव्यक्ति हो। क्रोधावेश और भावावेश के अधीन होकर वातवरण को आक्मरोशित कर देना और उतरोत्तर मलिन कर देना भड़ास या भड़ास का उद्देश्य नही है और होना भी नहीं चाहिये। अपनी उचित बात को दूसरे के दिल तक इस तरह पहुँचाना कि वह चिंतन मनन को मजबूर हो जाये, वह सही भड़ास है। ये भड़ास को मेरा संदेश या उपदेश नहीं अनुग्रह है। जो हो थोड़ा सोच कर हो बस इतना ही परिवर्तन तो बहुत बड़े आंदोलन में परिवर्तित हो जायेगा। ये अंतर्जाल हमें बहुत बड़े आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त हुआ है। विश्वबंधुत्व के लिये इसे बखूबी इस्तेमाल कर डालें। गालीगलौज, लड़ाई झगड़े तो हम रोज करते ही रहते हैं अपने आसपास। यहाँ क्यों ?
यह शब्द-युद्ध, शब्द का महत्व प्रकाशित कर गया। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
आप जो कोई भी हों खुद को इतना भाव क्यों दे रहे हैं कि आप हाथ पकड़ लेंगे डॉक्टर साहब का तो लिगामेंट रप्चर हो जाएंगे या कोई भड़ास पर आप जैसे मुँह छिपा कर लिखने वाले को जरा भी गम्भीरता से ले रहा है। घुटने में दर्द किसके है ये तो आप खुद देख लीजिये कि बता रहे हैं कि मुंबई में हैं लेकिन उठ कर चेहरे से कार्टून का मुखौटा हटा कर सामने तक नहीं आ पा रहे हैं। मित्रों की पहचान होती है भड़ास पर और उनकी भी जिनसे मतभेद हैं आपने भड़ास को बड़े हल्के में लिया था जबकि डॉक्टर साहब ने हमेशा आपसे चर्चा और विमर्श की बात ही करी लेकिन जब आप जिस स्तर की भाषा और व्यवहार को समझ रहे हैं तो जरूरत के अनुसार वही इस्तेमाल करा गया है। आप पहलवान होंगे,चुहलबाज होंगे,छिछोरे होंगे ये सब तो आप खुद कह रहे हैं लेकिन भड़ासियों को तो दुनिया बुरा कहती है और इस बात से कभी इन्कार नहीं करा कि हम घोषित तौर पर बुरे लोग है या हमें आपके जैसे किसी मित्र की जरूरत है। गधऊ, मूरख, जाहिलों से दोस्ती करने के लिये हमारे जैसे निम्न स्तर पर आना होगा। आपने डॉक्टर साहब को देखा होगा तो जानते होगे कि अक्सर मुस्कराते ही देखे जाते हैं भले ही कितना भी दर्द छिपा हो भीतर। राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं की चर्चा मजाक में नहीं करी जा सकती हैं भले ही वह प्रशांत भूषण का बयान हो या अण्णा हजारे प्रकरण।
डॉ.रूपेश को आप द्वारा दिये आदर की कब से जरूरत आन पड़ी ऐसा वहम क्यों पाले बैठे हैं आप? मुखौटे से बाहर आकर मिलियेगा।
जय जय भड़ास
चलिये मित्रता स्वीकार है लेकिन ये तो पता हो कि मित्र हैं या सहेली, भाई कह कर पुकारूं या बहन कह कर। इस बात को लिंगभेद से वर्गीकृत मत करियेगा। मैं क्या, कैसा और कौन हूँ ये तो आप मिलने के बाद जान ही जाएंगे कि भड़ासी जीवन शैली क्या है जीवन ऑनलाइन के अलावा ऑफ़लाइन भी होता है। आपको अपने असल परिचय के साथ सामने आने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिये। मैं बस आपके साथ पहलवानी के दो-दो हाथ आजमाने की इच्छा रखता हूँ आपका घर मुम्बई में है तो बताएं किधर आना है आपका अखाड़ा किधर है। अपने आप मित्रता हो जाएगी उसके लिये कोई अलग से व्यायाम करने की जरूरत नहीं है। मेरा मोबाइल नंबर आपके पास है कॉल कर लीजियेगा। यदि मैं आपके आगमन के समय मुम्बई से बाहर रहा तो भाई अजय मोहन, दीनबंधु या हरभूषण में से किसी से भी आप चाहें तो पहलवानी के हाथ आजमा सकते हैं वैसे तो मनीषा दीदी भी हैं लेकिन आप अब तक लिंगभेद का चश्मा लगा कर दुनिया देख रहे हैं। मनीषा दीदी का लैंगिक विकलांग होना और आपका व्यवहार मैं कदाचित चुहलबाजी में नहीं गिन पा रहा हूँ।
जय जय भड़ास
बस बस डॉक्टर साहब, यहीं आकर तो हिन्दुस्तान मार खा गया। दीदी हों या जीजाजी, अब उबर आइये।
उन बातों की उखड़ पछड़ से क्या हासिल?
और रही बात अपने आप को उजागर करने की तो वो तो एक मिनट में हो सकती है, मैं बात भी आपसे तत्काल कर सकता हूँ, हा हा बस लिगामेंट अब रप्चर नहीं होने दूँगा आपके, क्योंकि दोस्त कह दिया सो कह कह दिया। मगर जरा सोचिये मेरे एक बार सामने आ जाने से क्या किलर झपाटा के लिये सबके मन में वो उत्सुकता बाकी रह जायेगी जो अभी है? ये एक कैरेक्मेटर है जो लैस होते हुये भी फ़ुल है। मजे लेते रहिये देखसुन के क्या कीजियेगा। मैं अपने असली परिचय में ही ब्लॉग पर हूँ। नाम बिल्कुल वही है जो लिखा है। काम और धाम बिल्कुल वही है जो लिखा है। फ़ोटो भर वैसा नहीं है जैसा दिया है बल्कि आपके इस दोस्त को लोग वैरी हैंड्सम कह कर नजर लगाते रहते हैं बस इसीलिये असली फ़ोटो नहीं लगाता। अरे कौन नज़र उतरवाता फिरेगा दिनरात। है के नहीं ?
हा हा। आपको कॉल करूँगा डॉ. साब जिस दिन भी मुम्बई आऊँगा। चलता हूँ। जय हिन्द।
सहमति !!!
मोहतरमा सुल्ताना जी, कहने को आपके ब्लॉग का नाम लंतरानी है लेकिन लगता है कि इस लफ़्ज़ से अच्छी तरह वाकिफ़ नहीं हैं आप। तभी तो बार बार रब्बेअरनी कह रही हैं। जल्वागहे तूर की रूदाद क्या मुझसे ही सुनना चाहती हैं ? मेरी लेटेस्ट पोस्ट की दूसरी टीप में एक शेर है उसे फिर पढ़ लें। याराने का कोई मोल नहीं होता जो मैं खुद को भाव देता फिरूँ। यदि परदा गिर गया तो पटाक्षेप हो गया। आपको अब भी परेशानी है!
यदि रूपेशजी को गरियाओ तो आपको को दिक्कत, आदर दो तो आपको दिक्कत ?
आय थिंक, पहले आप सब अपने आपको सुलझा ही लीजिये। जब कन्फ़्यूज़न दूर हो जावे बतला दीजिये कि याराने के विषय आप सबके खयालात किधर का रुख रखते हैं। और बार बार मुझसे उजागर होने की बात ना कहें। आप घोषित तौर पर बुरे होकर भी कौन सा तीर मार सके हैं ? इसीलिये अघोषित तौर पर अच्छॆ बने रहिये। आप पर यही फबता है। अल्लाह हाफ़िज़।
किलर झपाटा लिखूं या बहन किल्ली झपाटिन ये बातें आपसे साफ़ करना तो बाकी है मैं जीवन में रिश्तों को नर-मादा के चश्में से नहीं देखता । आपके लिये दीदी-जीजाजी जैसे रिश्तों के कोमल भावों के चलते हिंदुस्तान यहाँ मार खा गया तो बिल्कुल असहमति है ये रिश्ते आपकी तहज़ीब में नहीं हैं आप तो भाई-बहनों से भी बलात्कार करने की बात से सहमति रखते/रखती हैं। मेरे लिये रिश्तों और भावनाओं से जुड़े हुई भावुकता शक्ति है न कि कमजोरी । आप अपनी तरफ से ही बलात्कार करने का भाव रखने, मेरी बहन को वेश्या कहने की हिमाकत करना जैसी बातें करें और उसे चुहलबाजी कहें फिर शराफ़त का चोला डाल कर दोस्ती की बात करें। मुझे हरगिज मंजूर नहीं है। पहले आपको पहलवानी दिखाऊंगा उसके बाद अस्पताल में आपसे दोस्ती का हाथ बढ़ा कर आपको बताऊंगा कि भड़ासी जीवन शैली क्या है। हम तो घोषित बुरे, गंदे, जाहिल, गंवार, बेहूदे, गालीबाज किस्म के लोग हैं लेकिन आपकी तरह मुखौटा नहीं लगाते हैं अपनी सारी बुराईयों के साथ भड़ास चला रहे हैं। आप खुद ही अपने आप को भाव दिये पड़े हैं कि किसी भी महाचूतिया भड़ासी को आपके प्रति उत्सुकता है। यदि सचमुच आपका नाम किलर है तो विचित्र है, झपाटा आपका कुलनाम है या आदरणीय पिताजी का नाम है, उम्मीद है कि हिंदुस्तान इसमें मार नहीं खाएगा । भड़ास पर कोई भी ये दावा नहीं करता कि वो शरीफ़ है या विद्वान है बल्कि आप जैसे लोगों के बीच ब्लॉगिंग करते हुए सब खुद को चूतिया ही मानते हैं। यहाँ तक कि भाई रजनीश झा जो कि भड़ास के दूसरे संचालक हैं मुझे इन चूतियों का सरदार मानते हैं और वे इस बात को भड़ास पर लिख भी चुके हैं जिस पर मैंने कोई आपत्ति नहीं करी क्योंकि ये तो मैं भी स्वीकारता हूं कि भड़ास चलाना चूतियापा है लेकिन हम इसी में खुश हैं ऐसे सुअर जो खुद अपना कीचड़ में लोटपोट हो खुश हो लेते हैं आप जैसे मुखौटा लगा कर शरीफ़ सेलेब्रिटीज़ को कीचड़लोट के लिये आमंत्रित नहीं करते। जिसे कीचड़ कुश्ती करनी होती है तो वो आ जाता है आपकी तरह अतिथि बन कर लेकिन मजा तो पटका पटकी का सही अर्थों में हम लोग ही लेते हैं।
मेरे लिगामेंट रप्चर हो गए तो एक वनस्पति है "अस्थिश्रंगार" जिससे मैं ’अस्थिसंधान रस’ नामक औषधि बना कर कई बार ले चुका हूँ मेरे लिये ये कोई नयी बात नहीं है एक बार और सही। हो सकता है मुझसे मुलाकात के बाद आपको लोगों की नज़र लगना बंद हो जाए दिनरात उतरवाने का चक्कर खत्म हो जाएगा तब असल फोटो लगा सकेंगे।
मैं मेरी बहन के लिये वेश्या संबोधन सुन कर आनंदित नहीं हो पाता ।
प्रशाँत भूषण के बयान से लेकर रामदेव,अण्णा हजारे,गोपाल राय आदि सब पर बात करना शेष रहा पहले भड़ास......
@ रजनीश भाई - आपने बताया नहीं कि क्या आप इन्हें भड़ास का संचालन सौंप देने से सहमत हैं या किस बात से सहमति जता रहे हैं स्पष्ट कर दें तो अच्छा रहेगा मैं निर्णय ले सकूंगा।
जय जय भड़ास
मैनें अपनी दोस्टी की पेशकश वापस ली। झोलू मुझसे भारी गलती हुई कि एक महाचूतिये को ये पेशकश कर बैठा। क्योकि मुझे लगा कि शायद मैंने किसी का दिल दुखा दिया। पर दो दिन में ही मुझे अब अहसास हो रहा है कि इनके दिल भी तशरीफ़ ही हैं तो बड़ा रंज हुआ। अब लड़ ही ले रुप्पू अच्छे से। मैं अपना मुखौटा तो उतारूँगा ही नहीं पर यदि आप सब उसी बाप की पैदाइश हैं जो आपकी वल्दियत पे लिखी हैं (मुझे तो भारी शंका है एंड आय एम श्योर कि आपकी वल्दियत बोगस है) तो अपने अस्थिसंधान की फिर से तैयारी कर लें। (कई बार ये औषधि ले चुके हो इसका मतलब ही है कि अपनी वाहियात हरकतों से पिटे भी कई बार हो हा हा) तुम और तुम्हारी पलटन सबके सब वैश्या कैसे हो सकते हैं ? उसके लिये तो महिला होना आवश्यक है मगर तुम सब तो शिखण्डी हो ना ? अपने नर मादा के चश्में का नम्बर तो पहले ठीक कर लो बुढऊ, इन मोतियाबिन्द वाली आँखों से कलाजंग, मुल्तानी का मुकाबला क्या होगा ? हा हा।
मेरी तो कनमुर्री का ही इलाज है नहीं तुम्हारे झोले में हड्डियों का सिंगार करोगे क्या खाक ?
ओय क्न्फ़ुयूज़ेआज़म महाचूतिया झोलाछाप ढक्कन रुप्पू i.e. पागले के पाजामे।
मैं किल्ली तो आप बगई। आगे समाचार ये है कि आपकी खुजाल को देखते हुए मैनें अपनी दोस्टी की पेशकश वापस ली। झोलू मुझसे भारी गलती हुई कि एक महाचूतिये को ये पेशकश कर बैठा। क्योकि मुझे लगा कि शायद मैंने किसी का दिल दुखा दिया। पर दो दिन में ही मुझे अब अहसास हो रहा है कि इनके दिल की जगह भी तशरीफ़ ही हैं तो बड़ा रंज हुआ कि जिनका खून गुदाद्वार द्वारा स्वच्छ होता हो वे....... हा हा। अब लड़ ही लें रुप्पू अच्छे से। आप सब उसी बाप की पैदाइश हैं जो आपकी वल्दियत पे लिखी हैं (मुझे तो भारी शंका है एंड आय एम श्योर कि आप लोगों वल्दियत बोगस है) तो अपने अस्थिसंधान की फिर से तैयारी कर लें। (कई बार ये औषधि ले चुके हो इसका मतलब ही है कि अपनी वाहियात हरकतों से पिटे भी कई बार हो हा हा) तुम और तुम्हारी पलटन सबके सब वैश्या कैसे हो सकते हैं ? उसके लिये तो महिला होना आवश्यक है, मगर तुम सब तो शिखण्डी हो ना ? अपने नर मादा के चश्में का नम्बर तो पहले ठीक कर लो बुढऊ, इन मोतियाबिन्द वाली आँखों से कलाजंग, मुल्तानी का मुकाबला क्या होगा ? हा हा। मुझसे मुलाकात करने की इतनी जल्दी क्या है बच्चे ? क्या मुझपर मिसमिसाहट ज्यादा हो रही है ? वैसे तुम्हे खुद बतलाने की जरूरत नहीं है कि तुम एक महाचूतिया हो क्यूंकि तुम्हारे लक्षणॊं से ही जाहिर है।
मेरी तो कनमुर्री का ही इलाज है नहीं तुम्हारे झोले में हड्डियों का सिंगार करोगे क्या खाक? द ग्रेट महाचूतिया डॉ. रूपेश झोलाछाप छी बास्टर्ड सॉरी शायद कुछ और सरनेम था। जाने दो चूतियूं को क्या फ़र्क पड़ता है ? एम आय रॉंग ? हा हा
बहन किल्ली झपाटिन, तुम्हारी हालत दोबारा बिगड़ गयी है। तुम मुखौटे के अलावा सारे कपड़े उतार कर नंगई करे पड़ी हो और बुरी तरह परेशान और भ्रमित हो कभी भड़ासियों से मित्रता करना चाहती हो कभी रिसिया खिसिया जाती हो, कभी मुझे बुढ़ऊ कहती हो कभी बच्चा कहती हो। दोस्टी करना चाहती थीं या दोस्ती, लटपटाने लगी हो अब तो लिखने में भी; बौखलाहट का ये आलम है कि अपने पिताजी श्री झपाटा जी की वल्दियत की तर्ज़ पर हमारी वल्दियत पर कुरकुरा रही हो। अस्थिसंधान रस तो तुम्हारे लिये तैयार है तो कब आ रही हो मनीषा दीदी से लड़ने के लिये? मैं तो आप पर लात नहीं उठाउंगा ये सारी तैयारी तो मनीषा दीदी की है बहन किल्ली, ये तो बहनों की पटका पटकी होगी मैं तो अस्पताल में आ जाउंगा तमाम भड़ासियों के साथ आपसे हाथ मिलाने। खुद को मर्द सिद्ध करने के लिये तुम जितनी परेशानी उठा रही हो मैं समझता हूँ कि बीमारी ही ऐसी है तुम्हारी।
तुमने अपने मुखौटे के प्रति तो चिंता बता दी क्या आपके पिताजी श्री झपाटा जी के बारे में भी चिंता है या वे सचमुच असल वालिद नहीं हैं आपके?
आपकी संस्कृति में भाई बहन के आपसी बलात्कार का नतीजा तो नहीं हैं आप? वैसे आपकी संस्कृति में तो बहनों को वेश्या बना लेतीं हैं आप और न जाने क्या क्या होता होगा आप सामने आतीं तो आपकी इस आदिम सभ्यता के बारे में अधिक जान पाते कि भाई बहन के अलावा और किन किन रिश्तों में आपके यहाँ बलात्कार की सम्मति है।
जय जय भड़ास
वाह किलर झपाटा तुमने तो कमाल कर दिया ,और सब को शिखंडी कह कर यहाँ भड़ास पर सब उनकी औकात बता दी
हैलो रुप्पू,
i.e. झोलाछाप सैक्स ब्लाईंड।
मेरी नहीं अपनी हालत की बात करो जो अब कभी भी नहीं सुधरेगी। यू पागल के पाजामें। मेरे मुखौटे से कितना जल रहे हो तुम लोग। हा हा। जब तुम सब खुद कहते हो कि घोषित तौर पर नंगे हो तो मेरी नंगई से क्यूँ विचलित हुए जाते हो ?
मैं और बुरी तरह परेशान और भ्रमित ? हा हा
अरे तुम बोगस भड़ासियों से काहे की मित्रता ?
मेरी मार खा कर तुम रो रहे थे सो जरा पुचकार दिया था इसका मतलब मित्रता होता है क्या? गधऊ कहीं के। अरे बूढे बारे एक बराबर कहावत नहीं सुनी क्या ? मुझे कह रहे हो और बौखलाये खुद हो तभी तो ९ तारीख से १६ तारीख तक पूरे हफ़्ते भर एलोपैथी अस्पताल में वैंटिलेटर की हवा खाने के बाद थोड़ी बहुत एनर्जी लेकर लिख पा रहे हो हा हा हगड़गंडे कहीं के। तुम्हारी वल्दियत पर मैं क्यूँ कुरकुराऊँगा। वो तो तुम्हारे वालिद साहब मुझे स्टेशन स्टेशन भीख माँगते मिल गये थे। मैंने पूछा क्या बात है रुप्पू के पापा आप का यह हाल ? कहने लगे क्या बताऊँ झपाटे, मैंने तो लड़का पैदा करने की कोशिश की थी ये साला शिखंडी निकल गया और मैं इस झोलाछाप के चक्कर में खुद कटोरे पर आ गया।
शेम शेम रुप्पू हिजड़े।
जैसे हिजड़े लोग घरोंघर नाचने गाने के बहाने छोटे बच्चों को चैक करने जाते हैं कि लड़का है लड़की है या तेरी भाषा में लैंगिक विकलांग ? वैसी ही तेरी आदत पड़ी है। और लोगों ने तेरे को कुछ नहीं कहा पर मैंने पीट दिया है सो भिदरयाता फिर रहा है यहाँ वहाँ। हा हा।
अस्थिसंधान रस तो मेरे लिये तैयार करके मनीषा हिजड़े से लड़ने के लिये बुला रहे हो ? इसीलिये तो महाचूतिया कहलाते हो।
शब्दों से तो लड़ लो पहले। मुझपे लात नहीं उठाउंगा कह रहे हो, वो तो मुझे भी मालूम है कि दोनों टाँगे मैंने ही तो तोड़ी हैं और तीसरी है ही नहीं हा हा। हिला तो पाते नहीं उठाओगे क्या खाक ? क्या यार रुप्पू शिखंडियों का उठता भी है कभी ? बुद्धू कहीं के।
हिजड़े से मुझ पहलवान की पटका पटकी करवायेंगे ये। महाचूतिया।
मुझे कह रहे हो "खुद को मर्द सिद्ध करने के लिये तुम जितनी परेशानी उठा रही हो"
हा हा तुम तो न अपने को मर्द सिद्ध कर पाये न अपने को औरत और ना ही डॉक्टर, यू झोलू।
और ये भाई-बहन के आपसी बलात्कार की बात और अन्य रिश्तों से बलात्कार की बात बार मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? करवाना चाहते हो क्या तुम्हारे किसी रिश्तेदार का बलात्कार! हा हा।
यू शिखंडी महाचूतिये, बार बार मुझे "मुम्बई आ जा, मिल ले, सामने आ जा, मुखौटा निकाल दे, मेरे हिंजड़ों से पटका पट्की करले" करते रहते हो, इसी से तुम्हारी बौखलाहट समझ में आ रही है हा हा।
ओय खिसियानी बिलैया, नोंचते रहो मुम्बई का खम्बा खम्बा।
यू वोंट गैट मी एट ऑल।
प्रिय मुन्नू (मुनेन्द्र) तुम तो मुझे पहले सूअर कहते थे ! अब ओपीनियन बदल गई तुम्हारी ? पहलवान को वैश्या कहते हुए शर्म नहीं आती। ये ही सिखाया है तुम्हारे माँ-बाप ने कि पहलवान को वैश्या कहो और फिर उससे मार खा कर हाथ पैर तुड़वा बैठो। कॉमन सैंस भी नहीं है यार तुममें स्पिटिंग सैंस क्या होगा खाक ? हा हा।
भड़ास में घुसे मुखौटाधारी कीड़े तू जिस तरह की हरकतें कर रहा है तो तू अपनी पतलून के भीतर झाँक कर देख ले कि तू भी भड़ासियों में शामिल है और अपनी औकात तो देख कि तू तो शिखण्डी जितना अस्तित्व भी नहीं रखता। भड़ासी क्या हैं ये तो दुनिया भर के पाठक जानते हैं और अब इस मुखौटाधारी स्वयंभू शरीफ़ जो कि बहनों के साथ बलात्कार की खानदानी परम्परा रखता है इसे भी देख रहे हैं। अब इसे और तुझे भी सपनों में भड़ासी डराते हैं ये दिख रहा है। अबे चिरकुट ! जब तू भड़ास का सदस्य है ही तो सामने आकर गाली दे ताकि तुझे तेरी बात का उत्तर दे सकें, तेरी औकात तो बहन किल्ली झपाटिन जितनी भी नहीं रह गयी तू उससे भी बड़ा गड़िया है। जैसे उसकी सामने आने में फट रही है वैसे तू भी फट्टू निकला लेकिन तू भड़ास पर आकर शिखण्डी बन गया और वो बाहर रह कर
जय जय भड़ास
अपने को देख छक्को के बिच वैचारिक नपुंसक रप्पू
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