बेचारी डॉ.दिव्या श्रीवास्तव की हालत पर दया आनी चाहिये

मंगलवार, 6 मार्च 2012

एक और सक्रिय ब्लॉगर के जैनियों के मायाजाल में फँस जाने पर कोई आश्चर्य नहीं है। पिछले कुछ समय से तमाम भड़ासी चुपचाप थे क्योंकि भड़ास पर प्रकाशित सामग्री के चलते बतौर संचालक उत्तरदायित्व डॉ.साहब का और भाई श्री रजनीश झा जी का बनता है। चूँकि देश की संवैधानिक स्थिति ऐसी है कि यदि आप छींक भी दें तो तमाम कानूनी पचड़ों में उलझ सकते हैं। मुंबई पुलिस क्राइम ब्रान्च के कार्यालाय में डॉ.साहब को कई बार घंटों बैठना पड़ा तो हमने भी सोचा कि अब कुछ समय के लिये उपवास करा जाए। लेकिन कब तक??? डॉ.साहब से पूछा तो उन्होंने सीधे कहा कि मैंने किसी को लिखने से मना तो करा नहीं है बस जो हो रहा है वह बताया था आप सबको। मैं तो लिख रहा हूँ अगर किसी ने पुलिस-पुलिस खेला तो हटा दूँगा (गीदड़ भभकी या बंदर घुड़की न देना सचमुच पुलिस-पुलिस खेलने पर ही कंटेंट हटाउंगा ये ध्यान रखना)।
जब भी किसी के विचारों पर जब जी मिचलाए तो उल्टी हो ही जाए बेहतर रहता है। पिछले कुछ दिनों से डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी का ब्लॉगरीय स्वास्थ्य गड़बड़ा गया है बेचारी हिंदू-मुसलमान करते-करते तीर्थंकर ऋषभदेव की राक्षसों द्वारा रची शुद्ध फर्ज़ी कहानियों में उलझ गयी है। वैसे दिव्या जी की बात करने से किसी भी ब्लॉग पर एक प्रकार की पवित्रीकरण प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है ऐसा वे मानती हैं।
जय जय भड़ास

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