ये विष कौन घोल रहा है सभी हिंदू देखें(मुसलमान भी देख लें तो बेहतर)
बुधवार, 14 मार्च 2012
गूगल पर कई भाषाओं और लिपियों के अनुवाद तथा लिप्यान्तरण(ट्रान्सलिटरेशन) की सुविधा दी हुई है। हममें से कई लोग इन्हें प्रयोग भी करते हैं। क्या आपमें से कभी किसी ने भी इस तरफ ध्यान दिया है कि अनुवाद और लिप्यान्तरण में अर्थ का अनर्थ होना तो कई बार देखा गया है परन्तु इस क्रिया में साम्प्रदायिक विष की दुर्गंध आए ये मैंने पहली बार देखा है। मैं सचमुच गूगल की लिप्यान्तरण की इस स्थिति को देख कर परेशान हूँ कि इसके पीछे क्या विचार हो सकते हैं।
आप इस स्क्रीन शॉट द्वारा लिये इस चित्र में देखिये कि उर्दू भाषा में नस्तालिक लिपि में लिखे आलेख के शब्दों " शैतान के पैरोकारों ने" को जब हिंदी भाषा में देवनागरी लिपि में गूगल की सहायता से लिप्यान्तरित करा तो देखती हूँ कि "शैतान के हिंदू अनुयाईयों ने" जबकि मूल आलेख में कहीं भी हिंदू शब्द ही नहीं आया है। निःसंदेह यह एक अत्यंत सोची समझी कपटनीति के अंतर्गत करा जा रहा है ताकि लिपि व भाषा के अंतर को भी आपस के रिश्तों में विष घोल कर लड़ाने के प्रयोग करा जा सके। गूगल के उच्चाधिकारियों को इस मामले की गम्भीर जाँच करना चाहिये।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
आदरणीय मुनव्वर आपा जी, बड़ी साफ़ बात है कि इस कुत्सित सोच के पीछे वही लोग हैं जो कि हमेशा चाहते हैं कि हिंदू मुसलमान ईसाई सिख आदि आपस में लड़ते रहें और इनकी राक्षसी हरकतों की तरफ़ किसी का ध्यान न जाए। यदि इसकी गहराई से निष्पक्ष छानबीन करी जाएगी तो इस षडयंत्र के पीछे जैनों का ही हाथ मिलेगा। हमारे इस वक्तव्य से कुछ राक्षस गाली देना जरूर शुरू कर देंगे लेकिन हमारा काम है सत्य को समर्थन देना, कथ्य को तथ्य के साथ जोड़ कर प्रामाणिक अध्ययन के लिये सामने लाना। पहले भी इस मंच पर ये लोग इस तरह की कई हरकते कर चुके हैं जिनका समय-समय पर भंडाफोड़ करा गया है।
आपको पुनः प्रणाम
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
इस विषय पर ये निर्णय ले पाना किस किसकी साजिश है कठिन है लेकिन ये हो तो साजिशन ही रहा है वरना ऐसा होना असंभव है कि रोबोटिक इंटैलीजेन्स इस तरह का लिप्यान्तरण या अनुवाद करे। यह एक बेहद गम्भीर मामला है लेकिन भ्रष्ट बुद्धि लोग चुप्पी साध कर खुद को विद्वान साबित करने की प्रतिद्वन्दिता में जुटे हैं
जय जय भड़ास
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