अंगेजी कानूनों के २ जबरदस्त पहलू
मंगलवार, 15 नवंबर 2011
भारत के लगभग सभी कानून हुबहू वाही हैं जो अंग्रेजो ने सबसे पहले आयरलैंड को गुलाम बनाने के लिए बनाये थे और उनका बहुत तगड़ा परिणाम मिला था. अंग्रेजी कानून के दो मुख्य सिद्धांत हुआ करते थे
१)कानून को इस तरह बनाया जाये की जनता आम जीवन में रोज इसका उल्लंघन करने के लिए बाध्य हो जाये.
२)कानून का बार बार उल्लंघन करके जनता में इतना अपराध बोध हो जाये की वह हुकूमत करने वालो के बड़े से बड़े अपराध की तरफ भी उंगली न उठा पाए.
आयरलैंड में आजमाए गए इस व्यवस्था की वजह से अंग्रेजो उन्ही कानूनों को बिना किसी परिवर्तन के भारत में पूरी तरह लागू कर दिया था और वे भारत को इन्ही कानूनों के बल पर बड़े मजे से २५० सालो तक बेख़ौफ़ होकर राज किया. उन्होंने हर जरुरी काम के लिए परमिट और लाइसेंस का प्राविधान कर रखा था जिससे जब चाहे जनता को फंसाया जा सके.
सबसे मजे की बात है की इन्ही कानूनों को भारत में स्वतंत्रता के बाद भी बिना किसी फेर बदल के नेहरू ने "ट्रांसफर ऑफ पॉवर अग्रीमेंट" के तहत लागू कर दिया जो आज भी चल रहे है. भारत के वर्तमान कानून में ऐसे ऐसे प्राविधान की हम लोग उनका उल्लंघन करते हुए अपराधबोध से ग्रस्त हो चुके है और इसे वजह से नेताओ के बड़े से बड़े अपराध पर भी उंगली नहीं उठा पाते है. अंगेजो ने भारतीयों को छोटे से छोटे अपराध के लिए जेलों में डाला और स्वयं बड़े अपराध करके बचते रहे. आज भी वाही हो रहा है. अंग्रेजो ने हर अपराध की एक ही सजा बना रखी थे जिसमे सबसे पहले जनता ही उल्लंघन करके फंस जाती थी. इसमे अंग्रेजो ने काफी दिमाग खर्च किया था. जैसे चोरी छोटी या बड़ी, सब बराबर है.... और जनता उसे भुगत रही है.
हमें सबसे पहले अपराध का श्रेणीकरण करके उसका दंड निर्धारित करना होगा. १००० रुपये और अरबो रुपये के भ्रष्टाचार में अंतर करके दंड बनाना होगा अदि....
जय भारत,
संजय कुमार मौर्य,
अयोध्या, फैजाबाद
3 टिप्पणियाँ:
मौर्य भाई आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है। आय एम विथ यू ऑन दिस सबजेक्ट।
मौर्य जी का साथ देने के लिये तुझे अपने अंग्रेज बाप से अनुमति नहीं लेनी होगी घूँघट वाली गदहिया? सही मुद्दा उठाया है तो तू अपने विचार रख कि बस बकरचुद्दई करके तीर मार लेगी तू?
जय जय भड़ास
क्या हो गया घूँघट वाली मुखौटाधारी बीमार दिमाग भाई बहन से बलात्कार करने की इच्छा रखने वाली डॉ.रूपेश की मरीज़ा किसी भड़ासी ने मुँह में कुछ डाल दिया है या धंधे से फुरसत नहीं मिल रही है?
जय जय भड़ास
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