साम्प्रदायिक व लक्ष्यित हिंसा निवारण विधेयक २०११
मंगलवार, 15 नवंबर 2011
साम्प्रदायिक व लक्ष्यित हिंसा निवारण विधेयक २०११ को लोग अपने अपने अनुसार मरोड़ कर प्रस्तुत करने से नहीं चूक रहे हैं लेकिन आँख बंद करके "कौवा कान ले गया" की तर्ज़ पर कान देखे बिना सबको कौवे के पीछे दौड़ पड़ने कि सलाह देने वाले मुद्दाछाप जुगाली करने वाले ब्लॉगरों की कमी तो है नहीं। एक ने जो कह दिया उस पर बिना खुद देखे भाले ही जोतने बोने निकल पड़ते हैं। जो लोग इस विधेयक में हिंदू-मुस्लिम की बात जोड़ रहे हैं वो उनका पूर्वाग्रह हो सकता है क्योंकि इसमें भाषायी अल्पसंख्यक की भी बात है न कि सिर्फ़ धार्मिक अल्पसंख्यक की ही बात करी गयी है जिसका लाभ लेकर सारे देश के हिंदुओं को जबरन कानून में फंसा कर मुसलमान बना दिया जाएगा। यदि कोई ऐसा कानून बना भी दिया जाए तो भड़ासी उसकी रोजाना दिन में दसियों हजार बार बैंड बजाया करेंगे जिससे जो करते बने कर ले।
जय जय भड़ास
10 टिप्पणियाँ:
कमाल है तुम जैसे शिखंडी अब देश के कानून की मीमांसा करेंगे ? झोलू, पहले घोड़े की लीद से बना हुआ तुम्हारा अस्थिसंधान रस पी लेना क्योंकि बैंड तो तुम्हारी बज ही चुकी है और ढोल फट भी चुका है। हा हा। बुद्धू।
पूरे विधेयक को पढने के बाद ही कुछ कह सकती हूँ कि ड्राफ़्टिंग में किस पूर्वाग्रह को लेकर बनाया गया है। जब औरंगजेब जैसे लोग हिंदुओं को खत्म नहीं कर सके तो फिर ऐसे हजार कानून बन जाएं कुछ नहीं बिगड़ता। धर्म को लेकर जो परिस्थितियाँ हमारे संविधान में अंग्रेजों ने बना रखी हैं उससे कहीं सिद्ध नहीं होता कि हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष है हर नागरिक के अधिकार उसके धर्म के आधार पर बाँट रखे हैं , आप आज हिंदू हैं तो बहुसंख्यक हैं लेकिन जैसे ही इस्लाम स्वीकार लें तो अल्पसंख्यक बन जाते हैं ये क्या तमाशा है लेकिन यदि इस विषय पर कोई बोले तो उसे संविधान की अवमानना मान लिया जाता है। ये कदापि स्वीकार्य नहीं है। राष्ट्र सर्वोपरि है वह किसी भी हिंदुत्व या इस्लाम से बहुत बड़ा है ये हर फासीवादी के समझ लेना चाहिए।
जय जय भड़ास
पागलो की सरकार है ,पागलो की , देश को इस कदर तोड़ मरोड़ देगे की बस .............
@किलर झपाटा,
तो क्या तेरे जैसे बीमार दिमाग गदहियाँ कानून की समीक्षा करेंगी जो पिछवाड़ा खुला लेकिन चेहरे पर घूँघट डाल कर ब्लॉगिंग करती हैं?
@मुनव्वर आपा,
आपकी बात से पूर्ण सहमति है। मैं भी इसकी प्रिंट निकाल पर शब्दशः पढ़ रहा हूँ।
गुरूजी हृदय से आभार
जय जय भड़ास
बस पढ़ ले ,समझ मे तो तेरे आने से रही ,कानून की किताब सर पर लड़ने से कोई गधा वकील नहीं हो जाता दीनबंधु ,बाय दी वे तुम करते क्या हो ?अपने पिछवाड़े को २ २ रुपए मे बेचने के सिवा
भड़ास की सदस्यता पाकर तुम जो कर रहे हो उसमें तुम कितना फड़फड़ा रहे हो वो दिख रहा है। तुम ये सोच रहे हो कि छद्म नामों से चिरकुटपन करके तुम भड़ासी बन जाओगे तुम मुखौटाधारी दल्ले थे हो और रहोगे क्योंकि तुम्हारी परम्परा में भाई बहनों के साथ बलात्कार करना है सो तुम लगे हाथ भड़वागिरी भी कर लेते हो। अबे फुंकनी के ! मैं तेरी तरह पिछवाड़ा खुला और चेहरे पर घूँघट डाल कर बात नहीं कहता जो कहा है सामने कहा है। तू तो अपना पिछवाड़ा भड़ास पर खोल कर मुफ़्त में खड़ा है फ़िर भी तेरी दुकान का कोई ग्राहक नहीं है तो बार बार भड़ासियों को आवाज देता है कि आप लोग आकर फ़ोकट में ही बजा लो लेकिन अफ़सोस कि तेरे ये विज्ञापन काम नहीं आ रहे। मैं वकालत की पढ़ाई कर रहा हूँ अंतिम वर्ष है लेकिन भाई-बहन से बलात्कार मत करके मेरे पास आना अंग्रेजों के वर्णसंकर.... टोडी बच्चे
जय जय भड़ास
मैंने इस विधेयक को पढ़ा है कदाचित एक आम आदमी जुडीशियरी की भाषा को समझने में दिक्कत महसूस कर सकता है तो भ्रमित हो सकता है। ऐसे कानून ही देश के नागरिकों को अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक में बाँट कर सत्ता पक्ष को मजबूत करते हैं। मुसलमान अपने हित में मान रहे हैं हिंदू अपने विरोध में क्योंकि उनके छद्मनेता इसकी जैसे चाहें विवेचना कर रहे हैं। इसका भय तो मैने आदरणीय डॉ.रूपेश जी की बहन डॉ.दिव्या श्रीवास्तव के ब्लॉग पर भी देखा है उन्हें भी हिन्दू खतरे में महसूस होने लगे हैं।
दिव्या जी इतिहास जानना नहीं चाहतीं क्या कि इस देश पर कितने चंगेज़, गज़नी, ग़ौरी, कत्लू खान, नादिर शाह आदि ने आक्रमण करे लेकिन "कुछ तो जरूर बात है कि हस्ती नहीं मिटती सदियों से रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा" ।
बेचारा मुखौटाधारी मूरख न जाने क्यों बिलबिला रहा है?
जय जय भड़ास
बस अपना क़ानूनी ज्ञान यहाँ पर बघार दे दीनू ,क्योकि वह से भी तू grace marks से पास हो ही जायेगा ,फिर हरामियो के मुक़दमे लड़ कर हराम की खाना
मुखौटाधारी सुअर के पिल्ले दीनबंधु या शम्स को गाली देने के लिये तेरे मुँह में से पहले इनका हगा हुआ गू तो निकल जाना चाहिये ठीक से आवाज तक नहीं निकल पा रही तेरी। अब हँस कर दिखा चिरकुट, सुअरों पर यदि दीनबंधु ने कानून दिखाया तो तेरे पक्ष में तेरी माँ मेनका गांधी खड़ी हो जाएगी है न....
जय जय भड़ास
अब तू सूअर का पिल्ला है या कुत्ते का ,ये तो मुझे नहीं पता पर तू है जरुर इन दोनों जानवरों की मिली जुली औलाद ,जहा मुखौटाधारी सुअर के पिल्ले दीनबंधु या शम्स को लतियाया गया तो तू भी अपना पिछवाडा उठा कर आ गया भोकने और लात खाने ,आजा आज तेरे पिछवाड़े भी पट्रोल डाल कर ,जलती मोमबती तेरी मनोकामना को पूरी करने ,तेरे अंदर डालते है ...:)
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