डॉ.दिव्या श्रीवास्तव के ब्लॉग पर क्या मनहूसियत लग गयी है, पाबला सरदार तेरा सत्यानाश हो
गुरुवार, 29 मार्च 2012
अभी जब दिव्या बहन के ब्लॉग "ज़ील" पर जाकर देखना चाहा कि क्या चल रहा है तो वहाँ तो नज़ारा ही कुछ अलग है। दिव्या ने भावुकता के बहाव में जिन लोगों का साथ कर लिया उनमें से एक ने उसके लिए पनौती लगा दी जिसका प्रमाण इस चित्र में सामने दिख रहा कि सरदार पाबला ने क्या हरामीपन करा है। दिव्या चूंकि न तो तकनीकी तौर पर मजबूत हैं और न ही जमीनी सच्चाईयों का सामना करने का उनमें साहस है, इस बात को मैं लिख रहा हूँ कि वो आवेश में आकर जिस तरह का व्यवहार करती है उससे पता चलता है। कोई उसे हिंदू समर्थन का लॉलीपॉप देता है, कोई हिंदी सेवा का, कोई देशभक्ति का, कोई अण्णा हजारे के समर्थन का.... इतने सारे चॉकलेट और टॉफ़ी हो गए हैं कि वो परेशान हो गयी है। सरदार ठहरा एक नंबर का मक्कार ब्लॉगिंग से पैसे कमाने के टोटके के चक्कर में मॉलवेयर लगा कोई फ़ॉर्म पकड़ा दिया और इन्होंने लगा लिया अपने ब्लॉग पर नतीजा सामने है। मुझे पता है कि मेरी इन बातों पर वो खूब चिल्लाएगी, रोएगी, जी भर कर मुझे कोसेगी लेकिन मेरी बहन ! तुम्हें सबके सामने इस बात को समझाना जरूरी है कि जो तुम्हारी हाँ में हाँ मिला रहा है जरूरी नहीं को तुम्हारा हितैषी हो या जिसने तुम्हारी बात काट दी उससे तुम अपमानित होकर उसे शत्रु मान लो।
इन बातों को आंखे दिखा कर चोटी खींचना ही जानना । एक बार फिर... दुष्ट सरदार बी.एस.पाबला तेरा सत्यानाश हो
1 टिप्पणियाँ:
बुरा मान गयी.....
जय जय भड़ास
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