जैविक खेती (organic farming) के माध्यम से बिहार में आलू उत्पादन का विश्व कीर्तिमान
शुक्रवार, 16 मार्च 2012
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर कहते रहे है कि वह देश की प्रत्येक थाली में बिहार का कोई उत्पाद परोसना चाहते हैं। लगता है कि नीतीश के इसी सपने को साकार करने के लिए बिहार के नालंदा जिले में कतरीसराय प्रखंड के देशपुरवा गांव के किसानों ने आलू उत्पादन का विश्व कीर्तिमान बनाया है।
मुख्यमंत्री के गृह जनपद, नालंदा के देशपुरवा गांव के किसानों ने जैविक खेती के माध्यम से प्रति हेक्टेयर 729 क्विंटल आलू पैदा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इतना उत्पादन कहीं भी दर्ज नहीं किया गया है। खेत से आलू निकालने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों का एक दल भी यहां पहुंचा।
फसल जांच सांख्यिकी विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार 10.05 मीटर क्षेत्रफल से निकाले गए आलू का वजन 364.5 किलोग्राम पाया गया। नालंदा के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने कहा है कि जैविक खेती के जरिए आलू के उत्पादन में देशपुरवा के किसानों ने नया कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने कहा कि किसानों की मेहनत और सरकारी योजनाओं के लाभ के कारण ऐसी स्थिति हासिल की जा सकी है। किसान नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने खेत में गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, वॉम स्टार सहित कई मिश्रणों का इस्तेमाल किया।
गौरतलब है कि नालंदा में राज्य जैविक सब्जी प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत 2,500 हेक्टेयर में किसानों को जैविक उत्पादन क्रय करने का लाभ दिया जा रहा है। आलू उत्पादन का यह रिकार्ड अन्य किसानों के बीच व्याप्त कई भ्रांतियों को दूर करेगा।
नालंदा प्रगतिशील किसान संघ के राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि नालंदा में किसानों में खेती के प्रति जागरूकता पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि कल तक जो लोग पलायन कर रहे थे, वे अब घर लौटकर खेती कर रहे है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को बिहार विधानसभा में नालंदा के किसानों को आलू उत्पादन में रिकार्ड बनाने के लिए बधाई दी। उन्होंने सदन को सूचित किया कि नालंदा के किसानों ने जैविक खेती के जरिए प्रति हेक्टेयर 729 क्विंटल आलू का उत्पादन किया है। अब तक यह रिकार्ड हॉलैंड के नाम था, जहां प्रति हेक्टेयर 535 क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ था। उल्लेखनीय है कि देशपुरवा के किसानों ने श्रीविधि तकनीक से धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 224 क्विंटल तक पहुंचा दिया है, जबकि पारंपरिक तरीके से यहां प्रति हेक्टेयर धान का उत्पादन 80 क्विंटल होता था। नालंदा के जिलाधिकारी भी मानते है कि केवल देशपुरवा के निवासी ही नहीं, बल्कि जिले के सैकड़ों किसान उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि कर रहे है। उन्होंने कहा कि पहले तो किसान पारंपरिक खेती को छोड़ने और आधुनिक तकनीक अपनाने को तैयार ही नहीं थे, परंतु प्रशासन द्वारा नई तकनीक से होने वाले नुकसान की भरपाई किए जाने के वादे के बाद किसान तैयार हो गए और अब नतीजा सबके सामने है।
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